'भारत इस समय बहुत ही मुश्किल.....': यशवंत सिन्हा ने विपक्षी दलों को लिखी ये चिट्ठी
नई दिल्ली, 24 जून: राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के प्रति बढ़ते समर्थन के बीच विपक्षी प्रत्याशी यशवंत सिन्हा ने विपक्षी दल के नेताओं को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें बिना मोदी सरकार का नाम लिए उसपर जमकर राजनीतिक हमला बोला है। उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं को उन्हें अपना साझा उम्मीदवार बनाने के लिए आभार जताते हुए चुनाव जीतने की सूरत में कई तरह के वादे और संकल्प जाहिर किए हैं। लेकिन, उनकी पूरी चिट्ठी में राजनीतिक मुद्दों का पूरा बोलबाला है। यशवंत सिन्हा ने 2018 में बीजेपी छोड़ दी थी और नरेंद्र मोदी सरकार के कट्टर आलोचक बन गए थे। पिछले साल वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
यशवंत
सिन्हा
का
विपक्षी
नेताओं
से
वादा
विपक्षी
दलों
के
नेताओं
को
संबोधित
अपनी
चिट्ठी
में
विपक्ष
की
ओर
से
राष्ट्रपति
पद
के
साझा
उम्मीदवार
यशवंत
सिन्हा
ने
उन्हें
भरोसा
दिलाया
है
कि
वे,
'बिना
किसी
डर
या
पक्षपात
के,
संविधान
के
मौलिक
मूल्यों
और
मार्गदर्शक
आदर्शों
को
ईमानदारी
पूर्वक
बरकरार
रखेंगे।'
उन्होंने
लिखा
है,
'विशेष
रूप
से
संविधान
के
संरक्षक
के
रूप
में,
'मैं
कार्यपालिका
द्वारा
लोकतंत्र
और
धर्मनिरपेक्षता
के
प्रकाश
को
कम
नहीं
होने
दूंगा।
मैं
लोकतांत्रिक
संस्थाओं
की
स्वतंत्रता
और
अखंडता
को
राजनीतिक
विरोधियों
के
खिलाफ
हथियार
नहीं
बनने
दूंगा,
जैसा
कि
इस
समय
हो
रहा
है।'
राष्ट्रपति
उम्मीदवार
का
मोदी
सरकार
पर
सियासी
प्रहार
पूर्व
केंद्रीय
मंत्री
ने
ये
भी
लिखा
है
कि,
'मैं
अपनी
ओर
से
यह
सुनिश्चित
करने
की
पूरी
कोशिश
करूंगा
कि
भारतीय
संसद
की
गरिमा
अधिनायकवादी
ताकतों
के
हमलों
से
सुरक्षित
रहे।
मैं
संविधान
के
संघीय
ढांचे
पर
चल
रहे
हमलों
की
इजाजत
नहीं
दूंगा,
जिसमें
सरकार
राज्य
सरकारों
से
उनके
वैधानिक
अधिकारों
और
शक्तियों
को
लूटने
की
कोशिश
कर
रही
है।'
'भारत
इस
समय
बहुत
ही
मुश्किल
दौर
से
गुजर
रहा
है।'
आखिर
में
उन्होंने
लिखा
है
कि
'भारत
इस
समय
बहुत
ही
मुश्किल
दौर
से
गुजर
रहा
है।
मैं
सामान्य
आदमी,
किसान,
वर्कर,
बेरोजगार
युवा,
महिला
और
समाज
के
हाशिए
पर
रहने
वाले
सभी
वर्ग
के
लिए
अपनी
आवाज
उठाऊंगा।'
उन्होंने
लिखा
है
कि
27
जून
को
नामांकन
के
बाद
वह
ज्यादा
से
ज्यादा
राज्य
की
राजधानियों
में
चुनाव
अभियान
के
लिए
पहुंचने
की
कोशिश
करेंगे।
उन्होंने
उम्मीद
जताई
है
कि
इन
दलों
के
सांसदों
और
विधायकों
से
भी
उन्हें
मिलने
का
मौका
और
उनका
समर्थन
मिलेगा।
यशवंत
सिन्हा
की
यह
चिट्ठी
तब
सामने
आई
है,
जब
उनके
विपक्षी
वोट
बैंक
में
भी
सेंध
लगने
की
स्थिति
पैदा
हो
चुकी
है।