अंतरिक्ष में अमेरिका का 'अहंकार' करेगा खत्म! इस साल चीन लगा देगा स्पेस मिशनों की झड़ी, टेंशन में NASA
इंटरनेशनल स्पेस एजेंसी का हिस्सा चीन नहीं है और इसकी बड़ी वजह अमेरिका की आपत्ति को माना जाता है। अमेरिका का मानना है कि चीन के स्पेस मिशन पारदर्शी नहीं होते हैं।
बीजिंग, जनवरी 07: भविष्य में दुनिया का शहंशाह वही होगा, जिसका अंतरिक्ष में दबदबा हो और चीन इस बात को काफी अच्छे से समझता है, लिहाजा चीन काफी तेजी से अपने स्पेस मिशन को आगे बढ़ा रहा है और अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी अमेरिका की बादशाहत को खत्म करने की दिशा में इस साल एक दो नहीं, बल्कि 40 से ज्यादा मिशन को अंजाम देगा।
अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण होगा पूरा
अभी तक अंतरिक्ष में सिर्फ अमेरिका का ही स्पेस स्टेशन था, लेकिन इस साल चीन का भी स्पेस स्टेशन बनकर तैयार हो रहा है और पिछले कई सालों से चीनी ड्रैगन स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी कर रहा था। चीन के अंतरिक्ष वैज्ञानिक लगातार स्पेस स्टेशन बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और आखिरकार इस साल चीन का अंतरिक्ष स्टेशन बनकर तैयार होगा। अभी तक अंतरिक्ष मिशनों के लिए चीन को छोड़कर पूरी दुनिया नासा के स्पेस स्टेशन का इस्तेमाल करती है। आपको बता दें कि,भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का भी प्लान स्पेस स्टेशन तैयार करने की है, लेकिन अभी भारतीय मिशन में कई साल लगने वाले हैं।
इस साल के चीनी अंतरिक्ष मिशन
चीन एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन (सीएएससी) की हालिया घोषणा का हवाला देते हुए चीन की सरकारी सिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने गुरुवार को बताया है कि, इस साल चीनी अंतरिक्ष एजेंसी शेनझोउ क्रू मिशन, दो तियानझोउ कार्गो अंतरिक्ष यान और निर्माणाधीन अंतरिक्ष स्टेशन के अतिरिक्त दो मॉड्यूल को लॉंच करेगा। इसके अलावा चीन अपने अंतरिक्ष स्टेशन से संबंधित दूसरे मिशनों में कक्षीय मिलन और डॉकिंग, अतिरिक्त गतिविधियां और अंतरिक्ष यान वापसी मिशनों को भी अंजाम देगा। इसके साथ ही चीनी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि, लॉन्ग मार्च -6 ए वाहक रॉकेट भी 2022 में अपनी पहली उड़ान भरेगा।
चीन का चांद और मंगल मिशन
चंद्रमा और मंगल के लिए चीन एक साथ कई मिशन चला रहा है और हाल ही में चीन के रोबोट ने चंद्रमा की सतह से चट्टान और मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर भेजे थे, इसके साथ ही पिछले साल मंगल पर छह पहियों वाला रोबोट भी उतारने में चीन ने कामयाबी हासिल की है, इसके साथ ही चंद्रमा के सबसे दूर वाले हिस्से में भी चीन साल 2019 में ही अपने अंतरिक्ष यान को उतार चुका है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक बार अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन बनाने के बाद पिछले दो दशक पुराने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के नेतृत्व वाले 'इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन' का एकाधिकार खत्म हो जाएगा, जिसके 2024 में रिटायर्ड होने की उम्मीद है।
आईएसएस में नहीं है चीन
आपको बता दें कि, चीन को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानि आईएसएस का हिस्सा नहीं बनाया गया है और आईएसएस में कनाडा, जापान, रूसी संघ, अमेरिका और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के 11 सदस्य देश शामिल हैं। इस बीच, चीन के निर्माणाधीन अंतरिक्ष स्टेशन ने अपनी विशाल रोबोटिक भुजा के साथ एक कार्गो स्पेसशिप को सफलतापूर्वक लगा लिया है। गुरुवार सुबह 47 मिनट का युद्धाभ्यास तियांगोंग की 10 मीटर रोबोटिक भुजा के लिए पहला परीक्षण किया गया है, जो कामयाब रहा है। चीन के अंतरिक्ष इंजीनियरिंग कार्यालय (सीएमएसईओ) ने कहा, "चीन ने अपने स्पेस स्टेशन में रोबोटिक भुजाओं को कामयाबी के साथ जोड़ लिया है और अपने मालवाहक यान को भी कामयाबी के साथ स्पेस स्टेशन से जोड़ दिया गया है।''
T आकार है चीनी स्पेस स्टेशन
आपको बता दें कि अंतरिक्ष में चीन जिस स्पेस स्टेशन का निर्माण कर रहा वो T आकार का है, जिसके बीच में मुख्य मॉड्यूल होगा जबकि दोनों तरफ प्रयोगशाला कैप्सूल होंगे। चीन के स्पेस स्टेशन के मॉड्यूल का वजन 20 टन के करीब है और जब यहां पर अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर यान पहुंचेंगे तो इसका वजन बढ़कर 100 टन तक पहुंच सकता है। चीनी वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी की निचलीकक्षा से इस अंतरिक्ष स्टेशन को करीब 340 से 350 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जा रहा है। वहीं, चीन के वैज्ञानिक लेई जियान्यु ने अपने मिशन को विश्वस्तरीय क्वालिटी का बताया है।
स्पेस स्टेशन का हिस्सा नहीं है चीन
आपको बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस एजेंसी का हिस्सा चीन नहीं है और इसकी बड़ी वजह अमेरिका की आपत्ति को माना जाता है। अमेरिका का मानना है कि चीन के स्पेस मिशन पारदर्शी नहीं होते हैं और चीन अपने स्पेस मिशन को लेकर क्या क्या करता है, ये किसी को पता नहीं होता है। जबकि हर स्पेस मिशन दुनिया के लिए पारदर्शी होना चाहिए। क्योंकि अगर कुछ गड़बड़ी होती है तो इसका असर किसी एक देश पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर होगी। लेकिन, चीन को इससे मतलब नहीं है। वहीं, चीन के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह स्पेस स्टेशन इसी साल से काम करना शुरू कर देगा और 15 सालों तक इस स्पेस स्टेशन से चीन काम ले सकेगा।
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