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महात्मा गांधी ने ईसाई बनने से क्यों इनकार किया था?

पत्र में गांधी ने लिखा, "प्रिय मित्र, मुझे आपका पत्र मिला. मुझे डर है कि मेरे लिए ये संभव नहीं है कि आपके की ओर से भेजे गए पंथ का मैं सदस्य बन जाऊं. सदस्य को ये मानना पड़ता है कि अदृश्य वास्तविकता का सर्वोच्च स्वरूप ईसा मसीह हैं. अपने तमाम प्रयासों के बावजूद मैं इस कथन की सच्चाई को महसूस नहीं कर पाया."

By BBC News हिन्दी
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महात्मा गांधी
Central Press/Getty Images
महात्मा गांधी

अमरीका में महात्मा गांधी का हस्तलिखित एक ख़त बिक्री के लिए रखा गया है.

महात्मा गांधी ने ये ख़त ईसा मसीह के बारे में लिखा था.

6 अप्रैल 1926 के हस्ताक्षर के साथ ये चिट्ठी महात्मा गांधी ने अमरीका के धार्मिक नेता मिल्टन न्यूबैरी फ्रांज को लिखी थी.

इस ख़त में गांधी ने लिखा था कि ईसा मसीह मानवता के महानतम शिक्षकों में से एक हैं.

ये ख़त दशकों से निजी संकलन का हिस्सा रहा है. अब इसे राब कलेक्शन 50 हज़ार डॉलर की क़ीमत पर नीलाम कर रही है.

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता मोहनदास करमचंद गांधी को भारत में लोग प्यार और सम्मान से महात्मा गांधी कहते हैं.

गांधी ने फ्रांज़ के नाम ये जवाबी पत्र साबरमती आश्रम से लिखा था. दरअसल, उनसे ईसाइयत के बारे में पढ़ने का आग्रह किया गया था.

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पत्र में गांधी ने लिखा, "प्रिय मित्र, मुझे आपका पत्र मिला. मुझे डर है कि मेरे लिए ये संभव नहीं है कि आपके की ओर से भेजे गए पंथ का मैं सदस्य बन जाऊं. सदस्य को ये मानना पड़ता है कि अदृश्य वास्तविकता का सर्वोच्च स्वरूप ईसा मसीह हैं. अपने तमाम प्रयासों के बावजूद मैं इस कथन की सच्चाई को महसूस नहीं कर पाया."

"मैं इस विश्वास से आगे नहीं बढ़ पाया हूं कि ईसा मसीह मानवता के एक महान शिक्षक थे. क्या आपको नहीं लगता कि धार्मिक एकता किसी एक पंथ की सामूहिक सदस्यता से नहीं आएगी बल्कि हर पंथ के एक-दूसरे में विश्वास से आएगी?"

राब कलेक्शन का कहना है कि उनके शोध से पता चला है कि ईसा मसीह के बारे में लिखा गया गांधी का और कोई भी पत्र कभी बिक्री के लिए बाज़ार में नहीं आया है.

गांधी से जुड़ी चीज़ों की नीलामी और बिक्री

  • अप्रैल 2012: गांधी की हत्या के स्थल से ली गई मिट्टी और घास 10 हज़ार पाउंड में बिकी.
  • फ़रवरी 2013: 1943 में जेल से लिखा गया गांधी का पत्र 1,15,000 पाउंड में बिका. गांधी ने इस पत्र को स्वयं टाइप किया था और अपनी रिहाई की मांग की थी.
  • मई 2013: गांधी की गुजराती भाषा में लिखी गई अंतिम वसीयत 55000 पाउंड में बिकी.
  • मार्च 2009: गांधी का गोल चश्मा, पॉकेट वॉच, सैंडल, प्लेट और कटोरी न्यूयॉर्क में 18 लाख डॉलर में बिकी.
  • जुलाई 2009: बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में गांधी दक्षिण अफ्रीका के जिस घर में रहे थे उसे बिक्री के लिए रखा गया.
  • जुलाई 2007: गांधी के लिखे अंतिम पत्रों में से एक को नीलामी से हटाया गया. इसे भारत सरकार ने अधिग्रहित कर लिया.
  • जुलाई 1998: लंदन के नीलामी घर सोथबीज़ में गांधी के लिखे पत्र और कार्ड 30,000 डॉलर में बिके.
BBC Hindi
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English summary
Why Mahatma Gandhi deny becoming a Christian
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