जानिए 30 जून को लेकर लोगों के मन में क्यों है इतनी दहशत
फिट्जिमन्स इस मामले पर चेतावनी देते हुए कहते हैं, एक बड़ा क्षुद्रग्रह बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है। जो आज की दुनिया के किसी भी हिस्से में एक अनापेक्षित टक्कर से किसी भी प्रमुख शहर को नष्ट कर सकता है।
नई दिल्ली। अंतरिक्ष में भटक रहा सबसे बड़ा उल्का पिंड (छोटा तारा) इस माह के अंत में धरती के सबसे पास से गुजरेगा। इस दौरान चंद्रमा से इसकी दूरी कुछ ही किमी रह जाएगी और अगर गुरुत्वाकर्षण के कारण यह पृथ्वी से टकरा गया तो आधी दुनिया का सफाया हो सकता है। खगोल विज्ञानी इसके धरती से टकराने की संभावना बता रहे हैं और उनका मानना है कि 30 जून को ऐसा हो सकता है। आपको बता दें कि 30 जून को ही ऐस्टॅरॉइड डे मनाया जाता है।
30 जून को ही ऐस्टॅरॉइड डे
आपको बता दें कि साल 1908 में 30 जून को तुंगस्का घटना हुई थी जिसे किसी धूमकेतु या उल्का की वजह से होना माना जाता है। इसे तुंगुस्का घटना से इसलिए जानते हैं क्योंकि यह तुंगुस्का नदी के किनारे हुई थी। विस्फोट जमीन से 5 या 10 KM की उचाई पर हुआ था जिसे किसी उल्कापिंड के जमीन पर टकराने के बजाय हवा में ही फट जाने के कारण हुआ माना जाता है। अलग-अलग वैज्ञानिक शोध बताते है की इस पिंड का आकर 60 मीटर (200 फीट) से 190 मीटर (620 फीट) के बीच है। यह पृथ्वी के ज्ञात इतिहास में अब तक की सब से बड़ी उल्कापिंडिय घटना थी।
होगा लाइव प्रसारण
इस साल लक्सबर्ग से 30 जून को इस घटना का लाइव प्रसारण किया जाएगा। इस प्रसारण में पूर्व अंतरीक्ष यात्री रस्टी और निकोल स्टॉट सोशल मीडिया पर पूछे गए सवालों का जवाब देंगे। फिट्जिमन्स ने बताया कि अगर आज के दिनों उल्का पिंड धरती से टकराती है तो कई बड़े शहर बर्बाद हो जाएंगे। खासकर साइबेरिया के पास के सभी शहर लगभग बर्बाद हो जाएंगे।
क्या कहना है खगोल वैज्ञानिक का
फिट्जिमन्स इस मामले पर चेतावनी देते हुए कहते हैं, एक बड़ा क्षुद्रग्रह बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकता है। जो आज की दुनिया के किसी भी हिस्से में एक अनापेक्षित टक्कर से किसी भी प्रमुख शहर को नष्ट कर सकता है। फिट्जिमस ने बताया कि, "यह जानना महत्वपूर्ण है कि वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने पृथ्वी के नजदीकी क्षुद्रग्रहों का पता लगाने और उनके द्वारा खतरा पैदा करने में बड़ी प्रगति की है।
नासा ने बढ़ा दी निगरानी
खतरे की आशंका को देखते हुए नासा ने निगरानी बढ़ा दी है। अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ मिलकर उल्का पिंड का रास्ता बदलने के बारे में भी विचार किया जा रहा है। रास्ता बदलने से उल्का पिंड को धरती से टकराने से रोका जा सकेगा। होल्ड्रेन के मुताबिक, "धरती के आस पास मौजूद उल्का पिंडो की वजह से भारी नुकसान और ढांचे की तबाही की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन ऐसे मामलों के असर की संभवाना इतनी विशाल होती हैं कि ऐसे जोखिमों को गंभीरता से लेना पड़ता है।"