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जो करते हैं बालवीरों का अनादर

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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) कभी-कभी लगता है कि हमारे यहां कुछ संस्थाएं वक्त के साथ अपने को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं। बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार देने वाली संस्था इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयरइस बात की जिंदा मिसाल है।

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सूची भी नहीं
इसके पास उन बच्चों की कोई सूची नहीं है,जिन्हें ये सम्मानित कर चुकी है। वीर बच्चे अब कहां है और क्या कर रहे, इसकी जानकारी मांगना तो इनके साथ नाइंसाफी करने के समान है। आप लाख कोशिश कर लीजिए कुछ जानकारी लेने के लिए, पर आपको एक ही जवाब मिलेगा, " कल डायरेक्टर से बात कर लीजिए। आज बिजी हैं।" इनकी कल कब आएगी या होगी,किसी को मालूम नहीं। और डायरेक्टर से मुलाकात करना तो ईश्वर से साक्षात्कार करने के समान है। यहां से बालवीरों को कोई जानकारी नहीं मिलती। सिर्फ काहिली होती है इधर।

नकद राशि और प्रशस्ति पत्र

बहरहाल, बाल वीरों को 20 हजार रुपये,एक सिल्वर मैडल और एक प्रशस्ति पत्र मिलता है। गीता व संजय चोपड़ा अवार्ड विजेताओं को 40 हजार रुपये,पदक और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। भारत अवॉर्ड विजेता को 50 हजार रुपये दिए जाते हैं। एक बार गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किए जाने के बाद इन्हें कोई पूछने वाला नहीं होता।

मिले मेनका गांधी से

खैर,राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार-2014 से पुरस्कृत बच्चों ने कल राजधानी में एक समारोह में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी से मुलाकात की। आठ से 18 साल के बीच के आयु वर्ग के बच्चों को उनके बुद्धिमत्ता और साहसिक अनुकरणीय कार्यों के लिए पुरस्कृत किया गया है।

सराहना की

श्री गांधी ने बच्चों के साहसिक अनुकरणीय कार्यों की सराहना की। पुरस्कार के लिए चयनित 24 बच्चों में से 4 पुरस्कार विजेताओं को उनकी बहादुरी के कारनामों के लिए मरणोपरांत पुरस्कृत किया गया है।

राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार

1957 में स्थापित राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार भारत सरकार और बाल कल्याण की भारतीय परिषद द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है। पुरस्कार साहसिक मेधावी कार्यों और दूसरों के लिए लिए एक उदाहरण स्थापित करने वाले बच्चों को दिया जाता है।वर्ष 2014 का ‘भारत पुरस्कार' उत्तर प्रदेश की 16 वर्षीय रेशम फातिमा, ‘गीता चोपड़ा पुरस्कार' असम के 13 वर्षीय गुंजन शर्मा और ‘संजय चोपड़ा पुरस्कार' उत्तर प्रदेश के 16 वर्षीय देवेश कुमार को दिया गया।

Comments
English summary
Who cares for bravery award winning children. They are forgotten after Republic day.
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