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अब खुली पाकिस्तान की आंखें, चीन की दोस्ती किसी काम की नहीं

चीन के साथ संबंधों को लेकर पाकिस्तान में उठी आवाज, व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने पर ध्यान नहीं देता चीन

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इस्लामाबाद। एक तरफ जहां तीन महीने से भारत और चीन के बीच चल रहे डोकलाम विवाद पर विराम लग गया है तो दूसरी तरफ चीन और पाकिस्तान के बीच के रिश्ते कुछ खास आगे बढ़ते नहीं दिख रहे हैं। पाकिस्तान के व्यापारी वर्ग को अब इस बात का एहसास होने लगा है कि चीन के साथ बिजनेस के लिहाज से यहां के व्यापारी वर्ग से बात करना आसान काम नहीं है। पाकिस्तान के व्यापारी वर्ग को इस बात का एहसास होने लगा है कि चीन के व्यापारी सरकार के साथ बेहतर संबंध बनाने पर ज्यादा ध्यान देते हैं बजाए प्राइवेट पार्टनर्शिप को मजबूत करने के।

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अपनी शर्तों पर व्यापार करता है चीन
पाक का व्यापारी वर्ग इस बात को महसूस करने लगा है कि उसके लिए भावनाओं से बढ़कर व्यापार में मुनाफा ज्यादा अहम है। पाकिस्तान में हाल ही में जो एक रिपोर्ट छपी है उसके अनुसार चीन पाकिस्तान सरकार के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने पर ज्यादा ध्यान दे रहा है नाकि पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंध को मजबूत करने पर। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के व्यापारी पाकिस्तान के साथ ज्यादा समझौता नहीं करते हैं, वह अपनी शर्तों को आगे रखते हैं और इसकी अपेक्षा करते हैं कि इन शर्तों को माना जाए।

चीन की दोस्ती मतलब की दोस्ती तो नहीं
पाकिस्तान के व्यापारी ने इस वास्तविकता को देर से ही पर अब गंभीरता से महसूस किया है, और अब पाक के लिए यह संदेश भी है कि वह इसे चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के नजरिए से भी देखे। हालांकि कई अहम मुद्दों पर चीन ने पाकिस्तान की कूटनीतिक मदद की है। लेकिन किसी भी देश की स्थिरता यहां की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है, लिहाजा पाकिस्तान का चीन के साथ संबंध व्यापारिक तौर पर अगर मजबूत नहीं होता है तो इस संबंध का पाक को कुछ खास लाभ होने वाला नहीं है। पाकिस्तान में एक सवाल यह भी उठने लगा है कि जिस तरह से चीन लगातार एक के बाद पाकिस्तान के साथ करार कर रहा है क्या उससे पाकिस्तान को कोई लाभ होने वाला है, क्या पाकिस्तान अपने हितों के लिए भी चीन के सामने कोई शर्त रखता है।

सीपेक को लेकर भी उठने लगे हैं सवाल
चीन सीपेक पर लगातार काम कर रहा है और इसके लिए पाकिस्तान के साथ करार भी किया है, इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में बड़ा स्थान हासिल कर लेगा. लेकिन इसके बीच जो बड़ा सवाल पाकिस्तान के सामने है वह यह कि क्या इस प्रोजेक्ट को पाक में बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकेगा, क्या इसमे पारदर्शिता होगी। पाक में यह भी सवाल उठने लगे हैं कि क्या चीन की सहूलियत के लिए उसी के हिसाब से परिस्थितियों को बदला जा रहा है। पाकिस्तान के लिए सीपेक एक बेहतर प्रोजेक्ट है, लेकिन पाकिस्तान के लिए इस प्रोजेक्ट में पारदर्शिता भी काफी अहम है।

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English summary
Big concerns for Pakistan with the relation of China. Business community. China hardly negotiate with Pakistani businessman.
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