बीजेपी यूपी अध्यक्ष पद की कुर्सी पर केशव ही क्यों, राजनाथ-कल्याण क्यों नहीं?
लखनऊ। यूपी भाजपा अध्यक्ष की सीट केशव प्रसाद मौर्य को मिल गई। यूपी से बीजेपी के दो बड़े चेहरे हैं एक राजनाथ सिंह और दूसरे कल्याण सिंह। दोनों ही मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, लेकिन राजनाथ सिंह अब देश के गृह मंत्री हैं और कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल।
यूपी भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के दामन पर हैं खून के दाग!
इसके अलावा पार्टी ने गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को यूपी में हुए उप चुनाव का प्रभारी बनाकर उन पर दांव खेला था, लेकिन पार्टी को उप चुनाव में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।
बीजेपी..केशव ही क्यों, राजनाथ-कल्याण क्यों नहीं?
क्या हैं केशव से भाजपा को उम्मीदें?
दरअसल केशव उत्तर प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए एक ऐसा चेहरा हैं जिसकी उम्मीद शायद ही उन्होंने कभी ख्वाब में भी की हो। जानकारी के मुताबिक यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आरएसएस भाजपा की खातिर सियासी जमीन तैयार कर रही है।
केशव के पास सोशल इंजीनियरिंग के तमाम गुर मौजूद
जिसमें जिम्मेवारी निश्चित तौर पर संघ के करीबी को ही दी जानी थी। इन सबके इतर माना जाता है कि केशव के पास सोशल इंजीनियरिंग के तमाम गुर मौजूद हैं। जिसका वो चुनाव के लिहाज से भरपूर फायदा उठाएंगे।
तो क्या भाजपा आजमाएगी अपना पुराना ''दांव''
चुनाव दिल्ली का हो या फिर बिहार का। सियासी पार्टियों ने ध्रुवीकरण को चुनाव का अहम् मुद्दा बनाया। हालांकि जातिवाद भी मुद्दे के तौर पर बाद में शरीक हो गया। लेकिन भाजपा को 2014 के लोकसभा चुनाव में कहीं न कहीं इन्हीं मुद्दों का जबरदस्त फायदा भी मिला।
दिल्ली-बिहार जैसा परिणाम नहीं चाहती है भाजपा
पर, हर जगह परिणाम एक से नहीं होते। फलस्वरूप दिल्ली और बिहार में पार्टी को मुंह की भी खानी पड़ी। बहरहाल केशव मौर्या के ज़रिए पार्टी किस तरह से किस मुद्दे को प्रमुखता से बैठाती है और उसका क्या नतीजा निकलता है, देखना काफी दिलचस्प होगा।