जब चंद्रशेखर को देखते ही भैरोंसिंह शेखावत ने नरेंद्र मोदी की जेब में रख दिया था सामान
नई दिल्ली। स्थान, दिल्ली का इंदिरा गांधी एयरपोर्ट। नरेंद्र मोदी और भाजपा के दिग्गज नेता रहे भैरोंसिंह शेखावत किसी राजनीतिक दौरे पर रवाना होने के लिए विमान का इंतजार कर रहे थे। तभी पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी किसी यात्रा पर रवाना होने के लिए एयरपोर्ट पहुंचते हैं। भैरोंसिंह शेखावत ने जैसे ही दूर से चंद्रशेखर को आते हुए देखा, अपने कुर्ते की जेब से तुरत-फुरत कुछ सामान निकालकर, नरेंद्र मोदी की जेब में रख दिया। अभिवादन के बाद चंद्रशेखर ने सबसे पहले भैरोसिंह शेखावत की जेबें टटोलीं। भैरोंसिंह शेखावत और नरेंद्र मोदी की चंद्रशेखर से कुछ पल गुफ्तगू हुई और फिर सभी, अपने-अपने गंतव्य के लिए रवाना हो गए। वो क्या सामान था, जिसे भैरोंसिंह शेखावत ने चंद्रशेखर को दूर से देखते ही नरेंद्र मोदी की जेब में छिपा दिया था।
दरअसल भैरोंसिंह शेखावत को पान-पराग गुटखा खाने की आदत थी और चंद्रशेखर तंबाकू वगैरह से बहुत नफरत करते थे। उन्हें भैरोंसिंह शेखावत की सेहत की चिंता भी होती थी। अलग-अलग दलों और अलग-अलग विचारधाराओं की राजनीति करने के बावजूद इस तरह का प्यार और अपनापन चंद्रशेखर में था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 'चंद्रशेखर: द लास्ट आइकॉन ऑफ आइडियोलॉजिकल पॉलिटिक्स' के विमोचन के मौके पर ये किस्सा सुनाया। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर लिखी पहली जीवनी की इस पुस्तक को राज्यसभा के उपासभापति हरिवंश और रविदत्त वाजपेयी ने लिखा है। जिसका विमोचन कल संसद के जीएमसी बालयोगी सभागार में किया गया।
पीएम मोदी ने बताया चंद्रशेखर को बलिया का बागी
चंद्रशेखर के विद्रोही तेवरों को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि शायद ये बलिया के ही संस्कार थे, जिसके चलते उन्होंने बगावत का रास्ता अपनाया। पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रशेखर जी से मेरी आखिरी मुलाक़ात में भी वो देश की समस्याओं को लेकर चिंतित थे. चंद्रशेखर ने गांव किसान को ध्यान में रख कर पद यात्राएं कीं। लेकिन उसके लिए उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया गया। उन्हें सिर्फ़ पूंजीपतियों के पैसे आदि से जोड़ कर दिखाया गया।
चंद्रशेखर की पहली जीवनी
यह किताब राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश व मेलबर्न (आस्ट्रेलिया) के डिकीन यूनिवर्सिटी से भारत-चीन संबंध पर डाक्टरेट कर रहे रविदत्त वाजपेयी ने लिखी है। इसकी भूमिका पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने तैयार की है। बता दें कि प्रामाणिक जीवनी के रूप में अंग्रेजी में यह पहली किताब है। मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के अलावा राज्यसभा में नेता विपक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद, उपराष्ट्रपति वेंकैय्या नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और उपसभापति हरिवंश मौजूद थे। इस मौके पर गुम नबी आज़ाद ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को याद करते हुए कहा कि वो जिस तरह की समाजवादी राजनीति करते थे उसकी तुलना में आज राजनीति का स्तर काफ़ी गिर गया है। आज केवल पद प्रतिष्ठा की राजनीति है विचारों की नहीं।
जल्द आएगा हिन्दी संस्करण
रूपा पब्लिकेशन से अंग्रेज़ी में लिखी इस पुस्तक का हिंदी संस्करण भी जल्द ''चंद्रशेखर- विचारों की राजनीति के अंतिम नायक '' नाम से प्रकाशित होगी. ये पुस्तक पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की प्रमाणिक जीवनी है, जो चंद्रशेखर से जुड़े वैचारिक पहलुओं के साथ उनसे जुड़े भ्रमों का भी निदान करती है। लेखक हरिवंश के अनुसार देश के एलीट क्लास यानी अंग्रेज़ी लेखक व इतिहासकार चंद्रशेखर जैसे हिंदी बेल्ट के महत्वपूर्ण नेताओं को महत्व नहीं देते- ये भी इस पुस्तक को लिखे जाने के पीछे एक प्रेरक प्रसंग रहा। लम्बे समय तक चंद्रशेखर के साथ काम करने के अलावा हरिवंश पीएमओ में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ काम भी कर चुके हैं।
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