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क्या 2021 में तमिलनाडु विधानसभा के लिए अपना खाता खोल पाएगी भाजपा?

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चेन्नई। क्या भाजपा इस बार तमिलनाडु विधानसभा में पहुंचने का सपना पूरा कर पाएगी ? वह अन्नाद्रमुक के सहयोग से 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। राजनीतिक पंडितों की राय है कि द्रविड़ राजनीति के दो बड़े चेहरों (करणानिधि और जयललिता) के नहीं होने से तमिलनाडु की राजनीति अब नये मोड़ पर खड़ी है। जयललिता और करुणानिधि के निधन के बाद अन्नाद्रमुक और द्रमुक में नेतृत्व को लेकर संकट पैदा हो गया है। आंतरिक गुटबाजी के कारण ये दोनों दल अब पहले की तरह मजबूत नहीं रह गये हैं। अन्नाद्रमुक में मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ओ पनीरससेल्वम का दोहरा नेतृत्व है। इसमें एक गुट ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। इस तरह भाजपा द्रमुक की प्रमुख साझीदार बन गयी। राजनीतिक विश्लेषक आर राजगोपालन का कहना है कि तमिलनाडु की राजनीति द्रविड़ पहचान को लेकर अब पहले की तरह कट्टर नहीं रह गयी है। एक उदारवादी सोच विकसित हुई है। डिजिटल दौर में रहने वाले युवा मतदाता अब सोशल मीडिया से प्रभावित हैं। उन्हें पेरियार के धुर द्रविड़ आंदोलन के बारे में कुछ भी पता नहीं। राष्ट्रीय मुद्दों पर युवा वर्ग अब नरेन्द्र मोदी को पढ़ना और समझना चाहता है। इस नयी सोच की वजह से भाजपा अब तमिलनाडु में जगह बनाती दिख रही है।

युवा वोटरों पर भाजपा को भरोसा

युवा वोटरों पर भाजपा को भरोसा

इस चुनाव में करीब 8 लाख युवा वोटर पहली बार ईवीएम का बटन दबाएंगे। इन नये वोटरों के लिए भाजपा अब परहेज करने वाली पार्टी नहीं रही। फरवरी 2021 में नरेन्द्र मोदी ने तमिलनाडु के एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया था। जब उन्होंने एमजीआर (एमजी रामचंद्रन) की तरीफ की तो हॉल तालियों की गड़गड़हट से गूंज उठा। मेडिकल छात्रों ने पीएम मोदी को गंभीरता से सुना और कई मर्तबा तालियां बजा कर उनका समर्थन किया। डॉक्टर हों या आम लोग, इनमें अधिकतर की राय है कि कोरोना काल में पलानीस्वामी सरकार ने केन्द्र के सहयोग से तत्पर हो कर काम किया। प्रधानमंत्री ने हाल ही में यहां कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत कर स्थानीय से जुड़ाव की कोशिश की है।

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तमिलनाडु की राजनीति में बदलाव

तमिलनाडु की राजनीति में बदलाव

तमिलनाडु में पेरियार का द्रविड़ आंदोलन धर्म, जातिवाद और ब्राह्मणवाद के खिलाफ शुरू हुआ था। इसके केन्द्र में धार्मिक आडम्बर और हिंदी का विरोध था। लेकिन समय के साथ इस सोच में बहुत बदलाव आ गया है। द्रमुक समर्थक हों या अन्नाद्रमुक के समर्थक, अब वे धार्मिक कार्मकांडों में भरोसा करने लगे हैं। मोहन गुरुस्वामी ने 2016 में लिखा था, सुना है करुणानिधि और उनके बेटे स्टालिन मंदिर जाने लगे हैं। जयललिता को तो ज्योतिष और पूजा-पाठ में पूरा भरोसा था। 2016 नम्बर में जब वे बीमार थीं तब उनके समर्थक उनके स्वस्थ होने के लिए पूजा-अर्चना कर रहे थे। यानी अब तमिलनाडु में धर्म को लेकर अब पहले की तरह परहेज नहीं रहा। इससे भाजपा के लिए थोड़ी गुंजाइश बनती दिख रही है। जातीय आधार पर भी भाजपा ने अपनी छवि बदलने की कोशिश की है। आम धारणा है कि भाजपा बनिया-ब्राह्मण की पार्टी है। इसलिए भाजपा ने तमिलनाडु में पार्टी की कमान दलित नेता डॉ. एल मुरुगन को सौंपी है। इतनी ही नहीं सामाजिक समीकरण को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार ने देवेंद्रकुला वेल्लार समूह को एक अलग समुदाय के रूप में मान्यता दी है। मुख्यमंत्री पलानीस्वामी गाउंदर समुदाय से आते हैं जिसका राजनीति में अच्छा प्रभाव है। भाजपा इस साल पलानीस्वामी के सहयोग से जीत की उम्मीद लगाये हुए है।

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वोट के लिए जोड़तोड़ भी

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भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एल मुरुगन ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि पार्टी 60 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। ये सच है कि हमने 2011 और 2016 में एक भी सीट नहीं जीती। लेकिन 2021 में हालात बिल्कुल बदले हुए हैं। अब हमने जीत की संभावना वाली सीटों पर बूथ लेबेल कमेटी बना ली है। अब पार्टी का एक सक्रिय संगठन खड़ा है जिसका चुनाव में लाभ मिलेगा। सीटों को लेकर तो कोई दावा नहीं है लेकिन इतना तय है कि हम विधानसभा में दाखिल होने वाले हैं। भाजपा राज्य प्रमुख मुरुगन ने नवम्बर 2020 में वेत्रीवेल यात्रा निकाल कर हिंदू मतों के ध्रुवीकरण की कोशिश की थी। तमिलनाडु में भगवान कार्तिकेय को भगवान मुरुगन के रूप में पूजा जाता है। तमिलनाडु में भगवान मुरुगन से जुड़े आस्था के छह बड़े केन्द्र हैं। भाजपा ने इन्हीं छह पवित्र स्थानों के लिए वेत्रीवेल यात्रा निकाली थी। सरकार की मनाही के बाद भी भाजपा ने ये यात्रा निकली थी। इसके लिए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि को हिरासत में लिया गया था। इस यात्रा से द्रविड़ पार्टियों में हड़कंप मच गया था। 2021 विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा सभी तरह की जोड़तोड़ आजमा रही है। अब देखना है कि इस बार उसका कोई उम्मीदवार जीत पाता है या नहीं।

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English summary
Will BJP be able to open its account for Tamil Nadu Assembly election 2021?
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