आर्थिक संकट में ब्रिटेन! पीएम ट्रस ने किया आर्थिक योजना का बचाव, बोलीं, तत्काल कदम उठाने होंगे
टैक्स में कटौती के वादे के साथ गवर्निंग कंजर्वेटिव पार्टी का नेतृत्व जीतने के बाद लिज़ ट्रस 6 सितंबर को ब्रिटने की प्रधान मंत्री बनी थीं।
लंदन, 29 सितंबर : ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस (British Prime Minister Liz Truss) ने गुरुवार को अपनी कर कटौती की योजना के कारण वित्तीय बाजारों में लगभग एक सप्ताह की अराजकता के बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि की खातिर वह 'मुश्किल फैसले' लेने के लिए तैयार थीं। बता दें कि,ब्रिटेन की नयी सरकार द्वारा करों में कटौती और खर्च को बढ़ावा देने की योजना सामने आने के बाद सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ब्रिटिश पाउंड में तेज गिरावट हुई थी।
ब्रिटेन बेहद कठिन आर्थिक स्थिति की दौर से गुजर रहा है
प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने कहा कि ब्रिटेन बेहद कठिन आर्थिक स्थिति की दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि, ये समस्याएं वैश्विक हैं और इसकी बड़ी वजह रूस का यूक्रेन पर हमला करना है। ट्रस ने बीबीसी के स्थानीय रेडियो पर बोलते हुए कहा, ब्रिटेन को गतिशील और अर्थव्यवस्था में तेजी बनाए रखने तथा मुद्रास्फीति से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे। लिज ने कहा कि, एक प्रधानमंत्री के तौर पर मैं मुश्किल फैसले लेने के लिए तैयार हूं क्योंकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।
टैक्स में कटौती का कितना असर
टैक्स में कटौती के वादे के साथ गवर्निंग कंजर्वेटिव पार्टी का नेतृत्व जीतने के बाद लिज़ ट्रस 6 सितंबर को ब्रिटने की प्रधान मंत्री बनी थीं। बता दें कि, जब लिज ट्रस ने पीएम बनने के लिए बड़ी-बड़ी लुभावने वादे किए थे उस समय ऋषि सुनक ने कहा था कि वे भले ही हार जाएं, लेकिुन वो लिज जैसी घोषणाएं नहीं करेंगे। क्योंकि इससे देश की अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ सकती है।
बड़े-बड़े वादे किए थे ट्रस ने
हालांकि, ट्रस ने वादों की झड़ी लगाकर पीएम बन गईं लेकिन अभी उनके पीएम बने हुए एक महीना भी नहीं हुआ है, देश की हालत खराब होती चली जा रही है। लिज ट्रस ने अपने चुनावी वादे फ्री मार्केट एजेंडा को पूरा कर लिया है, जिसकी वजह से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के साथ ही साथ उनकी सरकार भी डूब सकती है।
मुश्किल में ट्रस?
फ्री मार्केट एजेंडा लागू करने के सिर्फ चार दिनों के बाद ही लिज ट्रस ने टैक्स में कटौती और बाजार को डीरेग्यूलट कर दिया। जिसका इसका नतीजा ये हुआ कि डॉलर के मुकाबले ब्रिटिश करेंसी पाउंड के वैल्यू में तेजी से गिरावट आई।
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