चीन की शी जिनपिंग ने लगा दी लंका! 40 साल में सबसे घटिया आर्थिक विकास, 2023 में क्या होगा ? जानिए
चीन की अर्थव्यवस्था का विकास दर पिछले 40 साल में सबसे कम रहने का अनुमान जताया जा रहा है। साल 2022 की अंतिम तिमाही तो बहुत बुरे दौर से गुजरी है। 2023 के लिए भी विश्व बैंक कोई ज्यादा उम्मीद नहीं रख रहा है।
चीन ने कोरोना वायरस महामारी के शुरुआती दिनों से ही दुनिया को इस बीमारी और वायरस के बारे में गफलत में रखा है। आज जब वहां खुद वहीं की सरकारी मीडिया के हवाले एक ही महीने में 60 हजार से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना से होने की बात सामने आ रही है, तो भी विश्व के लिए उसपर यकीन कर लेना मुश्किल है। क्योंकि, चीन से निकले जानलेवा वायरस की वजह से दुनिया ने कोरोना में ना सिर्फ लाखों इंसानों को गंवाया है, बल्कि अर्थव्यवस्था इस कदर दबाव में रही है कि उबर पाना मुश्किल लगता रहा है। लेकिन, अब चीन खुद ही आर्थिक मोर्चे पर दबाव में है। पहले जीरो-कोविड पॉलिसी और फिर अचानक पूरी छूट ने इस क्षेत्र में उसे कम से कम चार दशक पीछे छोड़ दिया लगता है।
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40 साल में सबसे घटिया आर्थिक विकास!
चीन की आर्थिक विकास दर 2022 में चार दशकों में सबसे घटिया रहने की आशंका है। मंगलवार को होने वाले ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) के ऐलान से पहले विश्लेषकों ने यह अनुमान जताया है। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना शासित दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इस समय कोविड महामारी की ऐतिहासिक तबाही और उसकी वजह से पैदा हुए आर्थिक संकट का सामना कर रही है। एएफपी ने 10 एक्सपर्ट की राय के आधार पर बीते साल इसकी GDP में एक साल पहले के मुकाबले औसतन 2.7 बढ़ोतरी का अनुमान जताया है। 2021 के 8% के मुकाबले यह भारी गिरावट है।
चीन की शी जिनपिंग ने लगा दी लंका!
1976 में जब चीन के तानाशाह माओ जेडॉन्ग की मौत हुई थी, तब चीन की अर्थव्यवस्था सिर्फ 1.6 फीसदी के हिसाब से बढ़ी थी। इसी तरह 2019 के अंतिम में वुहान से कोरोना वायरस के निकलने के बाद 2020 में भी चीन की अर्थव्यवस्था बहुत बुरी तरह प्रभावित रही थी और उस साल के आंकड़े की तुलना मौजूदा परिस्थितियों में नहीं की जा रही है। तथ्य ये है कि चीन ने 2022 के लिए खुद ही करीब 5.5 का विकास दर तय कर रखा था। लेकिन, जिनपिंग सरकार की 'जीरो-कोविड' पॉलिसी ने इसका तेल निकाल दिया है। इस वजह से वहां निर्माण की गतिविधियों और खपत दोनों पर बहुत ज्यादा मार पड़ी है।
'जीरो-कोविड' पॉलिसी से सबकुछ खोलने तक बिगड़ी स्थिति
'जीरो-कोविड' पॉलिसी के तहत सख्त लॉकडाउन, क्वारंटीन और अनिवार्य मास टेस्टिंग की वजह से झेंग्झोउ जैसे प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में निर्माण और व्यापारिक प्रतिष्ठान ठप पड़ गए। दुनिया की सबसे बड़ी आइफोन निर्माण फैक्ट्री में काम रुक गया, जिससे पूरी दुनिया में खराब छवि बनी सो अलग, वैश्विक सप्लाई चेन पर भी असर पड़ा। लेकिन, नवंबर में जब जीरो-कोविड पॉलिसी का विरोध शुरू हुआ तो दिसंबर की शुरुआत में इसे अचानक से हटा लिया गया और फिर वहां कोरोना का विस्फोट शुरू हो गया।
चौथी तिमाही में हालात और बिगड़ने की आशंका
आज की तारीख में चीन कोविड संक्रमण का सामना कर रहा है, अस्पताल में बेड और मेडिकल स्टाफ की किल्लत है। आशंका है कि 2022 की चौथी-तिमाही में इसका और व्यापक असर पड़ने वाला है। बीजिंग स्थित चाइनीज एकैडमी ऑफ सोशल साइंसेज के अर्थशास्त्री झैंग मिंग ने कहा है, 'चौथी तिमाही अपेक्षाकृत रूप से मुश्किल है।.....यह किस तरह से भी हो रहा हो.....लेकिन विकास घट रहा है.....' चीन को निर्यात के मोर्चे पर बहुत बड़ी चपत लगी है और महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक के मुकाबले यह महामारी की शुरुआत से दिसंबर में पिछले साल के मुकाबले 9.9 फीसदी घट गया है, जो कि सबसे कम है। नवंबर में खपत भी कम गया था और निवेश में भी गिरावट देखी गई। झैंग के मुताबिक, 'चीनी अर्थव्यवस्था के तीनों ही मूल चीजें तुलनात्मक तौर पर मुश्किल में दिख रहा हैं, जिससे चौथी तिमाही में और दबाव रहेगा।'
2023 में चीन की अर्थव्यवस्था का क्या होगा ?
रैबोबैंक के एनालिस्ट तीयुवी मेविसीन ने उनकी बातों पर सहमति जताते हुए कहा है कि चौथी तिमाही में 'निश्चित तौर पर गिरावट दिखेगी, कोविड के तेज संक्रमण के कारण।' उन्होंने कहा कि 'इससे डिमांड और सप्लाई दोनों ही स्थितियों पर खराब असर पड़ेगा।' वहीं प्रॉपर्टी सेक्टर में अभी भी विकास का इंतजार है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट की उम्मीद है कि अब सबसे बुरा दौरा गुजर चुका है। वैसे फिर भी वर्ल्ड बैंक ने साल 2023 के लिए चीन की जीडीपी के विकास दर का अनुमान 4.3 फीसदी ही रखा है, जो कि उम्मीदों से काफी कम है।