सोवियत संघ की तरह ढह सकता है चीन, शी जिनपिंग को अपने ही सलाहकार ने क्यों दी सख्त चेतावनी
बीजिंग, 24 जनवरी: चीन का भी हाल सोवियत संघ जैसा हो सकता है। यह चेतावनी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अपने ही हाई-प्रोफाइल सलाहकार ने दी है। सबसे बड़ी बात ये है कि जिनपिंग सरकार के सलाहकार ने जिस विषय को लेकर ऐसी गुस्ताखी की है, दुनिया भर के देश उसपर पहले से ही सवाल उठाते रहे हैं। यह विषय है रक्षा के क्षेत्र में चीन का अत्यधिक बजट। चीन पर विस्तारवादी होने के आरोप उसके पड़ोसी मुल्कों के अलावा वह देश भी लगाते रहे हैं, जो उसकी सीमाओं से काफी दूर हैं। लेकिन, अब चीन की सत्ताधारी पार्टी के एक सलाहकार ने भी कहा है कि अगर जिनपिंग नहीं सुधरे तो हालात सोवियत जैसे भी हो सकते हैं।
सोवियत संघ की तरह ढह सकता है चीन
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपने ही एक सलाहकार ने उनकी नीतियों को लेकर सख्त चेतावनी दे डाली है। चीन के विदेश नीति के सर्वोच्च सलाहकार ने सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के चीफ और वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कहा है कि 'निरंकुश राष्ट्रीय सुरक्षा' के पीछे आंख बंद करके भागना और इसके नाम पर रक्षा में जरूरत से ज्यादा खपत करना मुल्क को भारी पड़ सकता है और वह सोवियत संघ की तर्ज पर बिखर सकता है। जिआ क्विग्गुओ चीन की सर्वोच्च पॉलिटिकल एडवाइजरी ग्रुप- चाइनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंस्लटेटिव कॉन्फ्रेंस के सदस्य हैं। उन्होंने यूएसएसआर को सबूत के तौर पर रखकर कहा है कि लंबे समय की सुरक्षा के नाम पर रक्षा खर्च बढ़ाते जाने की वजह से देश को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
रक्षा के नाम पर बेतहाशा खर्च पर सवाल
रविवार को साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने जो रिपोर्ट दी है उसके मुताबिक पूरे चीन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बड़े स्कूलों में यह पाठ बहुत ही प्रमुखता से पढ़ाया जाता है कि आखिर किस वजह से सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी शासित यूएसएसआर बिखर गया था, ताकि चीन में उन फैसलों को टाला जा सके। जिआ ने कहा है, सिक्योरिटी के नाम पर आंखें बंद करके कदम उठाते जाने के चलते, 'लागत में अप्रत्याशित वृद्धि होगी और लाभ उतनी ही तेजी से कम होता चला जाएगा, जबतक कि लागत के मुकाबले फायदे ना के बराबर हो जाएंगे।' चीन में कई नेता अक्सर पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हवाला देकर सीपीसी को उसके ऐतिहासिक अनुभवों से सीखने की सलाह देते रहे हैं।
जिनपिंग की सोच से की उलट बात
2012 में सत्ता में आने के कुछ महीनों बाद जिनपिंग ने कहा था कि 2 करोड़ कैडरों वाली पूर्ववर्ती सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी में अनुशासनहीनता की वजह से उसका बिखराव हुआ था। शी ने कहा था कि, 'अगर पार्टी के सदस्यों ने जो चाहा और वही किया तो पार्टी एक भीड़ में तब्दील हो जाएगी।' लेकिन, जिआ ने इंटरनेशनल सिक्योरिटी स्टडीज पर एक जर्नल में अपने 22 पन्नों के आर्टिकल में उनकी सरकार की ओर से अपनाई जा रही नीतियों के खिलाफ जोरदार पक्ष रखे हैं। जिआ अमेरिकी मामलों के एक्सपर्ट बताए जाते हैं और उनका कहना है कि रक्षा पर बहुत ज्यादा खर्च करने से दूसरे देश भी इसी तरह के कदम उठाएंगे, जिससे वो सभी कम सुरक्षित होते जाएंगे।
क्या जिनपिंग लिख रहे हैं चीन की तबाही का स्क्रिप्ट ?
उन्होंने बताया है कि 1991 में आखिरकार सोवियत संघ के ढहने की भी यही वजह रही। उन्होंने लिखा है, 'सोवियत संघ आर्थिक विकास में पिछड़ गया और वह विशाल रक्षा खर्च को संभालने में सक्षम नहीं रह गया। लंबे वक्त तक लोगों के जीवन में सुधार नहीं आया और इसकी वजह से उसने राजनीतिक समर्थन खो दिया।' वो लिखते हैं, 'इस तरह के कार्य क्षणिक फायदे के लिए लंबे-हितों की बलि चढ़ाते हैं और काफी हद तक उथल-पुथल मचाने (सोवियत जैसी) के बाद तबाह हो जाते हैं।'
पिछला रक्षा बजट 20,000 करोड़ डॉलर के पार
दरअसल, जब से शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की कमान संभाली है और सत्ता पर कब्जा किया है, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा ही इनकी नीति का केंद्र बिंदु बन गया है। पिछले साल चीन का सैन्य बजट 20,000 करोड़ डॉलर को पार कर गया था। माना जा रहा है कि इस साल मार्च में जो अगला बजट प्रस्ताव आएगा, वह इस भारी-भरकम रकम को भी पार कर जाएगा। वैसे चीन के विश्लेषकों की दलील है कि सोवियत से तुलना करना सही नहीं होगा, क्योंकि चीन आर्थिक विकास पर भी बहुत ज्यादा ध्यान देता है, और उसी वजह से यह दुनिया की दूसरी विशाल अर्थव्यवस्था के तौर पर उभर चुका है। एक ताजा आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक चीन की इकोनॉमी पिछले साल 8.1% से आगे बढ़कर 18 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हो चुकी है।