Coronavirus: चमगादड़ या सांप से नहीं बल्कि इस जीव से फैला जानलेवा कोरोनावायरस, कहीं आप तो नहीं कर रहे अनजाने में इसका सेवन
Coronavirus: A Deadly Coronavirus Spread Not By Bats or Snakes But by Pangolin, Know How China is Using It? चाइना में हुए शोध से पता चला है कि कोरोनावायरस सांप और चमगाइड़ के खाने से नहीं बल्कि वन्य जीव पेंगोलिन से मनुष्यों में फैला है। चाइना समेत एशिया की दवा कंपनियां पेंगोलिन का इस्तेमाल दवा बन
बेंगलुरु। चाइना में फैले कोरोनावायरस ने अब तक 600 से अधिक लोगों की जिंदगियां लील चुका है। कोरोना वायरस से मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या करीब 772 तक पहुंच चुकी हैं । वहीं, इस विषाणु से संक्रमित होने के अब तक करीब 34,546 से ज्यादा मामलों की पुष्टि हुई है।अभी तक यह माना जा रहा था कि चाइना के वुहान से फैला कोरोनावायरस चमगादड़ या सांप से मनुष्यों में फैला है। लेकिन चाइना के वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए शोध में कुछ और ही सच का खुलासा हुआ हैं।
हाल ही में वैज्ञानिकों के द्वारा की गयी खोज में यह बात सामने आयी है कि जनलेवा कोरोना वायरस सांप या चमगादड़ से नहीं बल्कि पैंगोलिन नामक वन्य जीव के कारण मनुष्यों में फैला हैं। साउथ चाइना एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर ये खुलासा किया है। विवि ने अपनी वेबसाइड पर जारी बयान में कहा कि है कोरोना वायरस पर उनके द्वारा की गयी रिसर्च के अनुसार कोरोना वायरस की रोकथाम और नियंत्रण किया जा सकता है। आइए जानते है क्या है ये पैंगोलिन नामक यह वन्य जीव और उसमें मौजूद कोरोना वायरस कैसे चाइना के लोगों में पहुंचा और कहीं चाइना के लोगों की तरह अनजाने में तो नहीं कर रहे इसका सेवन?
पैंगोलिन के जरिए मनुष्य में यह बीमारी आयी है
पहले बता दें चाइना के वैज्ञानिकों की रिसर्च के अनुसार कोरोना के स्ट्रेन का जीनोम, पैंगोलिन से मिले जीनोम से 99 प्रतिशत मिलता है। इस खोज में पता चला है कि कोरोना के मनुष्य में आने में वन्य जीव पैंगोलिन की भूमिका हो सकती हैं। इसी कारण पैंगोलिन के जरिए मनुष्य में यह बीमारी आयी है। अब तक अनुमान लगाए जा रहे थे कि चमगादड़ और सांपों से कोरोना का वायरस फैला। लेकिन नवीन शोध में पुष्टि हो चुकी है कि इसका कारण पैंगोलिन हैं। चाइना की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने भी ऐसी ही रिपोर्ट जारी कि है जिसमें कहा गया है कि शोध के मुताबिक पैंगोलिन से इंसानों इस बीमारी के आने की आशंका सबसे अधिक है।
चीन समेत एशिया के देश करते हैं इसका दवाओं में इस्तेमाल
पैंगोलिन शल्कों वाला एक मात्र स्तनधारी जीव है। एशिया के कई देशों में इसे खाने और दवाओं के इस्तेमाल किया जाता है। एशिया के कई देशों में इसे खाने में भी इस्तेमाल किया जाता है। पैंगोलिन एशिया का सबसे ज्यादा तस्करी किया जाना वाला वन्य जीव है। अंतरराष्ट्रीय कानून में इस जीव को संरक्षण दिया है। इसके मांस को चीन में बहुत स्वादिष्ट माना जाता है और इसके शरीर के शल्कों का परंपरागत औषधि को बनाने में इस्तेमाल होता है। लोगों को विश्वास है कि इससे नपुंसकता दूर होती है। इसके अलावा इससे अंधविश्वासों से भी जोड़ कर भी देखा जाता है।
लाखों में बिकता है एक पैंगोलिन
वैश्विक बाजार में पैंगोलिन की कीमत दस से बारह लाख रुपये है जबकि भारत में इसे तस्करी के जरिए 20 से 30 हजार रुपये में बेचा जाता है। पैंगोलिन एशिया का सबसे ज्यादा तस्करी किया जाना वाला जीव है। पैंगोलिन के शल्क का उपयोग चीन की पारंपरिक दवाएं बनाने में होता है। इसलिए यह व्यापार कालाबाजारी से होता है इसलिए यह नहीं पता चलता कि हर साल कितना मांस चीन निर्यात किया जाता है। चीनी संरक्षणविद कहते हैं कि पैंगोलिन चीन में बहुत कम होते हैं, इसलिए इनके अवैध आयात को बढ़ावा मिलता है। एशियन पैंगोलिन के व्यापार पर 2000 में प्रतिबंध लगा दिया गया था। 2017 में इसकी सभी आठों प्रजातियों के व्यापार पर पूरे विश्व में प्रतिबंध लगा दिया गया। चाइना बायोडाइवर्सिटी कंजर्वेशन एंड ग्रीन डेवलपमेंट फाउंडेशन (CBCGDF) के अनुसार चीन में 200 से ज्यादा दवा कंपनियां और 60 पारंपरिक दवा ब्रांड पैंगोलिन के शल्क से बनाई जाने वाली दवाएं बनाते हैं।
