1.2 Km आकार वाले पृथ्वी के एक नए पड़ोसी का पता चला, 4,000 वर्षों तक साथ लगाएगा सूर्य के चक्कर
सैंटियागो, 3 फरवरी: हमारी पृथ्वी का एक पड़ोसी भी है, जो न जाने कितने हजार या लाखों वर्षों से इसी के साथ सूर्य की परिक्रमा कर रहा है। खगोलविद इसे 'ट्रोजन एस्ट्रॉयड' कह रहे हैं, जो करीब 1.2 किलोमीटर चौड़ा बताया जा रहा है। आने वाले कम से कम 4,000 वर्षों तक ये पृथ्वी के पथ पर ही सूरज के चक्कर लगाता रहेगा। दक्षिणी अमेरिकी देश चिली में एक अध्याधुनिक टेलीस्कोप की मदद से हुई इस खोज के बाद खगोलविदों का हौसला हाई है और वह इस तरह के और भी संभावित क्षुद्रग्रहों का पता लगाने में जुट गए हैं।
पृथ्वी के नए पड़ोसी का पता चला
खगोलविदों का यह शोध कभी खत्म नहीं हुआ है कि क्या हम अकेले हैं? क्या एलियंस भी होते हैं? दूसरे ग्रहों पर भी जीवन है क्या? इसी कड़ी में शोधकर्ताओं ने एक बहुत बड़ी खोज कर डाली है। अभी तक लगता था कि पृथ्वी अपनी कक्षा में अकेले ही सूरज के चक्कर काटती है। अभी तक यही सही था। लेकिन, आगे हजारों वर्षों तक ऐसा नहीं रहेगा। क्योंकि, हम पृथ्वी वासियों को एक नया पड़ोसी मिल गया है। इसका नाम दिया गया है- 2020 एक्सएल 5. यह एक 'ट्रोजन एस्ट्रॉयड' है। इसके बारे में पृथ्वी के लोगों को अभी तक ज्यादा कुछ भी पता नहीं था। लेकिन, अब पता चला है कि 'ट्रोजन एस्ट्रॉयड' भी पृथ्वी के साथ-साथ उसी की कक्षा में सूरज की परिक्रमा कर रहा है।
साउदर्न एट्रोफिजिकल रिसर्च टेलीस्कोप से हुई खोज
2020 एक्सएल 5 की खोज दक्षिण अमेरिकी देश चिली में 1-मीटर एसओएआर (साउदर्न एट्रोफिजिकल रिसर्च) टेलीस्कोप से की गई है। इस तरह के एस्ट्रॉयड मंगल और बृहस्पति के इलाके में तो पाए जाते हैं, लेकिन पृथ्वी के पास भी इतने बड़े आकार के मौजूद हैं, यह पहली बार सामने आया है। यह 'ट्रोजन एस्ट्रॉयड' पृथ्वी से 60 डिग्री आगे स्थित है और इसका आकार करीब 1.2 किलोमीटर चौड़ा है।
पृथ्वी के पास पाया गया ये सबसे बड़ा 'ट्रोजन एस्ट्रॉयड' है
एलिकांटे यूनिवर्सिटी के टोनी सैंटाना-रोस और बार्सिलोना यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ कॉसमॉस साइंसेज ने क्षुद्रग्रह 2020 एक्सएल 5 को देखा और पाया कि यह अब तक पाया गया सबसे बड़ा एस्ट्रॉयड है। इस खोज को जर्नल नेचर कम्युनिकेशन में विस्तार से प्रकाशित किया गया है। खगोलविदों के मुताबिक सौर मंडल के कई ग्रहों को 'ट्रोजन एस्ट्रॉयड' के लिए जाना जाता है, लेकिन 2020 एक्सएल 5 पृथ्वी के पास पाया जाने वाला दूसरा ज्ञात 'ट्रोजन एस्ट्रॉयड' है।
ट्रोजन क्या होते हैं ?
ट्रोजन के बारे में इस रिसर्च के एक लीड ऑथर सीजर ब्रिसेनो ने बताया है कि 'ट्रोजन एक ग्रह के साथ एक कक्षा साझा करने वाली चीजें हैं, जो ग्रह की कक्षा के साथ दो विशेष गुरुत्वाकर्षण संतुलित क्षेत्रों में से एक के आसपास इकट्ठी रहती हैं, जिन्हें लैग्रेंज प्वाइंट्स के रूप में जाना जाता है।'
पृथ्वी के 'ट्रोजन एस्ट्रॉयड' का क्या है इतिहास ?
पृथ्वी के पहले 'ट्रोजन एस्ट्रॉयड' का नाम 2010 टीके 7 है। लेकिन, जब हवाई द्वीप से पहली बार Pan-STARRS1 सर्वे टेलीस्कोप से खगोलविदों की नजर 2020 एक्सएल 5 पर पड़ी तो पाया कि यह तो पहले से कहीं ज्यादा यानी करीब तीन गुना बड़ा है। पहले का पता 2010 में लग था, जो 400 मीटर से भी अनुमानित छोटे आकार का है। जब पहली बार वैज्ञानिकों ने 2020 एक्सएल 5 को देखा तो उन्हें लगा कि यह कोई दूसरी चीज है, जो दूसरी एस्ट्रॉयड की तरह सूर्य की चारों ओर चक्कर लगा रही है। तब उन्हें इसके पृथ्वी के ही परिक्रमा पथ पर होने के बारे में मालूम नहीं था।
4,000 वर्षों तक साथ लगाएगा सूर्य के चक्कर
खगोलविदों ने जो शोध किया है और उन्होंने अभी तक जो डेटा जुटाए हैं, उससे अनुमान लगाया गया है कि पृथ्वी का नया पड़ोसी 'ट्रोजन एस्ट्रॉयड' हमेशा के लिए हमारा पड़ोसी नहीं रहेगा। लगभग 4,000 वर्षों तक और इसी स्थिति में रहकर आखिरकार गुरुत्वाकर्षण के दबाव की वजह से अंतरिक्ष में कहीं भी भटकने को मजबूर हो जाएगा। इस खोज के बाद वैज्ञानिकों का उत्साह बढ़ा है और वह पृथ्वी के और भी 'ट्रोजन एस्ट्रॉयड' का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं।(तस्वीरें-सांकेतिक)