लंबी होती लिस्ट उत्तराखंड के आंदोलकारियों की
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) उत्तराखंड में आंदोलनकारियों की लम्बी होती लिस्ट लाखों उत्तराखंडियों के आवाम के जख्मों पर नमक छिड़कने की तरह है। उन लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है जो अपने को उत्तराखंड आंदोलन से जुड़ा बताने का दावा कर रहे हैं। वे कहते हैं कि उत्तर प्रदेश से अलग होकर भी राज्य का विकास नहीं हुआ।
उस
पर
तुर्रा
यह
कि
भाजपा
व
कांग्रेस
के
कई
बड़े
नेताओं,
पूर्व
मुख्यमंत्रियों
व
मंत्रियों
ने
अपने
आप
को
इस
लिस्ट
में
शामिल
करवा
लिया
है।
उत्तराखंड
से
जुड़े
वरिष्ठ
पत्रकार
विजेन्द्र
रावत
कहते
हैं
कि
कितना
दुर्भाग्य
है
कि
पुलिस
की
लिस्ट
में
दर्ज
नाम
सबसे
बड़ा
दस्तावेज
है
जो
पुलिस
10
रुपये
के
लिए
किसी
के
सामने
भी
हाथ
फैलाने
से
नहीं
चुकती
वह
आंदोलनकारी
होने
का
सर्टिफिकेट
जारी
कर
रही
हैं।
आंदोलनकारी का दर्जा
वे मानते हैं कि राज्य आंदोलन में शहीद होने वाले के अलावा किसी को भी आंदोलनकारी का दर्जा नहीं मिलना चाहिए। यदि यह लिस्ट बढ़ती है तो उत्तराखंड की आम जनता को इसका जमकर विरोध करना चाहिए क्योंकि यह उनकी खून पसीने की कमाई की खुली लूट है।
जानकार कहते हैं कि राज्यहित में आंदोलनकारियों के नाम पर बने संगठनों पर तुरन्त रोक लगा देनी चाहिए, वरना उत्तराखंड का हर नागरिक व प्रवासियों को भी राज्य आंदोलनकारी बोनस मिलना चाहिए।क्योंकि इस जनआंदोलन में हर व्यक्ति शामिल था। यहाँ तक कि पशुओं ने भी भूखे रहकर आंदोलन में हिस्सा लिया जब घर की महिलायें आंदोलन के लिए सडकों उतरती थी तब खूंटे पर बंधे पशुओं ने भूखे रहकर परोक्ष रूप से आंदोलन में हिस्सा लिया था।
उत्तराखंड का आम आदमी आंदोलकारी होने का सर्टिफिकेट लेकर घूमने वाले कई फर्जी लोगों का उंगली पर गिना रहे हैं।नेताओं को चाहिए कि वह जनहित में आंदोलनकारी की लिस्ट से अपना नाम हटा लें वरना भविष्य में जनता के कड़े सवालों जवाब लिए तैयार रहें।
नौकरियों
में
आरक्षण
उधर,
वरिष्ठ
चिंतक
डॉ.
सुभाष
चन्द्र
थलेडी
कहते
हैं
कि
राज्य
आंदोलनकारी
के
नाम
पर
लोग
सुविधाएँ
लूट
रहे
हैं।
सरकारी
नौकरियों
में
आरक्षण
पा
रहे
हैं।
उत्तराखंड-आंदोलन
जनता
का
स्वतः
स्फूर्त
आंदोलन
था।
अकूत सुविधाएं
वे कहते हैं कि इसीप्रकार पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जा रही अकूत सरकारी सुविधाओं को फ़ौरन वापस लिया जाना चाहिए। उत्तराखंड का अनुत्पादक बजट बढाने में ऐसी व्यवस्थाओं का योगदान अधिक है। सरकारी पदों की बन्दरबांट हो रही है। जो पद और विभाग कहीं नहीं होंगे वे उत्तराखंड में हैं।एक छोटे राज्य में ऐसी लूट नहीं होनी चाहिए।