क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

दूध के दाम क्यों बढ़ रहे हैं और आगे क्या संभावना है ?

पिछले साल दूध के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिली है। आगे भी दाम नहीं बढ़ेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है। दरअसल, इसके पीछे कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारण हैं।

Google Oneindia News
why-are-the-prices-of-milk-increasing-and-what-are-the-prospects-ahead

बीते साल दूध की कीमतों में काफी इजाफा हो गया है। कुछ ही महीनों में दाम कहां से कहां पहुंच गए। यह सिलसिला थमा नहीं है और आगे की कोई गारंटी भी नहीं है। सवाल ये है कि आखिर पिछले सात-आठ साल में दूध जितना महंगा नहीं हुआ था, अचानक से एक ही साल में इतना ज्यादा महंगा क्यों हुआ? अगर गहराई से विश्लेषण करेंगे तो इसके कई कारण रहे हैं और सबने आम लोगों की जिंदगी में दूध के स्वाद को थोड़ा सा फीका करने का काम किया है। दूध के दाम बढ़ाने में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों परिस्थितियों ने बड़ा रोल निभाया है।

2022 में दूध के दाम में काफी बढ़ोतरी

2022 में दूध के दाम में काफी बढ़ोतरी

गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ने पिछले एक साल में दिल्ली में अमूल फुल-क्रीम दूध के दाम 58 रुपए से बढ़ाकर 64 रुपए कर दिए हैं। मदर डेयरी की बात करें तो 5 मार्च से 27 दिसंबर, 2022 के बीच दूध के दाम को प्रति लीटर 57 रुपए से बढ़ाकर 66 रुपए तक पहुंचा दिया है। पिछली बार दूध के दाम में 2013 के अप्रैल में आखिर से 2014 के मई के बीच में 8 रुपए की बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन, तब से लेकर 2022 के फरवरी तक यानि करीब 8 साल तक दूध के दाम में सिर्फ 10 रुपए लीटर की ही बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन, उसके बाद तो लगता है कि फुल-क्रीम दूध के दाम ने रॉकेट की रफ्तार पकड़ ली है। मदर डेयरी ने फुल क्रीम में 9 रुपए प्रति लीटर का इजाफा किया है तो टोंड के दाम 6 रुपए प्रति लीटर तक यानि 47 रुपए से 53 रुपए तक पहुंच गए हैं।

कहां से हुई शुरुआत ?

कहां से हुई शुरुआत ?

दूध के दाम में लगातार बढ़ोतरी के कई कारण रहे हैं। 2020 में जब कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगाया गया तो दूध की थोक सप्लाई बहुत ज्यादा प्रभावित हुई। होटल, रेस्टोरेंट, कैंटीन और मिठाई की दुकानें बंद हो गईं। शादियां और बाकी कार्यक्रम भी रद्द हो गए। इसकी वजह से डेयरी वालों की ओर से अप्रैल-जुलाई 2020 के बीच गाय के दूध की खरीद की कीमत 18 से 20 रुपए प्रति लीटर तक कम कर दी गई। वहीं भैंस के दूध की कीमत में 30-32 रुपए तक की कमी कर दी गई। इसका असर स्किम्ड मिल्क पावडर और काउ बटर और घी जैसी चीजों पर भी पड़ा। पूरा धंधा बैठने लगा।

मवेशियों पर क्या गुजरा ?

मवेशियों पर क्या गुजरा ?

इसके नतीजे के तौर पर किसानों ने मवेशियों की संख्या कम करनी शुरू कर दी या फिर विस्तार पर तो लगभग ब्रेक ही लगा दिया। क्योंकि, दूध के दाम से उनके लिए चारा निकलना भी मुश्किल होने लगा था। इसका परिणाम ये हुआ कि उनकी खुराक कम कर दी गई। खासकर बछड़े और बछियों या गर्भवती जानवरों या दूध नहीं देने वाले पशु सबसे ज्यादा उपेक्षा के शिकार होने लगे। एक नवजात मवेशी को गर्भधारण के लिए तैयार होने में 15 से 18 महीने लग जाते हैं। ऊपर से 9 से 10 महीने की गर्भावस्था को शामिल कर लीजिए। मतलब उन्हें दूध देने में जन्म के बाद 24 से 28 महीने तक लग जाते हैं। भैंसों के मामले में तो यह 36 से 48 महीने तक का समय होता है।

दूध के काम क्यों बढ़ रहे हैं ?

