बिना विपक्ष के समर्थन के ही राष्ट्रपति चुनाव जीत जाएगी भाजपा, ये रहा सबूत
देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए भाजपा को नहीं चाहिए विपक्ष का साथ, राज्यों में जीत के बाद मजबूत स्थिति में एनडीए
नई दिल्ली। देश के अगले राष्ट्रपति का चुनाव 17 जुलाई को होगा और इसका परिणाम 20 तारीख को लोगों के सामने आ जाएगा। उत्तर प्रदेश में जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड जीत हासिल हुई है, उसके बाद पार्टी को भरोसा है कि वह आसानी से अपनी पसंद के उम्मीदवार को देश का अगला राष्ट्रपति चुन सकती है। इसके लिए भाजपा ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, भाजपा को इस बात का भरोसा है कि अपनी पसंद के उम्मीदवार को चुनने के लिए उसे विपक्ष के साथ की भी जरूरत नहीं होगा।
इसे भी पढ़ें- राष्ट्रपति चुनाव: भाजपा-विपक्ष की टक्कर के बीच एक चायवाला भी मैदान में
चल रहा है नाम को लेकर मंथन
एक तरफ जहां भाजपा ने उम्मीदवार को चुनने की प्रक्रिया शुरु कर दी है, तो दूसरी तरफ विपक्षी दल अभी भी एक नाम को लेकर विचार मंथन कर रहे हैं। यूपी और उत्तराखंड में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज की है, जिसके चलते पार्टी की वोट संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है, भाजपा के पास इलेक्टोरल कॉलेज में अच्छा नंबर है जो अगले राष्ट्रपति को चुनने में अपनी भूमिका निभाएगा।
क्या है इलेक्टोरल कॉलेज का आंकड़ा
इलेक्टोरल कॉलेज प्रदेश की आबादी के अनुसार सांसद और विधायकों के मत का मूल्य तय करता है। विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या पर नजर डालें तो यह 4120 है और इनके पास कुल 4896 मत हैं, जबकि कुल 776 सांसद हैं, जो इस चुनाव में हिस्सा लेंगे। इनमे 233 राज्यसभा सांसद और 543 लोकसभा सांसद हैं। इसके अलावा लोकसभा की स्पीकर के पास यह अधिकार है कि वह किन्ही दो एंग्लो इंडिन उम्मीदवारों को चुन सकती हैं, इस लिहाज से कुल 12 नामांकित सदस्य इस चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते हैं।
कुल 10,98,903 वोट
एक विधायक के वोट का मत उसके संसदीय क्षेत्र की आबादी पर निर्भर करता है, लेकिन एक सांसद के वोट की कीमत उसके संसदीय क्षेत्र की आबादी पर निर्भर नहीं करती है, उसका वोट समान रहता है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज की कुल कीमत 10,98,903 है। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के पास पर्याप्त संख्या नहीं थी, लेकिन जिस तरह से तमाम राज्यों में उसे जीत मिली है उसने पार्टी को मजबूत कर दिया है।
यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर की जीत अहम
राज्यों में जीत के बाद भाजपा व उसके सहयोगी दलों को मिलाकर एनडीए के पास 75,076 वोट हैं। यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर में पार्टी की जीत ने इस संख्या को बेहतर किया है और उसके पास 20 हजार अतिरिक्त वोटर मिले हैं। अगर भाजपा को एआईएडीएमके के 134 विधायकों व बीजेडी के 117 विधायकों का समर्थन मिलता है तो पार्टी को किसी भी तरह की समस्या नहीं होगी।
नहीं जरूरत है विपक्ष की
लेकिन
अगर
एआईएडीएमके
और
बीजेडी
भाजपा
को
अपना
समर्थन
नहीं
देती
हैं
तो
भी
पार्टी
जीत
के
जादुई
आंकड़े
को
छू
सकती
है,
वह
अन्य
दलों
के
समर्थन
से
भी
अपनी
पसंद
के
उम्मीदवार
को
रायसीना
हिल्स
भेज
सकती
है।
राष्ट्रपति
का
चुनाव
सीक्रेट
बैलेट
से
होता
है,
जिसमें
पार्टी
का
व्हिप
लागू
नहीं
होता
है।
राज्य
सभा
के
245
सदस्यों
में
से
भाजपा
के
पास
56
सदस्य
हैं,
जबकि
कांग्रेस
के
पास
59।
लेकिन
तमाम
राज्यों
में
जीत
केक
बाद
भाजपा
राज्यसभा
में
सबसे
बड़ी
पार्टी
के
तौर
पर
उभरेगी
और
उसके
सहयोगियों
को
मिलाकर
कुल
100
तक
आंकड़ा
पहुंच
जाएगा।
लेकिन
अगर
एआईएडीएमके
और
बीजेडी
भाजपा
को
अपना
समर्थन
नहीं
देती
हैं
तो
भी
पार्टी
जीत
के
जादुई
आंकड़े
को
छू
सकती
है,
वह
अन्य
दलों
के
समर्थन
से
भी
अपनी
पसंद
के
उम्मीदवार
को
रायसीना
हिल्स
भेज
सकती
है।
राष्ट्रपति
का
चुनाव
सीक्रेट
बैलेट
से
होता
है,
जिसमें
पार्टी
का
व्हिप
लागू
नहीं
होता
है।
राज्य
सभा
के
245
सदस्यों
में
से
भाजपा
के
पास
56
सदस्य
हैं,
जबकि
कांग्रेस
के
पास
59।
लेकिन
तमाम
राज्यों
में
जीत
केक
बाद
भाजपा
राज्यसभा
में
सबसे
बड़ी
पार्टी
के
तौर
पर
उभरेगी
और
उसके
सहयोगियों
को
मिलाकर
कुल
100
तक
आंकड़ा
पहुंच
जाएगा।