स्वास्थ्य के लिए नींद में सपने आने के क्या फायदे हैं ? जानिए
हमारे स्वास्थ्य के लिए सपने देखना बहुत ही जरूरी है। यह अब वैज्ञानिकों ने भी रिसर्च के आधार पर बताया है। सपने देखने के दौरान हमारे दिमाग में ऐसी प्रक्रिया होती है, जिससे हम चिंताओं से उबर सकते हैं।
नींद में सपने आना सामान्य सी बात है। कुछ लोग सपने के प्रकार को लेकर भी सोचते रहते हैं। लेकिन, हम वैज्ञानिक आधार पर बात करते हैं कि सपने क्यों आते हैं। सपने आना अच्छा है या बुरा। यही नहीं, नींद की किस अवस्था में सपने आते हैं। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए किस तरह से लाभदायक हो सकता है। शोधकर्ताओं ने काफी कड़ी मेहनत के बाद पाया है कि सपने देखना नींद की बहुत ही अच्छी अवस्था है और हमें अच्छी नींद आए और हम सुबह फ्रेश महसूस करें तो इसके लिए सपने देखना भी जरूरी है। क्योंकि, इसका हमारी भावनाओं और संवेदनशीलता से सीधा कनेक्शन है।
स्वप्न
निद्रा
क्या
है
?
वैज्ञानिकों
ने
नई
रिसर्च
के
आधार
पर
दावा
किया
है
कि
नींद
के
अलग-अलग
चरणों
में
रैपिड
आई
मूवमेंट
(REM)
से
बेहतर
कुछ
नहीं
है।
आमतौर
पर
इसे
स्वप्न
निद्रा
कहते
है।
यह
वह
स्थिति
होती
है,
जब
हमारी
आंखों
की
पुतलियां
तेजी
से
घूमती
रहती
हैं।
इंसान
नींद
की
इसी
अवस्था
में
सपने
देखता
है।
आमतौर
पर
हमारे
स्लीप
ट्रैकर
नींद
की
तीन
या
चार
अवस्थाओं
का
रिकॉर्ड
बताते
हैं।
डीप
स्लीप
(गहरी
नींद),
लाइट
स्लीप
(हल्की
नींद)
और
आरईएएम
या
स्वप्न
निद्रा।
हल्की
नींद
की
भी
दो
अवस्था
होती
है।
आमतौर
पर
लोग
हल्की
नींद
में
ज्यादा
देर
सोते
हैं
और
गहरी
नींद
उसके
मुकाबले
कम
समय
के
लिए
होती
है।
इसी
तरह
से
एक
आम
इंसान
में
स्वप्न
निद्रा
भी
कम
देर
के
लिए
ही
होती
है।
लेकिन,
विशेषज्ञ
इसे
बहुत
ही
लाभकारी
मानते
हैं।
स्वप्न
निद्रा
से
जुड़ा
है
दीर्घायु
होने
का
कनेक्शन
न्यूयॉर्क
टाइम्स
की
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
दक्षिणी
कैलिफोर्निया
यूनिवर्सिटी
के
केक
स्कूल
ऑफ
मेडिसिन
के
स्लीप
मेडिसिन
एंड
पल्मोनरी
विशेषज्ञ
डॉक्टर
राजकुमार
दासगुप्ता
ने
कहा
है,
'इसे
पैरडाक्सिकल
स्लीप
या
ऐक्टिव
स्लीप
भी
कहा
जाता
है।
क्योंकि.
आरईएम
वास्तव
में
जागृत
अवस्था
के
बहुत
ही
निकट
है।'
वैज्ञानिकों
ने
आरईएम
की
खोज
1950
के
दशक
में
की
थी।
उससे
पहले
इसके
बारे
में
ज्यादा
जानकारी
नहीं
थी
कि
रात
के
समय
दिमाग
में
कुछ
चलता
भी
है।
लेकिन,
आज
की
तारीख
में
शोधकर्ताओं
का
मानना
है
कि
नींद
बहुत
ही
सक्रिय
प्रक्रिया
है,
जिसमें
विभिन्न
प्रकार
की
आराम
की
अवस्था
होती
है।
आरईएम
भी
इसी
में
शामिल
है,
जो
कि
एक
तरह
से
पूरी
तरह
से
आराम
की
तरह
नहीं
लगता।
डॉक्टर
दासगुप्ता
का
कहना
है
कि
वैसे
'यह
कहना
सही
होगा
कि
आरईएम
स्लीप
के
बारे
में
अभी
बहुत
कुछ
जानना
बाकी
है।'
लेकिन,
शोधकर्ता
इतना
जरूर
समझ
चुके
हैं
कि
यह
हमारे
भावनात्मक
स्वास्थ्य
और
दिमागी
सक्रियता
के
लिए
बहुत
ही
महत्वपूर्ण
है।
संभावित
रूप
से
हमारे
दीर्घायु
की
क्षमता
भी
इससे
जुड़ा
हुआ
है।
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नींद
के
चार
चरण
क्या
होते
हैं
?
