8,000 वर्ष पुराने अपने इस इतिहास को छिपाता है चीन, जानिए क्या है रहस्य
नई दिल्ली- कोरोना वायरस और पड़ोसी मुल्कों की जमीन हड़प नीति के कारण दुनिया में चीन की आज सबसे ज्यादा चर्चा है। लेकिन, हकीकत ये है कि दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं वाले देशों में से एक चीन की असलियत के बारे में आज भी लोगों को बहुत कम ही पता है। चीन के अंदर एक से बढ़कर एक राज दफन हैं, जिसके बारे में कोई चाहकर भी कोई जानकारी नहीं जुटा सकता। रहस्यमयी चीन का एक इतिहास ये भी है कि वहां मिस्र के ग्रेट पिरामिड से भी ऊंचे हजारों साल पुराने पिरामिड मौजूद हैं, लेकिन उसके अंदर क्या है, वह किस मकसद से बनाया गया होगा, आधुनिक विज्ञान के युग में भी उसके बारे में जानने-समझने की किसी को इजाजत नहीं है। उस 8,000 साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहर पर चीन की सेना की चौबीसों घंटे नजर रहती है।
मिस्र के ग्रेट पिरामिड से भी बड़े पिरामिड का राज ?
चीन के शियान में एक विशाल पिरामिड मौजूद है, लेकिन सदियों से यह बात छिपाकर रखी जा रही है। इनमें से एक पिरामिड तो मिस्र के दि ग्रेट पिरामिड से भी ऊंचा है, जिसके आसपास में छोटे-छोटे पिरामिड बने हुए हैं। लेकिन, जिस तरह की चीन की कोई भी बात दुनिया के लिए पहली ही बनी होती है, ऐसे पिरामिड के बारे में भी दुनिया आजतक अज्ञान बनी हुई है। लेकिन, सच्चाई है कि चीन में अनेकों रहस्यमयी पिरामिड मौजूद हैं, लेकिन उसके बारे में पता नहीं कि उसके अंदर है क्या? सबसे बड़ी बात ये है कि चीन के इस रहस्मयी पिरामिडों की सुरक्षा चीन के मिलिट्री गार्ड्स के पास है, जो इसपर निगरानी रखते हैं। माना जाता है कि इन पिरामिडों में चीन के इतिहास से जुड़े बहुत ही महत्तवपूर्ण राज छिपे हुए हैं, जिसे चीन हमेशा गुप्त ही रखना चाहता है।
आधुनिक युग में 1912 में मिली पहली बार जानकारी
हम चीन के जिस सबसे विशाल पिरामिड की बात कर रहे हैं, वह शियान से 100 किलोमीटर दूर जंगल के बीच में हैं। यहां पिरामिड के आकार वाले टिले सदियों से राज बने हुए हैं। पहली बार इन रहस्यमयी पिरामिडों के बारे में दुनिया को तब पता चला, जब एक अमेरिकी बिजनेसमैन फ्रेड मेयर स्कॉर्डर 1912 में वहां पहुंचे। उन्होंने अपनी डायरी में 1000 फीट और उससे भी ऊंचे पिरामिड का जिक्र किया है, जिसमें छोटे-छोटे पिरामिड मौजूद थे। 30 साल बाद अमेरिकी एयरफोर्स के पायलट जेम्स गॉउजमैन जब उस इलाके से गुजर रहे थे, तब उन्होंने मिस्र के दि ग्रेट पिरामिड से भी ऊंचा पिरामिड देखा था। उनके अनुसार उसमें मणि जैसा रत्न जड़ा हुआ था।
8,000 वर्ष पुराने अपने इस इतिहास को छिपाता है चीन
90 के दशक में जर्मन इंवेस्टिगेटर हार्टविग हउसड्रॉफ ने भी उसकी तलाश की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। हालांकि, जानकारी के मुताबिक वो इतना पता लगाने में कामयाब रहे कि उस इलाके पर चीन की सेना की सख्त निगरानी होती है। जानकारी के अनुसार ये पिरामिड 8,000 साल पुराने हैं और अब पेड़ों और घासों के नीचे दब गए हैं। इसलिए इनकी पहचान पुख्ता तौर पर बेहद करीब जाने से ही की जा सकती है। क्योंकि, दूर से ये पहाड़ी की तरह दिखते हैं। कहा यह भी जाता है कि यह चीन के पूर्ववर्ती राजघरानों के लोग दफन हैं, इसलिए उन्हें इतनी सुरक्षित तरीके से रखा जाता है।
चीन के पूर्व के शासक की टेराकोटा आर्मी
इन पिरामिडों को बाहर के पुरातत्वविदों को देखने की शायद ही अनुमति मिले, लेकिन उनके पास जो तस्वीरें पहुंचती हैं वह कहते हैं कि जानबूझकर असलियत छिपाने की कोशिश की गई है। ज्यादातर विशेषज्ञों की राय यही है कि उस इलाके में चीन के शासकों और मूल्यवान चीजों को दबाकर रखा गया है। इससे पहले 1974 में जब चीन के पहले शासक क्विन शी ह्वांग की टेराकोटा आर्मी का पता चला था पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई थी। तब भी वहां पर भी कुछ पर्यटकों को ही जाने की अनुमति तो दी जाती है, लेकिन ह्वांग के मकबरे तक पहुंचने की किसी को इजाजत नहीं मिलती। (तस्वीरें सौजन्य-गूगल अर्थ और सोशल मीडिया)
इसे भी पढ़ें- क्या तिब्बत में कृत्रिम झील बना रहा है चीन, अरुणाचल प्रदेश में अलर्ट