जूडो क्लास में कोच ने 27 बार पटका, दो महीने तक कोमा में रहने के बाद 7 साल के बच्चे ने तोड़ा दम
ताइपे, 30 जून। बचपन में जब हम पढ़ने से मना करते थे तो हमारे माता-पिता यही कहावत कहते थे, 'पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब'। इसका मतलब ये होता था कि ज्यादा खेलकूद सही नहीं इससे भविष्य खराब होता है, हालांकि अब जमाना बिल्कुल बदल चुका है। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे स्पोर्ट्स में भी खूब नाम कमा रहे हैं, यही वजह है कि आज के समय में माता-पिता बचपन से ही अपने बच्चों को किताबी शिक्षा के साथ-साथ खेल-कूद के क्षेत्र में भी ट्रेनिंग दिला रहे हैं।
ताइवान से सामने आई दर्दनाक घटना
ताइवान के रहने वाले उन बेबस अभिभावकों को क्या पता था कि जिस गुरू के पास वह अपने बच्चे को दुनिया की मुश्किलों के खिलाफ मजबूत बनाने के लिए भेज रहे हैं, वही उनके मासूम का काल बन जाएगा। हर माता-पिता की तरह उन्होंने भी सोचा था कि अपने बच्चे को शारिरिक रूप से मजबूत बनाने के लिए बचपन से ही जूडो की ट्रेनिंग दिलाई जाए। यही सोचकर उन्होंने अपने 7 साल के मासूम को जूडो क्लास के लिए शहर के एक स्कूल में दाखिला करा दिया।
कोच के गुस्से का शिकार हुआ 7 साल का मासूम
इसके कुछ महीनों बाद स्कूल में बच्चे के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उसके माता-पिता को कभी ना ठीक होने वाला जख्म दे दिया। दरअसल, बच्चे के जूडो टीचर ने एक मैच में हारने के चलते उसे एक दो बार नहीं बल्कि 27 बार जमीन पर पटका, जिससे वह दो महीने के लिए कोमा में चला गया और अब उस 7 साल के मासूम की मौत हो गई है। घटना इसी साल अप्रैल की है, जब बच्चे को ताइवान के फेंग युआन अस्पताल में बेहद गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था।
कोच ने 27 बार जमीन पर पटका
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जूडो कोच पर आरोप है कि बच्चे द्वारा मैच हारने से वह इस कदर नाराज था कि उसने अपने स्टूडेंट को लगातार 27 बार जमीन पर पटका। इस दौरान वह दर्द से कराहता हुआ खुद को छोड़े जाने की मिन्नते करता रहा लेकिन कोच का दिल नहीं पिघला। अंत में जब बच्चा बेहोश हो गया तो उसे नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही है, और उसके अंगों ने काम करना बंद कर दिया है।
बच्चे को लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाया गया
कोच के गुस्से का शिकार हुए बच्चे का नाम हुआंग बताया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से ही वह कोमा में चला गया था लेकिन इलाज के दो महीने बाद भी वह उबर नहीं सका। ऐसे में मंगलवार को उसके माता-पिता ने लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटाने का फैसला लिया। उधर, आरोपी कोच के खिलाफ बच्चों को जख्मी करने और अपराध में इस्तेमाल करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक जब कोच हुआंग को पटक रहा था तो उसने सिर में दर्द की शिकायत की थी, फिर भी वह उसे करीब दर्जन भर बार उठाकर फेंकता रहा।
क्या कल्चर के नाम पर बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार सही है?
मृत बच्चे के परिजनों का कहना है कि कोच ने मासूम को तब तक पटकना जारी रखा जब तक वह अचेत होकर गिर नहीं गया। सबसे आश्चर्य की बात ये है कि कहा जा रहा है जब हुआंग को कोच टॉर्चर कर रहा था उस वक्त उसके चाचा भी मौके पर ही मौजूद थे लेकिन वह कोच को रोक नहीं सके। अब ताइवान में कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या कल्चर के नाम पर बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार सही है? वहीं, 7 साल के बच्चे हुआंग की मां ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आरोपी कोच के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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