क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

1150 मरे, 3 हजार घर टूटे, लाखों प्रभावित... तालिबान के बाद भूकंप, अफगानिस्तान की किस्मत ही खराब है!

तालिबान शासित अफगानिस्तान के अधिक दूरदराज के इलाकों में गांवों तक पहुंचना कितना मुश्किल है, यह देखते हुए मरने वालों की संख्या में व्यापक बदलाव की उम्मीद है।

Google Oneindia News

काबुल, जून 24: अफगानिस्तान पहले से भी भीषण आर्थिक संकट, भुखमरी और मानवीय त्रासदी से गुजर रहा है और इनके बीच भयानक भूकंप ने सालों से युद्धग्रस्त रहे इस देश को एक और ऐसा दर्द दिया है, जो भयानक है। अफगानिस्तान में दो दिन पहले आये भूकंप ने अफगानों के पैरों तले जमीन छीन लिया है। भूकंप के झटके तो थम गये हैं, लेकिन लाखों अफगानों के जीवन में जलजला आ चुका है।

भूकंप से भारी तबाही

भूकंप से भारी तबाही

एसोसिएटेड प्रेस ने सरकारी मीडिया के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि, अफगानिस्तान में बुधवार को आए भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,150 हो गई है और 3,000 से अधिक घर नष्ट हो गए हैं। बख्तर न्यूज एजेंसी ने शुक्रवार को कहा कि, पिछली रिपोर्टों के मुताबिक मरने वालों की संख्या बढ़ गई है और 6.0 तीव्रता के भूकंप में कम से कम 1,600 लोग घायल हुए हैं। हालांकि, यूनाइटेड नेशंस के कॉर्डिनेशन ऑफ ह्यूमेटेरियन अफेयर्स का अनुमान है, कि मरने वालों की संख्या 770 के आसपास हो सकती है। हालांकि, ये आंकड़ा कुछ भी हो, लेकिन ये बात तो तय है, कि भूकंप ने भारी तबाही मचाई है।

मानवीय मदद पहुंचना काफी मुश्किल

मानवीय मदद पहुंचना काफी मुश्किल

तालिबान शासित अफगानिस्तान के अधिक दूरदराज के इलाकों में गांवों तक पहुंचना कितना मुश्किल है, यह देखते हुए मरने वालों की संख्या में व्यापक बदलाव की उम्मीद है। पिछले 20 सालों में अफगानिस्तान में आया ये सबसे घातक भूकंप था, जिसने लाखों लोगों की जिंदगी को गहरा झटका दिया है। रिपोर्टों से पता चलता है कि पूर्वी जिला पक्तिका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है और यहां पर सैकड़ों लोग मारे गये हैं। स्पेरा जिले के गयान में कम से कम 1,000 घर क्षतिग्रस्त हो गए और 800 अन्य मलबे में दब गए।

6.0 तीव्रता वाले भूकंप ने क्यों मचाई तबाही?

6.0 तीव्रता वाले भूकंप ने क्यों मचाई तबाही?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसा नहीं है कि आधुनिक घर 6 की तीव्रता से आए भूकंप का सामना करने में सक्षम नहीं है, लेकिन अफगानिस्तान में ज्यादातर घर काफी पुराने हैं और मिट्टी और ईंट से बने हुए हैं, लिहाजा भूखंप आने पर ये घर इंसानों के लिए काफी ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं। वहीं, भूकंप की वजह से अफगानिस्तान में संचार तंत्र भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, जिससे दूर-दराज के इलाकों से संपर्क साधना और भी ज्यादा मुश्किल हो रहा है। कई शहरों मे बिजली व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है और वर्तमाना हालातों को देखते हुए अब लोगों का कहना है, कि पता नहीं बिजली व्यवस्था अब कब जाकर सही होगी?

बच्चों पर विनाशकारी प्रभाव

बच्चों पर विनाशकारी प्रभाव

वहीं, सेव द चिल्ड्रन नाम के एक संगठन ने कहा कि, आपदा से 118,000 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए हैं। संगठन ने कहा कि, 'इन बच्चों तक अब साफ पानी, सोने के लिए सुरक्षित स्थान और खाने का सामान पहुंचने की संभावना काफी कम हो गई है।' गयान के गांवों में एसोसिएटेड प्रेस के पत्रकारों ने उन परिवारों के बारे में बताया, जिन्होंने पूरी रात ढही हुई छतों की लकड़ियों को उठाने में और लापता प्रियजनों की तलाश में हाथ से पत्थर खींचने में बिताई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के लड़ाके गावों के देखने के लिए जरूर पहुंचे थे, लेकिन उनमें से कुछ ने ही मदद की पेशकश की। गयान में 6 साल के एक बच्चे ने रोते हुए बताया कि, भूकंप की वजह से उसके माता-पिता, दो बहने और एक भाई... यानि परिवार में सभी लोगों की मौत हो चुकी है। इस बच्चे को फिलहाल उसके पड़ोसियों ने संभाले हुआ है।

स्थिति कैसे संभालेगा तालिबान?

स्थिति कैसे संभालेगा तालिबान?

अफगानिस्तान में आए भूकंप ने तालिबान सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती को जन्म दिया है और क्योंकि तालिबान ने अपने कट्टरपंथी शासन से एक इंच भी पीछे नहीं हटने की बात कही है, लिहाजा, वो पूरी तरह से दुनिया से कट चुका है। ऐसे में तालिबान को मदद कहां से हासिल होगा, ये बड़ा सवाल है। अफगानिस्तान के लिए वैश्विक सहायता में न केवल रसद मुद्दों के कारण देरी हुई है, बल्कि इसलिए भी कि पिछले साल तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद अधिकांश अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां अफगानिस्तान छोड़कर वापस जा चुकी हैं। लिहाजा, स्थिति ये है, कि भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में ना तो चिकित्सा आपूर्ति है और ना ही भोजन की। वहीं, लोग तंबू हासिल करने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। खासकर, जिस इलाके में भूकंप आया है, वो इलाका खतरनाक पहाड़ी है और बारिश ने की वजह से पहाड़ी पर बनी सड़कें जानलेवा हो चुकी हैं।

कई देशों ने बढ़ाए मदद के हाथ

कई देशों ने बढ़ाए मदद के हाथ

जर्मनी, नॉर्वे समेत कई देशों ने कहा है कि वे अफगानिस्तान में मानवीय सहायता भेजेंगे लेकिन केवल संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के माध्यम से, ना कि तालिबान के जरिए। जापान ने 'तुरंत' समर्थन की योजना बनाई है। यूरोपीय आयोग ने कहा कि वह 1 मिलियन यूरो देगा। वहीं, भारतीय टीम मदद लेकर अफगानिस्तान पहुंच चुकी है। इसके साथ ही पाकिस्तान से भोजन और अन्य जरूरतों के ट्रक पहुंच चुके हैं, वहीं मानवीय सहायता से भरे विमान ईरान और कतर से उतरे हैं। आपको बता दें कि, इससे पहले अफगानिस्तान में साल 1998 में भीषण भूकंप आया था, जिसमें करीब 5 हजार लोगों की मौत हो गई थी।

भारत का रूस से तेल का आयात अप्रैल के बाद 50 गुना बढ़ा, रिलायंस और इस कंपनी को बंपर फायदाभारत का रूस से तेल का आयात अप्रैल के बाद 50 गुना बढ़ा, रिलायंस और इस कंपनी को बंपर फायदा

Comments
English summary
The earthquake has caused great devastation in Afghanistan. Know why help is not reaching the affected?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X