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अंतरिक्ष में दिखा कुछ ऐसा जो आज से पहले कभी नहीं खोजा गया, भारत से है ये कनेक्शन

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नई दिल्ली। अंतरिक्ष में अभी बहुत कुछ खोजा जाना बाकि है और अलग-अलग देशों के खगोलविद लगातार ब्रह्मांड में जीवन की संभावनाओं की खोज में लगे हुए हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं को अंतरिक्ष में कुछ ऐसा भी दिखाई दे जाता है जिसकी खोज इससे पहले भी नहीं की गई होती है। हम भले ही सैकड़ों शोध या अध्ययन कर लें लेकिन कभी भी उन सभी चीजों को देख या जान नहीं पाएंगे जो अंतरिक्ष की गहराई में छिपे हैं, कम से कम निकट भविष्य में तो यह संभव नहीं है।

वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी को दिखी रहस्यमय आकृति

वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी को दिखी रहस्यमय आकृति

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री रे नॉरिस के नेतृत्व वाली शोधकर्ताओं की एक टीम ने अंतरिक्ष में खगोलीय पिंडों का एक समूह देखा है जो पहले देखी गई चीजों के बिल्कुल ही उलट है। ऐस्ट्रोनॉमर्स की एक टीम ने डीप स्पेस में रेडियो वेव्स के बनीं चार रहस्यमयी गोल आकृतियों को डिटेक्ट किया है। रे नॉरिस की टीम ने इन आकृतियों को EMU की मदद से डिटेक्ट किया है।

भारत के टेलिस्कोप डेटा में भी मिला

भारत के टेलिस्कोप डेटा में भी मिला

चार वस्तुओं को आस्ट्रेलियन स्क्वायर किलोमीटर अर्रे पाथफाइंडर टेलीस्कोप की मदद से देखा गया था। देखे गए गोल आकृतियों में तीन के चारों ओर चमकीले छल्ले भी देखे गए हैं। खगोलविद इन अज्ञात वस्तुओं को 'ऑड रेडियो सर्कल', या ओआरसी कह रहे हैं और खगोलशास्त्री इन्हें चमकदार गेंदों के रूप में बता रहे हैं। ऐस्ट्रोनॉमर्स का कहना है कि ऐसा कुछ उन्होंने पहले कभी नहीं देखा है। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से एक आकृति को भारत के टेलिस्कोप डेटा में पाया गया है।

EMU से की गई खोज

EMU से की गई खोज

द न्यू यॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी ओआरसी आकृतियों को पिछले साल पहली बार रात के आसमान के सर्वेक्षण के दौरान देखा गया था। बता दें कि EMU (ब्रह्मांड का मैप) उन छिपे हुए कोनों की खोज करने के लिए बनाया गया है जहां अब तक कोई टेलीस्कोप नहीं पहुंच सकता है। ईएमयू से ऐस्ट्रोनॉमर्स यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि गैलेक्सी और ब्रह्मांड जैसा आज दिख रहा है, वैसा कैसे बना। ऑस्ट्रेलियन स्क्वेयर किलोमीटर ऐरे पाथफाइंडर के खगोलविदों ने अपने अध्ययन को लेकर एक रिपोर्ट भी पेश की है।

आज से पहले नहीं देखे गए ऐसे खगोलीय पिंड

आज से पहले नहीं देखे गए ऐसे खगोलीय पिंड

इसमें कहा गया है कि हमने खगोलीय पिंडों की एक अप्रत्याशित श्रेणी पाई है, जो ब्रह्मांड का मैप पहले रिपोर्ट नहीं की गई है। अंतरिक्ष में दिखाई दे रही आकृति गोलाकार रूप से चमकती हुई डिस्क के रूप में एक आर्कमिन व्यास में दिखाई देती हैं और किसी भी प्रकार की वस्तु के अनुरूप नहीं लगती हैं। उन्होंने आगे कहा, 'हम अनुमान लगा रहे हैं कि गैलेक्सी की वजह से ही ये ऑब्जेक्ट पैदा हुए होंगे। इनमें से दो के गैलेक्सी में होने के संकेत मिले हैं। प्रफेसर नॉरिस का कहना है कि रेडियोऐस्ट्रोनॉमी में यह अपने तरह के पहले ऑब्जेक्ट मिले हैं।

जांच में जुटे खगोलविद

जांच में जुटे खगोलविद

खगोलविद अब इन चार वस्तुओं की उत्पत्ति का पता लगाना में जुट गए हैं। वह इन आकृतियों पर आगे के अध्ययन और उनकी जांच करना जारी रखेंगे। ऐसा माना जा रहा है ईएमयू से 7 करोड़ रेडियो स्रोतों को डिटेक्ट किया जा सकेगा जबकि इससे पहले सिर्फ 25 लाख स्रोतों का ही पता लगाया जा सकता था। ऐस्ट्रोनॉमर्स के मुताबिक ज्यादातर स्त्रोत लाखों प्रकाशवर्ष दूर स्थित गैलेक्सी से मिलते हैं। उम्मीद है ईएमयू की मदद से कम से कम आधी गैलेक्सी को समझने में मदद मिलेगी जहां सितारे बनते होंगे।

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English summary
astronomers found mysterious circular objects in deep space Connection to india too
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