वैज्ञानिकों
के
मुताबिक
जब
हम
झपकी
लेते
हैं,
तो
गैर-आरईएम
के
पहले
चरण
में
प्रवेश
करते
हैं।
यह
मुश्किल
से
10
मिनट
का
चरण
होता
है
और
इसकी
गिनती
स्लीप
ट्रैकर
हल्की
नींद
में
करता
है।
जैसे
ही
हम
इस
स्थिति
के
अगले
चरण
में
प्रवेश
करते
हैं,
हमारी
सांसें
और
हृदय
गति
धीमी
होती
है
और
मांसपेशियां
रिलैक्स
अनुभव
करती
हैं।
शरीर
का
तापमान
गिर
जाता
है
और
मस्तिष्क
की
तरंगें
भी
मंद
हो
जाती
हैं।
यह
हल्की
नींद
का
दूसरा
चरण
है।
इसकी
अगली
अवस्था
गहरी
निद्रा
की
होती
है।
यह
बहुत
ही
महत्वपूर्ण
फेज
है।
इसमें
हमारा
शरीर
हमारी
हड्डियों
और
मांसपेशियों
को
दुरुस्त
करता
है,
हमारा
इम्यून
सिस्टम
मजबूत
होता
है,
हार्मोन
निकलता
और
हमें
वापस
से
ऊर्जा
मिलती
है।
इसके
बाद
वाले
चरण
में
आरईएम
स्लीप
(स्वप्न
निद्रा)
की
अवस्था
शुरू
होती
है।
स्वप्न
निद्रा
के
दौरान
हमारे
शरीर
में
क्या
होता
है
?
आरईएम
स्लीप
के
दौरान
शरीर
की
सारी
गतिविधियां
अचानक
से
रफ्तार
पकड़
लेती
हैं।
इस
अवस्था
में
हमारी
हृदय
गति,
सांसें
और
दिमागी
गतिविधियां
सब
बढ़
जाती
है।
दिमाग
में
भावना
और
संवेदनशीलता
वाले
जो
क्षेत्र
(जो
सपने
आने
के
लिए
जिम्मेदार)
होते
हैं,
वह
अचानक
जागृत
हो
जाते
हैं।
दासगुप्ता
ने
इसके
बारे
में
बताया
कि
इस
समय
हमारा
मस्तिष्क
हमारी
बाहों
और
पैरों
को
शिथिल
कर
देता
है,
ताकि
सपने
के
मुताबिक
वह
हरकत
में
ना
आने
लग
जाएं।
पेन
मेडिसिन
में
स्लीप
स्पेशियलिस्ट
और
अमेरिका
के
वीए
मेडिकल
सेंटर
में
असोशिएट
प्रोफेसर
डॉक्टर
इंदिरा
गुरुभगवतुला
का
कहना
है
कि
आदर्श
रूप
में
हम
नींद
के
दौरान
90
से
110
मिनट
की
साइकिल
में
चार
चरणों
में
गुजरते
हैं।
पूरी
नींद
के
दौरान
यह
प्रक्रिया
4
से
6
बार
होती
है।
सबसे
आखिरी
आरईएम
साइकिल
के
बाद
हम
जाग
जाते
हैं।
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नींद
में
सपने
आने
के
फायदे
अगर
आप
कभी
बिस्तर
पर
बहुत
ही
परेशान
अवस्था
में
जाते
हैं।
लेकिन,
सुबह
जब
नींद
खुलती
है
तो
वह
परेशानी
काफी
कम
महसूस
हो
रही
होती
है
या
नहीं
के
बराबर
रह
जाती
है।
संभव
है
कि
आरईएम
निद्रा
के
दौरान
जब
आपके
मस्तिष्क
में
भावनात्मक
और
यादाश्त
संबंधी
प्रक्रिया
हुई
है,
यह
उसी
का
नतीजा
रहा
हो।
न्यूरोसाइंस
और
साइकोलॉजी
के
प्रोफेसर
और
कैलिफोर्निया
यूनिवर्सिटी
में
सेंटर
फॉर
ह्यूमैन
स्लीप
साइंस
के
फाउंडर
और
डायरेक्टर
मैथ्यू
वॉकर
के
मुताबिक
इस
बात
के
साक्ष्य
हैं
कि
इस
इस
प्रक्रिया
के
दौरान
मस्तिष्क
हमारे
दिमाग
से
हमारे
जीवन
की
मुश्किलों
और
परेशान
करने
वाली
चीजों
को
निकाल
देता
है।
उनके
मुताबिक,
आरईएम
'एक
रात्रिकालीन
उपचार
की
तरह'
है।
रैपिड
आई
मूवमेंट
या
आरईएम
हममें
सीखने
की
शक्ति
बढ़ाता
है।
अमेरिका
के
हार्वर्ड
मेडिकल
स्कूल
की
इंस्ट्रक्टर
और
ब्रिघम
एंड
वुमेंस
हॉस्पिटल
में
स्लीप
एंड
सर्कैडियन
डिजॉर्डर्स
में
असोशिएट
साइंटिस्ट
रेबेका
रॉबिंस
ने
कहा
है
कि
आरईएम
निद्रा
के
दौरान
हमारा
दिमाग
पिछले
दिन
के
अनुभव
से
पैदा
हुए
न्यूरल
कनेक्शन
को
मजूबत
करता
है
और
उसे
मौजूदा
नेटवर्क
में
मिला
देता
है।