पृथ्वी पर गर्मी की वजह से आने वाला है जानलेवा संकट, भारत का ये महानगर दूसरे नंबर पर- शोध
न्यूयॉर्क, 6 अक्टूबर: इस साल अमेरिका और कनाडा के बड़े इलाके हीट डोम की वजह से बहुत बड़ी मुसीबत झेल चुके हैं। अत्यधिक गर्मी की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान जा चुकी है। वहीं भारत में कई जगहों पर बहुत ज्यादा बारिश भी हुई है। बादल फटने और भूस्खलन जैसी घटनाएं भी ज्यादा देखी गई हैं। लेकिन, अमेरिका में हुआ एक नया शोध पूरी दुनिया के लिए आने वाले समय में भयावह संकट की ओर इशारा कर रहा है। खासकर भारत के इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका जाहिर की गई है। यह संकट है जलवायु परिवर्तन के चलते देश में उसी तरह की हीट डोम की स्थिति बनने की, जिसके कारण अमेरिका और कनाडा में त्राहिमाम मच चुका है। कहा गया है कि दुनिया की जितनी बड़ी आबादी यह त्रासदी झेलने वाली है, उसके आधे से अधिक भारत में होंगे।
जानलेवा गर्मी झेलने वाले आधे से ज्यादा लोग भारत में होंगे-स्टडी
इसी हफ्ते नेशनल एकैडमी ऑफ साइंसेज में एक नई स्टडी प्रकाशित हुई है, जिसके आंकड़े पूरी दुनिया और खासकर भारत को लेकर बहुत ही भयानक हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से पृथ्वी पर जिन लोगों के लिए गर्मी जानलेवा साबित हो सकती है, उनमें से आधे से ज्यादा लोग भारत में रहते हैं। दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश की शहरी आबादी ने पिछले तीन दशकों में जलवायु परिवर्तन की मार सबसे ज्यादा झेली है और उनकी सेहत पर इसकी वजह से खतरा बढ़ना निश्चित है।
गर्मी की चपेट में आने वाले विश्व के शहरों में दिल्ली दूसरे नंबर पर
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने अपनी शोध में लिखा है, 'हमारा विश्लेषण भविष्य की स्थिरता और धरती के कई शहरी बस्तियों में रहने और जाने वाली आबादी के हितों को लेकर सवाल उठाता है।.........जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में अत्यधिक गर्मी की बारंबारता, अवधि और तीव्रता को बढ़ा रहा है।' भारत के लिए स्थिति की भयानकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अत्यधिक गर्मी के दबाव से प्रभावित दुनिया के 50 शहरों में से भारतीय शहरों की संख्या 17 है। इस लिस्ट में राजधानी दिल्ली दूसरे नंबर पर है और उससे पहले सिर्फ बांग्लादेश की राजधानी ढाका है।
विश्व के 13,115 शहरों का किया गया है विश्लेषण
इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने दुनियाभर के 13,115 शहरों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया है, जिसके लिए तथा-कथित वेट बल्ब इंडेक्स का इस्तेमाल किया गया है। इसके तहत तापमान, आद्रता, हवा की गति और रेडियन हीट की गणना की जाती है। जब यह माप 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, तो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि लोगों को गर्मी से संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ता है, जिससे मौत भी हो सकती है।
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हर पांचवें शख्स पर संकट
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के सांता बारबरा स्थित अर्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और इस स्टडी के को-ऑथर केल्ली केलॉर ने कहा है कि 'शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी का एक्सपोजर कहीं अधिक व्यापक है और जितना हमने पहले महसूस किया था, उससे कई और क्षेत्रों में बढ़ रहा है।' 'पृथ्वी पर पांच में से एक शख्स ने पिछले 30 वर्षों में बढ़ी हुई शहरी गर्मी का सामना किया है।'
एक उपन्यास में किया गया था इशारा
दो साल पहले विज्ञान पर उपन्यास लिखने वाले किम स्टेनली रॉबिन्सन ने द मिनिस्ट्री फॉर द फ्यूचर नाम की एक कहानी लिखी थी और अब लगता है कि वह भारत की स्थिति पर ही सटीक बैठती है। उसमें एक शहर की लगभग पूरी आबादी हीट डोम की चपेट में आकर खत्म हो गई थी, जिसके बाद जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने के लिए एक राजनीतिक क्रांति की शुरुआत हुई थी। दो साल बाद इस स्टडी में उसी कपोल-कल्पना को सच होने की आशंका की ओर इशारा किया गया है।