किन किराएदारों को फ्लैट या घर के किराए पर अब देना होगा GST ? जानिए
नई दिल्ली, 12 अगस्त: क्या आपको मालूम है कि अगर आप किराए पर मकान लेकर रहते हैं तो आप भी जीएसटी के दायरे में आ सकते हैं। किराए पर जीएसटी की यह दर 18% है और आपको पिछले महीने के हिसाब से ही इसे भुगतान करना पड़ सकता है। हालांकि, रेंट पर जीएसटी का नियम हर किराएदार या मकान मालिक पर लागू नहीं होता। इसलिए यह जानना बेहद जरूरी है कि 18 जुलाई से किन लोगों को किराए के मकान में रहने के लिए रेंट पर जीएसटी देने का नियम लागू हो चुका है।
रजिस्टर्ड हैं तो रेंट पर भी देना होगा 18% जीएसटी
अगर आप किराए पर घर या फ्लैट लेकर रह रहे हैं और वस्तु और सेवा कर सिस्टम पर रजिस्टर्ड हैं तो आपको किराए वाली प्रॉपर्टी पर दिए जाने वाली रेंट पर भी जीएसटी देना होगा। इस टैक्स का प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक में दिया गया था। इसी आधार पर 18 जुलाई, 2022 से ऐसे किराएदारों के लिए 18 फीसदी जीएसटी देने की व्यवस्था कर दी गई है। हालांकि, मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक किराएदार सेल्स पर टैक्स जमा करते समय रिटर्न में इसपर छूट का दावा कर सकते हैं।
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इन लोगों को नहीं देना होगा रेंट पर जीएसटी
17 जुलाई, 2022 तक किराए पर लिए गए आवासीय घर या फ्लैट पर कोई जीएसटी लागू नहीं होता था, चाहे किराएदार या मकान मालिक जीएसटी सिस्टम पर रजिस्टर्ड हो या ना हो। लेकिन, 18 जुलाई से जीएसटी सिस्टम में रजिस्टर्ड किराएदार आवसीय संपत्ति पर 18% जीएसटी भुगतान के लिए उत्तरदायी बन गया है। ऐसे किराएदार यह टैक्स रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म (आरसीएम) के तहत भुगतान करेंगे। हालांकि, किसी भी आम व्यक्ति या वेतन भोगी लोगों पर यह व्यवस्था लागू नहीं होती।
बिजनेसमैन और पेशेवरों पर बढ़ा बोझ
इसके बारे में क्लियर के फाउंडर और सीईओ अर्चित गुप्ता ने उस वेबसाइट को विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि यदि कोई सामान्य वेतनभोगी व्यक्ति ने अगर किराए पर आवसीय घर या फ्लैट ले रखा है तो उसे जीएसटी देने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, 'हालांकि, जीएसटी से रजिस्टर्ड व्यक्ति जो बिजनेस करता है या किसी पेशे में है, उसे मकान मालिक को दिए जाने वाले किराए पर 18% जीएसटी निश्चित तौर पर देना होगा।'
जीएसटी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता कब है ?
आमतौर पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता तब पड़ती है, जब किसी व्यवसाय या पेशे का सालाना टर्नओवर जीएसटी कानून के तहत तय की गई सीमा से ज्यादा हो। इसके लिए कुछ श्रेणियां निर्धारित की गई हैं। मसलन, जीएसटी कानून के तहत यदि रजिस्टर्ड व्यक्ति सिर्फ सेवाएं देता है तो उसका सालाना टर्नओवर 20 लाख होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति या कंपनी सिर्फ वस्तु की सप्लाई करती है तो यह सीमा 40 लाख रुपये सालाना टर्नओवर की है। लेकिन, यदि रजिस्टर्ड व्यक्ति या कंपनी किसी पूर्वोत्तर के राज्य में है या किसी विशेष श्रेणी के राज्य में है तो यह सीमा एक वित्तीय वर्ष के लिए 10 लाख रुपये निश्चित की गई है।
जुलाई में हुआ 1.49 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन
जीएसटी व्यवस्था नरेंद्र मोदी सरकार ने 2017 से शुरू की थी। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बीते जुलाई महीने में जीएसटी कलेक्शन 28% बढ़कर 1.49 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो कि दूसरा सबसे ज्यादा कलेक्शन रिकॉर्ड है। जुलाई, 2021 में जीएसटी कलेक्शन सिर्फ 1,16,393 करोड़ रुपये रहा था। जीएसटी के इतिहास में सबसे ज्यादा कलेक्शन मौजूदा वित्त वर्ष के पहले महीने यानी कि अप्रैल में हुआ था, जब यह रिकॉर्ड 1.68 लाख करोड़ तक पहुंच गया था। केंद्र सरकार के मुताबिक जुलाई में ऐसा छठी बार हुआ था कि जीएसटी कलेक्शन 1.40 लाख करोड़ रुपये की सीमा पार कर गया। इसमें से पांच बार तो इस साल मार्च से अबतक हो चुका है।