दूध के काम क्यों बढ़ रहे हैं ?

जिन बछियों को लॉकडाउन से गुजरना पड़ा, मई-जून 2021 में कोरोना और उसके बाद की त्रासदी झेलनी पड़ी, आज वे गाय बन चुकी है। उनमें से जो किसी तरह से जिंदा बच भी गई हैं, उनमें से अधिकतर अंदर से कुपोषण की वजह से आज ज्यादा दूध नहीं दे पाती हैं। कर्नाटक और तमिलानाडु को-ऑपरेटिव फेडरेशन ने साल-दर-साल 15-20% उत्पादन में गिरावट दर्ज की है। पूरे देश में यह स्थिति पैदा हुई है। वही डेयरी जो साल 2020-21 में किसानों से दूध खरीदने से इनकार कर देते थे, आज गाय के दूध के लिए 37-38 रुपए प्रति लीटर और भैंस के दूध के लिए 54-56 रुपए प्रति लीटर का भुगतान कर रहे हैं।

दूध के दाम बढ़ने के ये भी हैं कारण

दूध के दाम बढ़ने के ये भी हैं कारण

मवेशियों के कुपोषण की वजह से दूध के उत्पादन में कमी आई है, लेकिन और भी कारण हैं जिसके चलते दाम में इजाफा हो रहा है। मसलन, जानवरों का चारा 2020-21 के 16 से 17 रुपए किलो से बढ़कर मध्य 2022 तक 22 से 23 रुपए प्रति किलो हो गया। गुड़, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, रेपसीड सब चीजें महंगी हुई हैं। 2021-22 में गेहूं की खराब फसल की वजह से भूसे की कीमतें भी बढ़ी हैं और बेमौसम की बरसातों ने बाकी चारे की कीमतें बढ़ाने में भी योगदान दिया है। ऊपर से कई राज्यों में पिछले साल जुलाई से सितंबर के बीच लंपी स्किन रोग ने मवेशियों के दूध उत्पादन क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित किया है।

अर्थव्यवस्था खुलने से मांग में अचानक बढ़ोतरी

अर्थव्यवस्था खुलने से मांग में अचानक बढ़ोतरी

दूसरी तरफ 2021 के आखिर से सरकार ने जैसे ही अर्थव्यस्था खोलने की छूट देनी शुरू की, सप्लाई के मुकाबले डिमांड में काफी तेजी आ गई। मांग सिर्फ घरेलू बाजार में ही नहीं बढ़ी, अंतराराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ गई, जिससे सप्लाई बुरी तरह प्रभावित होने लगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में बटर, घी और ऐन्हाइड्रस मिल्क फैट की मांग बहुत बढ़ गई, जिसने देश में फुल क्रीम दूध के दाम पर काफी दबाव डाला है। ब्रांडेड घी और बटर की कीमतें भी काफी बढ़ गई हैं।

इसे भी पढ़ें- Budget Session: बजट सत्र से पहले संसद में सर्वदलीय बैठक, कांग्रेस के नेता रहे गैरहाजिरइसे भी पढ़ें- Budget Session: बजट सत्र से पहले संसद में सर्वदलीय बैठक, कांग्रेस के नेता रहे गैरहाजिर

Recommended Video

Mother Diary Milk Price Hike: फिर महंगा हुआ मदर डेयरी का दूध, अब इतनी बढ़ी कीमत | वनइंडिया हिंदी
आगे क्या संभावना है ?

आगे क्या संभावना है ?

कोविड महामारी और अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों ने हालात को जिस तरह से बेपटरी किया है, उसे लाइन पर आने में थोड़ा वक्त लग सकता है। किसानों को फिर से अपने मवेशियों को पूरी तरह से तैयार करने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए। ऊपर से सरकार से भी उम्मीद है कि बजट में वह दूध के उत्पादों को सस्ता करने के लिए आवश्यक ऐलान करेगी। लेकिन, यह स्थिति सामान्य होने में कुछ महीनों और लग सकते हैं।


Comments
English summary
The price of milk has increased a lot in the last year. There are domestic-international reasons behind this. It is expected from the govt that it will definitely announce some measures in the budget,so that its prices can be controlled
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X