चीन ने नेपाल की पीठ में खंजर घोंपा, उसकी जमीन पर किया कब्जा, सरकारी रिपोर्ट से खुलासा
काठमांडू, 8 फरवरी: नेपाल सरकार की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि चीन तिब्बत से सटे नेपाल के क्षेत्र में अवैध कब्जा करता जा रहा है। यह इलाका पश्चिमी नेपाल का है और पहले भी ऐसी रिपोर्ट आ चुकी है की चीन धीरे-धीरे उन इलाकों में घुसपैठ करके उसकी जमीन हड़पता जा रहा है। इस मामले में नेपाल सरकार ने एक टास्क फोर्स तैयार किया था, जिसकी जांच में ड्रैगन की असल करतूत सामने आ गई है। हालांकि, नेपाल की मौजूदा शेर बहादुर देउबा सरकार ने इस रिपोर्ट को अभी भी सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन मीडिया में यह जांच रिपोर्ट लीक हो गई है और चीन का असली चेहरा नेपाल की जनता के सामने एक बार फिर से बेनकाब हो गया है।
नेपाल की जमीन पर चीन ने किया कब्जा- सरकारी रिपोर्ट
ऐसा पहली बार हुआ है कि नेपाल सरकार की जांच में आधिकारिक तौर पर साबित हुआ है कि चीन उसकी जमीन हड़प रहा है। हालांकि, अभी भी नेपाल सरकार आधिकारिक रूप से यह रिपोर्ट सार्वजनिक करने से हिचकिचा रही है, लेकिन यह बीबीसी के हाथ लग गई है। यह रिपोर्ट पिछले साल सितंबर में तैयार की गई है, जिसमें माना गया है कि पश्चिमी नेपाल के हुमला जिले में चीन नेपाल के क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रहा है। बता दें कि वन इंडिया ने सितंबर,2020 में ही एक रिपोर्ट पब्लिश की थी, जिसमें ड्रैगन की ओर से नेपाली जमीन हड़पे जाने की बात बताई गई थी। हालांकि, तब नेपाल में चीन के इशारे पर काम करने वाली कम्युनिस्ट सरकार थी, जिसने शायद अपनी जमीन गंवाने के बावजूद चीन को रोकने की कोशिश नहीं की थी।
चीनी दूतावास ने नेपाली रिपोर्ट को किया खारिज
हालांकि, अपनी आदत के अनुसार काठमांडू स्थित चीनी दूतावास ने नेपाल की जमीन पर अतिक्रमण करने के आरोपों को खारिज करने की कोशिश की है। बीबीसी के मुताबिक नेपाल सरकार ने अभी तक उसके सवालों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि ये रिपोर्ट नेपाल सरकार सार्वजनिक करने से क्यों बच रही है? जब से नेपाल की सत्ता पर कम्युनिस्ट पार्टियों का दखल बढ़ा है, उसने भारत के साथ प्राचीन और पारंपरिक संबंधों की कीमत पर चीन से दोस्ती बढ़ाने की कोशिश की नीति अपना रखी है। हालांकि, इस समय नेपाली कांग्रेस के शेर बहादूर देउबा की सरकार है। माना जा रहा है कि नई रिपोर्ट के सामने आने के बाद मौजूदा सरकार पर चीन से बढ़ते करीबी रिश्ते के खिलाफ नेपाली जनता का दबाव बढ़ सकता है।
1,400 किलोमीटर लंबी है नेपाल-चीन सीमा
नेपाल और चीन की सीमा हिमालय पर्वत श्रृंखला से होकर गुजरती है, जो कि करीब 1,400 किलोमीटर लंबी है। दोनों देशों के बीच 1960 की दशक में इसको लेकर कई समझौते हो चुके हैं। इनमें से बड़ा इलाका दूर-दराज इलाके में है, जहां पहुंचना बहुत ही मुश्किल होता है। सीमा के निर्धारण के लिए पिलर लगे हुए हैं, लेकिन कई इलाकों में चीन की ओर से बहुत ही चतुरता के साथ उसे भी उखाड़े जाने की खबरें आ चुकी हैं। इसकी वजह से कई बार यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि असल अंतरराष्ट्रीय सीमा आखिर है कहां? नेपाली सरकार ने हुमला में अपनी सीमा के अंदर चीन के अतिक्रमण का पता लगाने के लिए एक टास्क फोर्स भेजा था। जिसने अतिक्रमण की बातों सही पाया है। इसमें नेपाली पुलिस और सरकार के अधिकारियों को शामिल किया गया था। (दूसरी और तीसरी तस्वीर सौजन्य: पत्रकार गीता मोहन के ट्विटर से)
चीन ने नेपाल की पीठ में खंजर घोंपा
नेपाल सरकार के इस टास्क फोर्स की जांच रिपोर्ट में न सिर्फ चीन की ओर से जमीन हड़पने की बात को सही पाया गया है, बल्कि यह भी तथ्य सामने आया है कि चीन तो नेपाल में घूसकर उसकी जासूसी भी कर रहा है। चीन की हेकड़ी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है नेपाल के लालूंगजोंग इलाके में स्थानीय लोगों को पूजा-पाठ करने से भी रोकने लगा है। गौरतलब है कि पास में ही चीन की तरफ पवित्र कैलाश पर्वत है, जो कि हिंदुओं और बौद्ध के लिए बहुत ही पवित्र तीर्थ स्थान है और इसलिए लोग इलाके में बहुत ही श्रद्धा-भाव से पहुंचते रहे हैं। नेपाली सरकार की रिपोर्ट में यह बात भी स्वीकार किया गया है कि चीन अब स्थानीय नेपाली किसानों को पशुओं के चारागाह में जाने में भी अड़ंगा डाल रहा है।
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नेपाली सिक्योरिटी फोर्स तैनात किए जाने की सिपारिश
इसी इलाके में चीन सीमा पर मौजूद पिलर के पास बाड़ भी लगा चुका है और नेपाल के अंदर एक नहर और सड़क बनाने की भी कोशिश में जुटा हुआ है। जांचकर्ताओं ने पाया है कि नेपाल के अंदर चीन की बढ़ती दखलंदाजी देखने के बावजूद स्थानीय लोग इस विषय पर बात करने से इसलिए कतराते हैं, क्योंकि उन्हें सीमा पार चीन के बाजारों पर निर्भर रहना पड़ता है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि इलाके में नेपाली सिक्योरिटी फोर्स तैनात किए जाएं, ताकि क्षेत्र को सुरक्षित रखा जा सके। नेपाल के एक प्रमुख मानचित्रकार और नेपाली सर्वे विभाग के पूर्व प्रमुख बुद्धि नारायण श्रेष्ठ ने कहा है कि सीमा के आसपास रहने वाले लोगों को स्पष्ट तौर पर बताना चाहिए कि असली सीमा कहां तक है, ताकि नेपाल के क्षेत्र को सुरक्षित किया जा सके।