प्रयोगशाला में 'महायोद्धाओं' की फौज तैयार कर रहा चीन, क्या धरती का विनाश कर देंगे सुपर सोल्जर?
पिछले काफी सालों से प्रयोगशालाओं में जानवरों के हाइब्रिड बनाने की तैयारी की जा रही है और कई जानवरों के हाईब्रिड तैयार भी हुए हैं। जिनमें चीता और बाघ के हाइब्रिड बच्चे, शेर और भालू के बच्चे भी इस दुनिया में मौजूद हैं।
बीजिंग, दिसंबर 29: चीन के ऊपर प्रयोगशाला में कोरोना वायरस तैयार करने के जबरदस्त आरोप लगे हैं और पूरी दुनिया पिछले दो सालों से कोरोना वायरस से किस कदर परेशान है, ये हम सब जानते हैं। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की भट्टी बैठ चुकी है और 50 लाख से ज्यादा लोग इस वायरस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन अब खुलासा हुआ है कि, चीन अपने प्रयोगशाला में महायोद्धाओं की फसल तैयार कर रहा है और अब सवाल उठ रहे हैं, कि क्या चीन के इस प्रयोग से दुनिया में तबाही तो नहीं मच जाएगी?
प्रयोगशाला में बंदरों पर प्रयोग
पिछले काफी सालों से प्रयोगशालाओं में जानवरों के हाइब्रिड बनाने की तैयारी की जा रही है और कई जानवरों के हाईब्रिड तैयार भी हुए हैं। जिनमें चीता और बाघ के हाइब्रिड बच्चे, शेर और भालू के बच्चे भी इस दुनिया में मौजूद हैं, लेकिन अभी तक इंसान और जानवर को मिलाकर हाइब्रिड तैयार करने की कोशिश कामयाब नहीं हो पाई है। लेकिन, अब पता चल रहा है कि, चीन अपने प्रयोगशाला में इंसान और बंदर को मिलाकर एक ऐसा हाइब्रिड नस्ल तैयार करने की कोशिश कर रहा है, जिसका इस्तेमाल वो सैन्य शक्ति के तौर पर अपने दुश्मनों के खिलाफ कर सके।
अमेरिका कर चुका है प्रयास
इंसान और बंदर को मिलाकर हाइब्रिड बनाने की कोशिश चीन से पहले अमेरिका कर चुका है और अपने प्रयोग में बहुत हद तक अमेरिका कामयाब भी रहा था, लेकिन बाद में अमेरिका में इस प्रयोग को बंद कर दिया गया था। साल 2019 में अमेरिका के साल्ट इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल स्टडीज के प्रोफेसर जुआन कार्लोस इजपिसुआ बेलमोंटे के नेतृत्व में पहली बार हाइब्रिड नस्ल तैयार करने में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हासिल हुई थी और प्रयोगाशाला में अमेरिकन वैज्ञानिक इंसान और जानवर को मिलाकर हाइब्रिड बनाने में तैयार हो गये थे, लेकिन वो सिर्फ 19 दिनों तक ही जीवित रहा था।
रूस भी कर चुका है कोशिश
अमेरिका को जहां आंशिक सफलता मिली थी, वहीं 1920 के दशक में रूस में सोवियत वैज्ञानिकों को तानाशाह स्टालिन द्वारा एक हाइब्रिड एप-मैन "सुपर सैनिक" बनाने का आदेश दिया गया था, ताकि, ऐसे 'जानवर' इंसानों की तरफ फैसले ले सके, मगर खतरनाक परिस्थितियों में काम करने में सक्षम हो सके। उस समय के गुप्त दस्तावेज, जिन्हें 1990 के दशक में सार्वजनिक किया गया था, उसमें खुलासा हुआ है कि, सोवियत संघ के तानाशाह ने "अत्यधिक ताकत लेकिन अविकसित मस्तिष्क के साथ" मानव-वानरों की एक अपराजेय सेना बनाने की कोशिश की थी, जिन्हें भूख और प्यास नहीं लगे, मगर लड़ने में सक्षम हो।
इंसान और बानर की क्रॉस ब्रिडिंग
तानाशाह स्टालिन के कहने पर इस परियोजना का नेतृत्व इल्या इवानोविच इवानोव नाम के वैज्ञानिक ने किया था। हालांकि, ऐसे रिपोर्ट्स नहीं मिले हैं, जिससे पता चले कि, ये प्रोजेक्ट कामयाब हो पाया। ऐसी रिपोर्ट है कि, इस प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक इवानोव की 1930 के दशक में एक सोवियत कैंप में मौत हो गई थी और फिर इस प्रोजेक्ट का क्या हुआ, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। हालांकि, इसके बाद एक बार फिर से 1970 के दशक में म्यूटैंट चिपैंजी बनाने का विचाार वैज्ञानिकों के मन में आना शुरू हुआ, जिनमें भयानक मानवीय विशेषताएं हों। बाद में एक सर्कस में एक वानर ओलिवर के हाइब्रिड होने की सूचना मिली थी और कहा गया कि, ये वानर इंसानों की तरह हरकत कई बार करता है और इसके शरीर पर भी काफी कम बाल थे। हालांकि, उस बंदर की मौत के बाद पोस्टमार्टम में ये बात साबित नहीं हो पाई।
1967 में चीन ने शुरू किया प्रयोग
1980 के दशक में पहली बार जानकारी दी गई कि, साल 1967 से चीन ने भी इंसान और बंदरों के जीन को एक साथ मिलकर हाइब्रिड नस्ल का नया जीव पैदा करने की कोशिश की गई थी। और कहा गया कि, चीनी सरकार ने एक बार फिर से इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की इजाजत दी थी। वहीं, चीन के वैज्ञानिक डॉ जी योंगक्सियांग ने एक अखबार को बताया था कि, उनका लक्ष्य एक ऐसा जानवर पैदा करना था जो एक चिंपैंजी की अविश्वसनीय ताकत को बनाए रखते हुए बोल सके।
चीन में चल रहा है रिसर्च
उन्होंने कहा कि, हाइब्रिड "ह्यूमनजीज" का उपयोग खनन, भारी कृषि कार्य और बाहरी अंतरिक्ष और समुद्र की गहराई जैसे खतरनाक वातावरण में इंसानी खोज के लिए किया जाएगा। हालांकि, अभी तक, आनुवंशिक रूप से इंजीनियरिंग के द्वारा वानर-पुरुषों के सफलतापूर्वक उत्पादन के कोई प्रमाणित मामले नहीं हैं, हालांकि द सन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, एक ह्यूमनजी का जन्म अमेरिका में एक हाइब्रिडाइजेशन प्रोजेक्ट के दौरान हुआ था, लेकिन जानबूझकर लैब कर्मियों द्वारा उसे खत्म कर दिया गया। लेकिन, अब रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, चीन के प्रयोगशाला में तेजी से इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, जहां कानूनी अड़चने और इंसानों के अधिकार जैसी कोई बात मायने नहीं रखती है। कई वैज्ञानिकों ने इस तरह के प्रोजेक्ट का विरोध यह कहकर किया है, कि इससे एक ऐसे नस्ल के निर्माण होने का खतरा है, जो विकृत हो सकता है और जो इंसानी समाज के लिए खतरा हो सकता है।
चीनी वैज्ञानिकों ने बनाया दुनिया का पहला सुपर जज, सुनाएगा 97% सही फैसले, जानिए कैसे करेगा काम?