डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान में लाइब्रेरी पर उड़ाया मोदी का मजाक, बोले पता नहीं किसके काम की
वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मजाक उड़ाया। ट्रंप ने पीएम मोदी पर अफगानिस्तान में एक लाइब्रेरी के लिए आर्थिक मदद देने पर तंज कसा है। ट्रंप का मानना है कि यह लाइब्रेरी किसी मतलब की नहीं है। ट्रंप ने यह बात उस समय कही जब वह कैबिनेट मीटिंग के दौरान मीडिया से मुखातिब हो रहे थे। ट्रंप यहां पर अफगानिस्तान को भारत की तरफ से दी जा रही मदद पर बोल रहे थे। उन्होंने इसके साथ ही विदेशों में अमेरिका के निवेश को कम करने के अपने फैसले का बचाव किया।
लाइब्रेरी के लिए थैंक्यू
ट्रंप ने यहां पर कहा कि उनकी पीएम मोदी के साथ अच्छी केमेस्ट्री है। मोदी हमेशा उन्हें बताते रहते हैं कि उन्होंने अफगानिस्तान में एक लाइब्रेरी का निर्माण कराया है। ट्रंप ने आगे कहा, 'यह बात सुनकर लगता है कि जैसे पांच घंटे साथ में बिता लिए हैं। और फिर हम यह कहते हैं, ओह, लाइब्रेरी के लिए थैंक्यू। मुझे नहीं मालूम कि अफगानिस्तान में इसे कौन प्रयोग कर रहा है।' अभी तक इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि आखिर ट्रंप, अफगानिस्तान में भारत के कौन से प्रोजेक्ट की बात कर रहे थे। लेकिन 11 सितंबर 2001 के बाद जब से अमेरिकी सेनाएं यहां पर तालिबान को हराने में लगी हैं तब से लेकर भारत की ओर से तीन बिलियन डॉलर की मदद अफगानिस्तान को दी जा चुकी है।
1,000 अफगानी छात्रों को मिलती है स्कॉलरशिप
भारत ने जिन प्रोजेक्ट्स के लिए मदद की है उनमें काबुल में एक संभ्रात हाई स्कूल के अलावा भारत में हर वर्ष 1,000 अफगानी छात्रों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप भी शामिल है। इसके अलावा साल 2015 में भारत ने अफगानिस्तान की संसद में पुनर्निमाण में मदद की थी। पीएम मोदी ने अफगान के तमाम युवाओं को शैक्षिक और व्यवासायिक क्षमताओं के लिए सशक्त बनाने का वादा किया है। भारत हमेशा से अफगान सरजमीं पर जारी अमेरिकी मिशन पर सबसे ज्यादा उत्साहित रहा है। वहीं दूसरी पाकिस्तान हमेशा से ही भारत के रोल को लेकर सवाल उठाता रहा है। पाक पर हमेशा आरोप लगते रहे हैं कि उसकी इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई नई दिल्ली को हराने के लिए आतंकियों की मदद कर रही है।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले दिनों ऐलान किया है कि अफगानिस्तान से करीब 7,000 और सीरिया से 2,000 अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाएंगे। ट्रंप का कहना है कि यह फैसला उन्होंने विदेश में अमेरिकी निवेश को कम करने के मकसद से उठाया है। वहीं ट्रंप ने साल 1979 से 1989 तक अफगानिस्तान पर रहे सोवियत संघ के कब्जे पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि रूस, सोवियत संघ हुआ करता था लेकिन आज अफगानिस्तान की वजह से यह रूस है क्योंकि अफगानिस्तान में लड़ाई के दौरान रशिया पूरी तरह से कंगाल हो गया था।