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बर्बादी के कगार पर पहुंच रही चीन की अर्थव्यवस्था, डूब रहे हैं सरकारी बैंक, तबाह हुआ रियल एस्टेट सेक्टर

पिछले कुछ महीनों में चीन का जॉब मार्केट खराब हो गया है और सबसे हाल के आंकड़ों से पता चला है कि, 16 से 24 साल के उम्र के लोगों में बेरोजगारी की दर जुलाई में 19.9% के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई...

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हांगकांग, सितंबर 10: चीन गंभीर आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है। देश का विकास रुक गया है, युवा बेरोजगारी दर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुका है, रियल एस्टेस सेक्टर औंधे मुंह गिर चुका है और कंपनियां आपूर्ति श्रृंखला के गंभीर सिरदर्द से जूझ रही हैं। और इन सबसे भी बड़ी बात ये, कि दुनिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री बन चुके चीन के हाथ से अब ये सम्मान भी छिन चुका है। यानि, करीब करी विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बनने के बाद आखिर ऐसा क्या हो गया, कि चीन गंभीर संकट से जूझ रहा है और क्या चीन अपनी लुढ़कती हुई अर्थव्यवस्था को संभाल पाएगा?

गंभीर संकट में चीन की अर्थव्यवस्था

गंभीर संकट में चीन की अर्थव्यवस्था

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भीषण सूखे के प्रभाव से जूझ रही है और इसका विशाल रियल एस्टेट क्षेत्र बहुत अधिक कर्ज के चलते धाराशाई हो चुका है। लेकिन, उसके बाद भी बीजिंग अपनी कठोर ज़ीरो कोविड पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं करेगा और चीन के शहरों में इसी तरह से लॉकडाउन लगते रहेंगे। पिछले दो हफ्तों के भीतर चीन के आठ मेगासिटी पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन में चले गए हैं। जबकि, ये चीनी शहरें इन्फ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्टेशन के लिहाज से काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं और इन शहरों में करीब 13 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले डेढ़ महीने में ही चीन के अलग अलग 74 शहरों में लॉकडाउन लगाया गया है, जिससे करीब 31 करोड़ लोग गंभीर तौर पर प्रभावित हुए हैं। गोल्डमैन सैक्स ने पिछले हफ्ते अनुमान लगाया था कि, चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लॉकडाउन से प्रभावित शहरों की हिस्सेदारी 35 फीसदी है और इन शहरों के प्रभावित होने से चीन की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ा है। लेकिन, इतना सब होने के बाद भी चीन अपनी ज़ीरो कोविड पॉलिसी को लेकर जरा भी झुकने के लिए तैयार नहीं है।

क्या जिनपिंग की जिद से डूबेगा चीन?

क्या जिनपिंग की जिद से डूबेगा चीन?

वॉशिंगटन स्थिति थिंक टैंक, फाउंडेशन ऑफ डिफेंस डेमोक्रेसीज के सीनियर फेलो क्रेग सिंगलटन ने कहा कि, 'चीन अपनी ज़ीरो कोविड पॉलिसी की वजह से उपजी आर्थिक और सामाजिक लागतों को अवशोषित करने के लिए तैयार है क्योंकि, चीन में अगर ज्यादा लोगों की मौतें होती हैं, या फिर चीन में अगर कोविड मरीजों की वजह से अस्पतालों में भगदड़ मचलती है, तो फिर ,सरकार के लिए वो ज्यादा खतरे की बात होगी और सरकार की विश्वसनीयता को धक्का पहुंचेगा''। उन्होंने कहा कि, चीनी नेता शी जिनपिंग के लिए अपनी वैधता को बनाए रखना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह एक अभूतपूर्व तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने की कोशिश में हैं और जब कम्युनिस्ट पार्टी अगले महीने अपने नये नेता का चुनाव करेगी, तो कम्युनिस्ट पार्टी के कांग्रेस सदस्यों के मन में देश की स्थिति को लेकर कुछ सवाल मन में हो सकते हैं।'' सिंगलटन ने कहा कि, "पार्टी कांग्रेस की बैठक से पहले प्रमुख नीतिगत बदलाव की संभावना नहीं है, हालांकि हम शी जिनपिंग के राजनीतिक भविष्य के आश्वासन के बाद 2023 की शुरुआत में कुछ ज़ीरो कोविड पॉलिसी में थोड़ी नरमी देख सकते हैं।"

