राष्ट्रपति चुनाव: तो इसलिए है रामनाथ कोविंद की जीत पक्की!
रामनाथ के समर्थन में एनडीए और गैर एनडीए क्षेत्रीय पार्टियों का 63.1 फीसदी वोट है।
नई दिल्ली। दलित बनाम दलित के नाम पर लड़ा जाने वाले देश का राष्ट्रपति चुनाव इस वक्त काफी रोचक मोड़ पर पहुंच चुका है।
राष्ट्रपति चुनाव : 27 जून को नामांकन दाखिल करेंगी मीरा कुमार
एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के जरिए मोदी सरकार ने कई निशाने एक साथ साधे हैं तो वहीं कांग्रेस की ओर से दलित महिला कार्ड खेला गया है लेकिन राजनीतिक पंडितों के मुताबिक इस बार के चुनाव में मोदी सरकार के उम्मीदवार के आगे विपक्ष का कैंडिडेट उन्नीस ही साबित होगा।
63.1 फीसदी वोट
पंडितों का ये आंकलन वैसे गलत भी नहीं है क्योंकि जो आंकड़े सामने हैं उसके मुताबिक रामनाथ कोविंद की जीत पक्की ही है। रामनाथ के समर्थन में एनडीए और गैर एनडीए क्षेत्रीय पार्टियों का 63.1 फीसदी वोट है।
कोविंद को समर्थन...
कोविंद को समर्थन देने वाली गैर एनडीए पार्टियों में जेडीयू (1.91 फीसदी), एआईएडीएमके (5.39 फीसदी), बीजेडी (2.99 फीसदी), टीआरएस (2 फीसदी), वाईएसआरसीपी (1.53 फीसदी) और आईएनएलडी (0.38 फीसदी) है। एआईएडीएमके के दोनों गुटों ने एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला लिया है।
शिवसेना भी साथ
काफी ना-नुकर के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी एनडीए कैंडिडेट को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है जिसके बाद रामनाथ की दावेदारी काफी मजबूत हो गई है।
मीरा कुमार
जबकि मीरा कुमार को समर्थन करने वालों में कांग्रेस, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), डीएमके और नेशनल कांफ्रेंस समेत 17 दल हैं, जो देखने और सुनने में तो काफी बड़े लगते हैं लेकिन गौर से देखा जाए तो इनकी मजबूती एनडीए के मुकाबले काफी कमजोर नजर आती है और यही कारण है कि कोविंद की दावेदारी पक्की मानी जा रही है।
राष्ट्रपति चुनाव
गौरतलब है कि 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 20 जुलाई को होगी। इस बार भी राष्ट्रपति चुनाव बैलेट पेपर से ही कराए जाएंगे। साथ ही, चुनाव के लिए विशेष पेन का इस्तेमाल होगा। राष्ट्रपति चुनाव के लिए 28 जून को नामांकन की आखिरी तारीख है। ये नामांकन जुलाई 1 तक वापस लिए जा सकते हैं।