किन लोगों को दोबारा ओमिक्रॉन होने का है खतरा ? जानिए
नई दिल्ली, 2 फरवरी: कोविड के ओमिक्रॉन वेरिएंट से रिकवरी के बाद कुछ ही दिनों में दोबारा संक्रमित होने के मामले सामने आ रहे हैं। इससे यह चिंता बढ़ गई है कि जो लोग हाल में संक्रमित हुए हैं, वह यह सोचकर निश्चिंत नहीं रह सकते कि उनके शरीर में ताजा एंटीबॉडी बनी हुई है और उन्हें संक्रमण के खिलाफ इम्यूनिटी मिली हुई है। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि किन लोगों को ओमिक्रॉन वेरिएंट से ठीक होने के बाद भी दोबारा संक्रमित होने का जोखिम है। हालांकि, ऐसे केस को लेकर एक्सपर्ट अभी आंकड़े जुटाने में लगे हुए हैं, लेकिन इतना जरूर पता चल चुका है कि किन लोगों को फिर से संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है।
रिकवरी के तुरंत बाद आ रहे हैं दोबारा संक्रमण के मामले
हाल ही में दक्षिण दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के दो जूनियर डॉक्टर कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए। जबकि, मुश्किल से सात या दस दिन पहले वे दोनों इसी इंफेक्शन से रिकवर हुए थे। मैक्स अस्पताल के कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉक्टर जितुमोनी बैश्य ने इंडिया टुडे को बताया है, '14 दिन पहले, दोनों डॉक्टरों में लक्षण थे और जांच में कोविड पॉजिटिव निकले। फिर बाद में टेस्ट निगेटिव आया। लेकिन, रिकवरी के सात से दस दिनों बाद, उनमें फिर से वही सब लक्षण दिखाई देने लगे। हमने उनके सैंपल को जीनोम सिक्वेसिंग के लिए भेज दिया।' अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि दोनों डॉक्टरों को दोबारा ओमिक्रॉन हो गया या फिर वे दो अलग-अलग वेरिएंट से संक्रमित हुए हैं। इसलिए आशंका पैदा हुई है कि क्या इतनी जल्दी दोबारा ओमिक्रॉन का संक्रमण हो सकता है ?
क्या इंफेक्शन इतनी जल्दी दोबारा हो सकता है ?
क्या कोरोना का इतनी जल्दी दोबारा इंफेक्शन हो सकता है ? जब यह सवाल सर गंगा राम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर धीरेन गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'ऐसा देखा गया है कि कुछ मरीजों में पहली बार कोविड पॉजिटिव होने के दो से चार हफ्ते बाद फिर से कोविड जैसे लक्षण आने लगते हैं। इसकी संख्या बहुत ही कम है और यह स्पष्ट नहीं है कि यह री-इंफ्केशन है या फिर बीमारी की कोई अलग प्रक्रिया है। आरटी-पीसीआर रिजल्ट नाक में मृत वायरस की वजह से भी पॉजिटिव आ सकता है। महामारी वैज्ञानिकों को इन घटनाओं की जांच कर और परिभाषित करना चाहिए।' उन्होंने कहा, 'वर्तमान साक्ष्यों के आधार पर, कोविड के दोबारा संक्रमण को पहले संक्रमण के तीन महीने बाद लक्षणों के फिर से प्रकट होने के साथ-साथ आरटी-पीसीआर पॉजिटिव रहने के रूप में परिभाषित किया गया है। इसलिए ऊपर की घटनाक्रम को इस तरह से नहीं बताया जा सकता है। हमें लक्षणों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है और अगर ओमिक्रॉन भी होता है तो हम बेपरवाह नहीं रह सकते।'
किन लोगों को दोबारा ओमिक्रॉन होने का है खतरा ? जानिए
किन लोगों को दोबारा ओमिक्रॉन संक्रमण होने का खतरा है, जब इसके बारे में मैक्स के डॉक्टर बैश्य से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'इसकी संभावना तब है जब मरीज को ओमिक्रॉन वेरिएंट का हल्का या मध्यम स्तर का इंफेक्शन हुआ हो। इस वेरिएंट के खिलाफ उस मरीज में जो इम्यूनिटी विकसित हुई है, वह पर्याप्त नहीं है और तब दोबारा संक्रमण होने की ज्यादा संभावनाएं हैं। हमें इस बात का और ज्यादा मूल्यांकन करने की जरूरत है कि ठीक होने के बाद लोग फिर से क्यों संक्रमित हो रहे हैं। '
एक्सपोजर का मतलब पूर्ण इम्यूनिटी नहीं है
एपिडेमियोलॉजिस्ट और हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहरिया के अनुसार अगर आप हाल में वायरस के संपर्क में आ चुके हैं तो इसका मतलब है कि आपको क्लीनिकल सिम्पटोमेटिक बीमारी होने की संभावना कम है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप संक्रमित हो नहीं सकते। उनके मुताबिक, 'इसका कारण ये है कि हाल के एक्सपोजर से एंटीबॉडी की मात्रा ज्यादा होती है, जो कि वायरस को स्थानीय स्तर पर रोक सकता है। इस समय दोबारा संक्रमण गंभीर बीमारी से नहीं जुड़ा है।' उन्होंने यह भी कहा कि 'एंटीबॉडी गंभीर बीमारी से रक्षा करता है। गंभीर संक्रमण होने की संभावना कम होती है।' अभी तक दोबारा ओमिक्रॉन होने के मामले कम देखे गए हैं; और एक्सपर्ट इससे संबंधित और ज्यादा आंकड़े जुटा रहे हैं, ताकि और भी बेहतर जवाब तैयार कर सकें।