दिनों दिन खराब होती जा रही है स्थिति

दिनों दिन खराब होती जा रही है स्थिति

फाउंडेशन ऑफ डिफेंस डेमोक्रेसीज के सीनियर फेलो क्रेग सिंगलटन ने कहा कि, चीन की अर्थव्यवस्था के बाद संभलने के लिए वक्त और उपलब्ध नीतियां, दोनों के पास मौका खत्म होते जा रहा है और इसकी वजह से दिनों दिन आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। एएनजेड रिसर्च के ग्रेटर चाइना के प्रमुख अर्थशास्त्री रेमड युंग ने कहा कि, वैश्विक अर्थव्यवस्था, अगले कुछ महीनों में और खराब होती रहेगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय सरकारें "शून्य-कोविड को प्राथमिकता देने और वायरस के प्रकोप को खत्म करने के लिए और ज्यादा सख्त होंगी" क्योंकि पार्टी कांग्रेस की यही मंशा है। लेकिन, कोविड प्रतिबंधों के कड़े होने से चीन के "गोल्डन सितंबर, सिल्वर अक्टूबर" के दौरान खपत और निवेश पर गंभीर असर पड़ेगा, जो परंपरागत रूप से घरेलू बिक्री के लिए पीक सीजन माना जाता है। लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि, चीन के पास कोई जादू की छड़ी नहीं है, कि वो अपनी मर्जी से देश की अर्थव्यवस्था को लुढ़कने दे और फिर अपनी मर्जी से संभाल भी ले। युंग ने कहा कि, अमेरिकी और यूरोपीय बाजार में कमजोर मांग है और चीनी सामानों के लिए ऐसी स्थिति में बाजार कहां मिलेगा ? एक्सपर्ट्स का कहना है करिस, इस साल चीन की जीडीपी केवल 3% बढ़ेगी, जबकि, बीजिंग का आधिकारिक लक्ष्य 5.5% है। जबकि, नोमुरा ने इस सप्ताह अपने पूर्वानुमान को घटाकर 2.7% कर दिया है।

अत्यंत सख्त नीति भी खतरनाक

अत्यंत सख्त नीति भी खतरनाक

चीन की महामारी के प्रारंभिक चरण में कोविज कंट्रोल करने की नीति को सफल माना गया था। चीन ने 2020 और 2021 में वायरस को दूर रखने में कामयाबी हासिल की और जीडीपी में रिकॉर्ड संकुचन के बाद तेजी से रिकवरी का निर्माण करते हुए कई अन्य देशों में हुई मौतों की बड़ी संख्या को रोक दिया। 2020 में एक समारोह में, शी जिनपिंग ने घोषणा की, कि वायरस को नियंत्रित करने में चीन की सफलता पश्चिमी लोकतंत्र पर कम्युनिस्ट पार्टी की "श्रेष्ठता" का प्रमाण है। लेकिन, कुछ ही महीनों में खुद शी जिनपिंग समझ गये, कि उन्होंने आवेश में आकर कोविड पर जीत की घोषणा कर दी है, क्योंकि देश में कोरोना वायरस लौट चुका था और अपनी जिद और अहंकार को साबित करने के लिए चीन की जनता को अत्यंत सख्त लॉकडाउन में झोंक दिया गया और हर आलोचना के जवाब में उन्होंने यही दलील दी, कि अर्थव्यवस्था बचाने की तुलना में देश को कोविड से बचाना ज्यादा जरूरी है। जून महीने में वुहान की यात्रा में शी जिनपिंग ने कहा कि, चीन को अपनी शून्य-कोविड नीति बनाए रखनी चाहिए "भले ही यह अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाए।"

