ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस का आतंक, जानिए कौन है ज्यादा खतरनाक और रिस्की
नई दिल्ली, 20 मई। कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से देश उबरने की दिशा में बढ़ ही रहा था कि अब मरीजों में नई तरह की बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है। कई राज्यों में कोविड मरीजों के अंदर ब्लैक फंगस के मामले सामने आने के बाद अब बिहार से व्हाइट फंगस के चार हैरान करने वाले केस सामने आए हैं। गौरतलब है कि ब्लैक फंगस की तुलना में व्हाइट फंगस को ज्यादा खतरनाक माना जाता है। व्हाइट फंगस से संक्रमित मरीजों में एक पटना के मशहूर डॉक्टर हैं। फिलहाल सभी चार मरीजों को स्वास्थ्य देखभाल में रखा गया है।
व्हाइट फंगस ज्यादा खतरनाक
व्हाइट फंगस संक्रमण ब्लैक फंगस संक्रमण से अधिक खतरनाक है क्योंकि यह फेफड़ों के साथ-साथ शरीर के अन्य भागों जैसे नाखून, त्वचा, पेट, गुर्दे, मस्तिष्क, निजी अंगों और मुंह को प्रभावित करता है। डॉक्टरों ने कहा कि सफेद फंगस भी फेफड़ों को संक्रमित करता है, जिस तरह मरीजों में कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए इस्तेमाल की जा रही एचआरसीटी तकनीक से फेफड़ों में व्हाइट फंगस संक्रमण का पता चलता है।
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ऐसे लोगों में संक्रमण का ज्यादा खतरा
व्हाइट फंगस उन कोरोनावायरस रोगियों को भी प्रभावित कर रहा है जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। सफेद फंगस का सीधा असर इन मरीजों के फेफड़ों पर पड़ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक सफेद फंगस के खिलाफ कैंसर के मरीजों को अलर्ट पर रखा गया है। सफेद कवक बच्चों और महिलाओं को भी संक्रमित करता है और डॉक्टरों के अनुसार यह ल्यूकोरिया का मुख्य कारण है।
बच्चों और महिलाओं के लिए भी खतरे की घंटी
व्हाइट फंगस उन कोरोना वायरस रोगियों को भी प्रभावित कर रहा है जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। सफेद फंगस का सीधा असर इन मरीजों के फेफड़ों पर पड़ रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक सफेद फंगस के खिलाफ कैंसर के मरीजों को अलर्ट पर रखा गया है। सफेद कवक बच्चों और महिलाओं को भी संक्रमित करता है और डॉक्टरों के अनुसार यह ल्यूकोरिया का मुख्य कारण है। डॉ सिंह ने कहा कि ऑक्सीजन या वेंटिलेटर को ठीक से सेनेटाइज करने पर व्हाइट फंगस के संक्रमण से बचाव आसान है।
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