2019 में अंतरराष्ट्रीय खतरे: ईरान, चीन, नॉर्थ कोरिया के खतरों से लड़ेगी दुनिया
नई दिल्ली। अमेरिका ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि इस साल नॉर्थ कोरिया, ईरान, रूस और चीन ने सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय स्तर खतरा पैदा किया है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो अगले साल 2019 में इन देशों के साथ चल रहे विवाद युद्ध जैसी परिस्थितियां खड़ी कर सकता है। दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य शक्ति ने 17 साल पहले आतंकवाद के खिलाफ युद्ध शुरू किया था, जो अगले साल 18वें साल में प्रवेश कर जाएगा। अमेरिका ने 6 ट्रिलियन डॉलर खर्च के साथ कट्टर इस्लामिक संगठनों से लड़ने के लिए 'वॉर ऑन टेरर' शुरू किया था, लेकिन उससे भी ज्यादा खतरा अब उन देशों से हैं जिन्होंने इस साल सबसे ज्यादा वैश्विक विवाद खड़ा किया है, जिन्हें अब आगे बड़े पैमाना पर युद्ध की तरह देखा जा रहा है। अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट को तीन भागों में बांटकर आने वाले खतरों से आगाह किया है।
नॉर्थ कोरिया के साथ विवाद नहीं हो रहा खत्म
इस साल अमेरिका और चीन के बीच सबसे ज्यादा तनाव देखने को मिला। एक तरफ अमेरिका ने साउथ चाइना सी में बीजिंग के बड़े दावों को चुनौती दी है, तो दूसरी तरफ दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर ने इस साल व्यापार को सबसे निम्न स्तर पर पहुंचाने का काम किया है। ये दोनों ही विवाद सिर्फ अमेरिका और चीन तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित करने का काम किया है। अमेरिका का आरोप है कि ईरान अपने हथियारों का इस्तेमाल जिहादियों के लिए होने दे रहा है और इसी साल ट्रंप ने तेहरान के साथ हुई न्यूक्लियर डील को कैंसिल कर नया तनाव पैदा कर दिया था। वहीं, नॉर्थ कोरिया के साथ भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति इस साल मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव अभी भी कोई खास कम नहीं हुआ है। एक तरफ अमेरिका ने अभी तक नॉर्थ कोरिया पर प्रतिबंध हटाने जैसा कोई कदम नहीं उठाया, तो वहीं प्योंगयांग ने भी अपने परमाणु निरस्त्रीकरण जैसा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। हालांकि, अगले साल दोनों देशों के सुप्रीम लीडर के बीच एक बार फिर से मुलाकात होने वाली है, जिस पर सभी की निगाहें होगी।
सीरिया में ईरान की दखल
अमेरिका ने मंगलवार को रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया है कि सीरिया में रूस और ईरान की सेना जिहादियों से लड़ने के चक्कर में वहां के आम नागिरकों को भी मार रही हैं। अमेरिका का आरोप है कि रूस और ईरान ने सीरिया में ज्यादा टेंशन पैदा करने का काम किया है। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों का दावा है कि सीरिया से इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) पर विजय पा ली गई है, लेकिन ईरान अभी भी सीरिया नहीं छोड़ रहा है। अमेरिका ने सीरिया में ईरान के दखल को खत्म करने और वहां की जनता पर बशर अल असद की आक्रमणकारी नीतियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई करने की भी धमकी दी है। इस साल अमेरिका और ईरान के बीच रिश्तों में अब तक की सबसे गहरी दीवार खड़ी हुई है, खासकर तब, जब ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन ने तेहरान के ऑयल इंपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया।
साउथ चाइना सी में बढ़ती चीन का ताकत
अमेरिका ने खतरों की दूसरी कैटेगरी में साउथ चाइना सी विवाद का जिक्र किया है, जिसे 'उच्च' प्रभाव और 'कम' संभावना के साथ दो घटनाओं का विस्तृत विवरण दिया है। इसमें चीन और उसके खास सहयोगी रूस के साथ संघर्ष की स्थिति जैसे खतरों के लिए आगाह किया है। इस रिपोर्ट में रूस और नाटो सदस्यों के बीच जानबूझकर या अनजान सैन्य टकराव का वर्णन किया गया है, जो पूर्वी यूरोप में दृढता के साथ रूसी व्यवहार उभर रहा है। इसी रिपोर्ट के दूसरे खंड में चीन के साथ होने वाले संघर्ष का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में ताइवान मे चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में चीन अपने राजनीतिक और आर्थिक दबाव की वजह से इस पूरे दृश्य को बदलने की कोशिश करेगा। ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता आया है।
उधर लेटिन अमेरिका में भी चीन का दखल देखने को मिल रहा है और ऐसे में ऐसी ही स्थिति अगले साल भी रही तो अमेरिका चीन के साथ विवाद और गहरा हो सकता है। बाकि, साउथ चाइना सी में अमेरिका और चीन कई बार एक-दूसरे के आमने-सामने हो चुके हैं। साउथ चाइना सी में चीन लगातार अपनी ताकत को बढ़ाने का काम कर रहा है और दूसरी तरफ अमेरिका उसे रोकने के लिए हर संभव कोशिश में लगा हुआ है।
साउथ एशिया और मिडिल ईस्ट
इस
रिपोर्ट
के
तीसरी
कैटेगरी
में
साउथ
एशिया
और
मिडिल
ईस्ट
के
खतरों
का
जिक्र
किया
गया
है।
साउथ
एशिया
में
भारत
और
पाकिस्तान
के
बीच
बढ़ता
तनाव
यु्द्ध
जैसी
परिस्थितियां
खड़ी
कर
सकता
है।
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है
कि
अगले
साल
अगर
भारत
किसी
बड़े
आतंकी
हमले
से
टकराया
या
कश्मीर
में
अशांति
की
स्थिति
बढ़ी
तो
भारत-पाकिस्तान
के
बीच
सैन्य
टकराव
देखने
को
मिल
सकता
है।
वहीं,
चीन
के
साथ
अगर
सीमा
विवाद
हुआ
तो
एक
बार
फिर
दोनों
देश
सैन्य
विवाद
की
तरफ
बढ़
सकते
हैं।
725
बिलिययन
डॉलर
के
सैन्य
बजट
और
दुनिया
भर
में
करीब
800
मिलिट्री
ठिकानों
वाला
मुल्क
अमेरिका
को
टक्कर
देने
के
लिए
रूस
और
चीन
लगातार
अपनी
सैन्य
ताकतों
में
इजाफा
करने
मे
जुटे
हैं।
हालांकि,
रूस
और
चीन
की
सैन्य
वृद्धि,
मिडिल
ईस्ट
को
एक
लंबे
संघर्ष
की
ओर
धकेलने
का
काम
कर
सकती
है।
उधर
ईरान
को
अमेरिका
अलग-थलग
करने
की
कोशिश
में
लगा
हुआ
है,
लेकिन
रूस
और
चीन
का
तेहरान
का
साथ
मिल
रहा
है,
ऐसा
में
मिडिल
ईस्ट
में
अमेरिकी
प्रभाव
को
कम
करने
की
कोशिश
में
विवाद
और
ज्यादा
खतरनाक
हो
सकता
है।