एक और निराशाजनक तिमाही

एक और निराशाजनक तिमाही

हालांकि, अपनी अत्यंत सख्त कोविड नीति को लेकर अटूट रहने की घोषणा करने के बाद अब सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार और बिजली की कमी से पार पाने के लिए पिछले महीने एक ट्रिलियन युआन यानि करीब 146 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की है और देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए नई घोषणाओं की झड़ी लगा दी। लेकिन, इन प्रयासों का कोई गंभीर असर देखने को नहीं मिला और देश में नई नौकरियों के ग्राफ में तेजी से संकुचन आया है और एएनजेड के येंग ने कहा कि सरकार के लिए "दो लक्ष्यों को एक साथ संतुलित करना बहुत कठिन है।" हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि चीनी अर्थव्यवस्था तीसरी तिमाही में एक और निराशाजनक प्रदर्शन की ओर बढ़ सकती है। एक साल पहले की तुलना में दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में केवल 0.4% की वृद्धि हुई, जबकि, पहली तिमाही में ये ग्रोथ रेट 4.8% था। पिछले सप्ताह जारी आधिकारिक और निजी क्षेत्र के सर्वेक्षणों से पता चला है कि, चीन का विनिर्माण उद्योग अगस्त में तीन महीनों में पहली बार सिकुड़ रहा है, जबकि सर्विस सेक्टर में वृद्धि धीमी हो गई है।

नौकरी और संपत्ति के मुद्दे

नौकरी और संपत्ति के मुद्दे

पिछले कुछ महीनों में चीन का जॉब मार्केट खराब हो गया है और सबसे हाल के आंकड़ों से पता चला है कि, 16 से 24 साल के उम्र के लोगों में बेरोजगारी की दर जुलाई में 19.9% के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई और इसने लगातार चौथे महीने इस रिकॉर्ड को तोड़ा है। इसका मतलब है कि चीन में अब शहरों और कस्बों में लगभग 2 करोड़ 10 लाख युवा बेरोजगार हैं, जबकि इस आंकड़े में ग्रामीण बेरोजगारी आधिकारिक आंकड़े शामिल नहीं है। एएनजेड के येंग ने कहा, "सबसे चिंताजनक मुद्दा नौकरियां हैं" युवा बेरोजगारी 20% या उससे अधिक तक जा सकती है।

प्रॉपर्टी सेक्टर भी गिरा

प्रॉपर्टी सेक्टर भी गिरा

इसके साथ ही शी जिनपिंग के अहंकार ने चीन के प्रॉपर्टी सेक्टर को गंभीर नुकसान पहुंचाया है और सरकार की सर्विलांस नीतियों की वजह से रियल एस्टेट गंभीर संकट में फंस गया है। चीन की सरकारी बैंकों के करीब 350 अरब डॉलर की राशि बाजार में फंस गई है और जिन लोगों ने फ्लैट या दुकान ले रखा है, उन्होंने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं और बैंकों को लिखकर देना शुरू कर दिया है, को वो उनकी उस प्रॉपर्टी को जब्त कर ले, वो पैसा वापस करने की स्थिति में नहीं है। वहीं, चीन की अर्थव्यवस्था में रियल एस्टेट सेक्टर की भागीदारी 30 प्रतिशत तक है, लिहाजा, इस सेक्टर के पतन होने से संपत्तियों की कीमत औंधे मुंह गिर गई है और काफी कम कीमत पर नये घर बिक रहे हैं। ऐसी स्थिति में माना जा रहा है, कि आने वाला वक्त चीन के लिए काफी ज्यादा मुश्किल होने वाला है और अगर चीन गंभीर आर्थिक संकट में फंस जाए, तो इससे किसी को हैरान नहीं होना चाहिए।

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English summary
China's economy is rapidly moving towards ruin and many banks are sinking, so the real estate sector is in a state of devastation.
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