जम्मू कश्मीर-लद्दाख को केंद्र प्रशासित प्रदेश बनाने के लिए क्यों चुनी गई 31 अक्टूबर की तारीख?
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के अहम फैसले के बाद अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सरकार की सिफारिश पर जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख 31 अक्टूबर से अस्तित्व में आ जाएंगे। शुक्रवार को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया गया। गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा, 'जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 2 के खंड (ए) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप, केंद्र सरकार ने इसके लिए 31 अक्तूबर 2019 का दिन निर्धारित किया है।' आखिर ऐसी क्या वजह है जो सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए 31 अक्टूबर की तारीख चुनी है?
इसलिए चुनी गई 31 अक्टूबर की तारीख
दरअसल, 31 अक्टूबर को देश के पहले गृहमंत्री और अखंड भारत का सपना देखने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती है। सरदार पटेल के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ही आजादी के बाद 565 रियासतों के भारतीय गणराज्य में विलय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि, जम्मू-कश्मीर ही एकमात्र ऐसा राज्य था जो भारत में शामिल होते हुए भी एक तरह से स्वायत्त रहा। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु को जिम्मेदार बताती रही है। अब जिस तरह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को लेकर सरकार की ओर से अहम फैसला लिया गया, माना जा रहा है कि सरकार इसके जरिए सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देना चाहती है।
31 अक्टूबर को है देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की जयंती
स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश को एकजुट करने के लिए काफी प्रयास किए थे। उनकी कोशिशों का ही नतीजा था कि आज भारत की मौजूदा स्थिति देखने को मिल रही है। अखंड भारत को लेकर उठाए गए उनके कदम को देखते हुए उनकी जयंती यानी 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसकी शुरुआत मोदी सरकार ने 31 अक्टूबर, 2014 को दिल्ली से की थी। अब उनकी जयंती के मौके पर ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भी अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश के तौर पर 31 अक्टूबर से अस्तित्व में आ जाएंगे।
राष्ट्रपति की ओर से गजट नोटिफिकेशन जारी
बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को संसद ने इसी सप्ताह मंजूरी प्रदान की थी। इस नए विधेयक के अस्तित्व में आने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा, जैसा कि अभी पुडुचेरी है। वहीं लद्दाख बिना विधानसभा वाला अलग केंद्रशासित प्रदेश होगा, जैसा कि चंडीगढ़ है। इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में कानून और व्यवस्था का जिम्मा केंद्र सरकार के पास होगा। जम्मू कश्मीर विधानसभा में इस समय 87 सीटें हैं जिनमें से चार सीटें लद्दाख क्षेत्र में आती हैं। लद्दाख अब बिना विधानसभा के एक अलग केन्द्र शासित प्रदेश बन जायेगा। केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख में करगिल और लेह जिले होंगे।
जम्मू-कश्मीर को लेकर पीएम मोदी ने किया बड़ा ऐलान
वहीं जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'जम्मू कश्मीर लम्बे समय तक केन्द्र शासित प्रदेश नहीं बना रहेगा। जम्मू और कश्मीर में अधिक से अधिक विकास होगा, मुझे नहीं लगता कि यह लंबे समय तक केंद्र शासित प्रदेश रहेगा। लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा।'