रेस्तरेन्ट में पैंगोलिन का परोसा जाता है मांस
हर साल चीनी अधिकारियों द्वारा दवा बनाने के लिए 29 टन पैंगोलिन शल्कों का इस्तेमाल करने की अनुमति है। इसके लिए 73,000 पैंगोलिनों की जरूरत होती है। CBCGDF ने दक्षिणी चीनी प्रांतों में पैंगोलिन की कालाबाजारी का पता लगाने के लिए अपनी टीमें भेजी। इन टीमों ने पाया कि कई रेस्तरेन्ट में पैंगोलिन का मांस परोसा जा रहा है। 2017 में चीनी अधिकारियों ने 13 टन पैंगोलिन शल्क पकड़े जो अवैध तरीके से लाए गए थे। विगत वर्ष हांगकांग में एक साथ 7.8 टन पैंगोलिन शल्क पकड़े गए जो चीन ले जाए जा रहे थे।
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क्या है कोरोना वायरस
कोरोना असल में वायरसों का एक बड़ा समूह है जो जानवरों में आम है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीएस) के अनुसार, कोरोना वायरस जानवरों से मनुष्यों तक पहुंच जाता है। नया चीनी कोरोनो वायरस, सार्स वायरस की तरह है। इसके संक्रमण से बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएं हो जाती हैं। यह न्यूमोनिया का कारण भी बन सकता है। इसकी स्थिति मिडल ईस्ट रेस्पाइरेट्री सिंड्रोम (एमईआरएस) और सेवल एक्युट रेस्पाइरेट्री सिंड्रोम (सार्स) से काफी मिलती जुलती है। हांगकांग विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के वायरोलॉजिस्ट लियो पून, जिन्होंने पहले इस वायरस को डिकोड किया था, उन्हें लगता है कि यह संभवतः एक जानवर में शुरू हुआ और मनुष्यों में फैल गया। इसके सामान्य प्रभावों के चलते सर्दी-जुकाम होता है लेकिन 'सिवीयर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स)' ऐसा कोरोनावायरस है जिसके प्रकोप से 2002-03 में चीन और हांगकांग में करीब 650 लोगों की मौत हो गई थी।
इस तरह से फैलता है कोरोना वायरस
वर्ल्ड हेल्थ ऑरगनाइजेशन के अनुसार कोरोना वायरस ( सीओवी ) एक जूनोटिक है। इसका मतलब है कि यह 2019-nCoV के जरिए जानवरों से मानव में फैला है। माना जा रहा है कि 2019-nCoV सीफूड खाने से फैला था। लेकिन अब कोरोना वायरस मानव से मानव में फैल रहा है। यह कोरोना वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने से फैल सकता है।
कोरोना वायरस के असर के लक्षण
कोरोना वायरस के लक्षणों में नाक बहना, खांसी, गले में खराश, कभी-कभी सिरदर्द और बुखार शामिल है, जो कुछ दिनों तक रह सकता है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए यह घातक है। बुजुर्ग और बच्चे इसके आसानी से शिकार हो रहे है। निमोनिया, फेफड़ों में सूजन, छींक आना, अस्थमा का बिगड़ना भी इसके लक्षण हैं।
क्या है इसका इलाज
इसका अभी तक कोई इलाज नहीं है। न तो कोरोना वायरस ( CoV ) की कोई वैक्सीन बनी है और न ही 2019-nCoV की। इससे बचने का यही तरीका है कि ऐहतियात बरतें। किसी बीमार, झुकाम, निमोनिया से ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। मास्क पहनें। अपनी आंखों, नाक और मुंह को न छुएं। हाथों को बार बार अच्छे से साबुन से धोएं।
ऐसे करें अपना बचाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने अथवा उसे कम करने के लिए कुछ एहतियात बरतने को कहा है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने भी ट्वीट किया है। ट्वीट में कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को कम करने के उपाय बताए गए हैं।
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