तुर्की में दिखा उल्का पिंड का विस्फोट!, आसमान हुआ हरा, Video Viral
अंकारा, 03 अगस्त। यूएफओ और एलियंस को लेकर हो रही तरह-तरह की बातों के बीच इस वक्त एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि एक उल्का पिंड पृथ्वी पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसके बाद पूरा आकाश हरा हो गया। ये वीडियो तुर्की के इजमिर का बताया जा रहा है, हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
तुर्की में दिखा रहस्यमयी उल्का पिंड का विस्फोट
हालांकि वीडियो में हरी रोशनी और आकाश में जोरदार चमक जरूर देखी जा रही है। वीडियो की क्लिप में कुछ चमकदार चीज भी धरती पर गिरते हुए नजर आ रही है,अब वो क्या है इस बारे में सही रूप से अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है लेकिन इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर कमेंट्स की बाढ़ ला दी है।
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#PrayforTurkey हुआ ट्रेंड
अटकलों का बाजार काफी गर्म है और लोग अपनी-अपनी तरह से वीडियो में दिखने वाली चीज पर कयास लगा रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये घटना 31 जुलाई को घटित हुई है। लोग तरह-तरह के सवाल भी सोशल मीडिया पर कर रहे हैं। आलम तो ये है कि इस वक्त सोशल मीडिया पर #PrayforTurkey ट्रेंड हो रहा है।
शोध का दावा- एलियंस बहुत शक्तिशाली होते हैं
मालूम हो कि हाल ही में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक एवि लोएब ने एलियंस को लेकर दावा किया है कि एलियंस बहुत शक्तिशाली होते हैं और वो धरती को किसी अखरोट की तरह पलभर में नष्ट कर सकते हैं। लोएब ने ये भी कहा है कि अंतरिक्ष यान, जिसे धरती पर यूएफओ कहा जाता है, वो असल में एलियंस के ड्रोन होते हैं और वो धरती पर अक्सर जानकारियां जुटाने आते हैं। वो आदिकाल से यहां मौजूद हैं।
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क्या होती है उड़न तश्तरी?
उड़न तश्तरी को अज्ञात उड़ती वस्तु को यूएफओ ( UFO) को कहा जाता है। इनका आकार डिस्क या तश्तरी के समान होता है या ऐसा दिखाई देता है, जिस कारण इन्हें उड़न तश्तरीयों का नाम मिला है। उड़न तश्तरी शब्द 1940 में पहली बार प्रयोग करे। इनके अध्ययन को यूफ़ोलॉजी कहा जाता है।
उल्का पिंड होते क्या हैं?
आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए या पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्का यानी कि meteor कहा जाता है और उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है उसे उल्कापिंड यानी कि meteorite कहा जाता है, हर रात को उल्काएं अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं लेकिन इनमें से पृथ्वी पर गिरनेवाले पिंडों की संख्या बेहद कम होती है।