ईरान में भूख की आग में मजदूरी करता अफगान बचपन
पिछले साल अगस्त में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से वहां की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। वहां मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। अब खब
काबुल, 16 जून : अफगानिस्तान अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। जब से तालिबान ने देश पर कब्जा जमाया है, वहां के लोगों के हालात और भी अधिक खराब हो गए हैं। इससे सबसे अधिक महिलाएं, बच्चे, लड़कियां प्रभावित हुई हैं। ईरानी मीडिया के हवाले से वहां के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का दावा है कि, अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने के बाद से ईरान में अफगान बाल मजदूरों की संख्या में 20 गुना का इजाफा हुआ है।
मजदूरी
करता
बचपन
जानकारी
के
मुताबिक,
15
अगस्त
2021
को
तालिबान
के
अफगानिस्तान
पर
नियंत्रण
के
बाद
से
अफगानिस्तान
से
भारी
संख्या
में
बाल
मजदूर
ईरान
मजदूरी
करने
जा
रहे
हैं।
ईरान
में,
खामा
प्रेस
के
मुताबिक,
12
जून
को
बाल
श्रम
के
खिलाफ
विश्व
दिवस
के
अवसर
पर,
ईरान
के
मानवाधिकार
और
अंतर्राष्ट्रीय
मामलों
के
उप
मंत्री,
फतह
अहमदी
ने
देश
में
तालिबान
की
उपस्थिति
के
खिलाफ
एक
अलर्ट
जारी
किया
था।
उन्होंने
इस
दौरान
अफगान
बालश्रम
पर
अपनी
बात
रखी
थी।
ईरान
जाकर
मजदूरी
करने
को
मजबूर
बच्चे
इस्लामिक
रिपब्लिक
ऑफ
ईरान
की
न्यूज
एजेंसी
(आईआरएनए)
के
हवाले
से
अहमदी
ने
दावा
किया
कि
अफगानिस्तान
पर
तालिबान
के
नियंत्रण
ने
कई
परिवारों
को
अपने
बच्चों
के
साथ
ईरान
जाने
के
लिए
मजबूर
किया
है,
जहां
उन्हें
मजदूरों
के
रूप
में
भर्ती
किया
जा
रहा
है।
अफगानिस्तान
में
मानवीय
संकट
बता
दें
कि,
अफगानिस्तान
पर
तालिबान
के
कब्जे
से
देश
में
मानवीय
संकट
पैदा
हो
गया
है।
अफगानी
खामा
प्रेस
न्यूज
एजेंसी
की
रिपोर्ट
के
अनुसार,
कई
श्रम
संसाधन,
उद्योग,
और
सार्वजनिक
और
निजी
व्यावसायिक
कंपनियों
का
अस्तित्व
समाप्त
हो
गया
है।
इस
कारण
गरीबी,
मुद्रास्फीति
और
भूख
और
गरीबी
से
पीड़ित
लोगों
की
संख्या
में
वृद्धि
हुई
है।
रिपोर्ट के मुताबिक,यह दावा किया जा रहा है कि, वर्तमान में आधे से अधिक आबादी इस बात को लेकर डर रही है कि उन्हें आगे भोजन मिलेगा या नहीं। तालिबान के सत्ता में आते ही वहां गरीबी काफी बढ़ी है और जिसके कारण अफगानिस्तान में बाल मजदूरों की संख्या में वृद्धि हुई है। जानकारों की माने तो भूख और लाचारी के कारण भारी संख्या में अफगान बाल मजदूर ईरान जाकर मजदूरी करने को मजबूर हैं। उनका बचपन मजदूरी की आग में झुलसकर अपनी मासूमियत खोता जा रहा है। क्या विश्व इन बातों से अंजान है? यह एक सवाल है, जिनका हल नहीं निकाला गया तो आने वाले समय में अफगानिस्तान में बच्चों की हालत और भी अधिक खराब हो जाएगी।
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