भूकंप कब और कैसे आता है? इसके पीछे की पूरी बात जानिए
दिल्ली-एनसीआर ने आज फिर भूकंप के झटके महसूस किए। काफी देर तक महसूस किए। दरअसल, पृथ्वी के अंदर लगातार हलचल चल रही है और भूकंप उसी का परिणाम है, जो कई बार विनाशकारी साबित होता है।
दिल्ली-एनसीआर में आज दिन में लोगों ने भूकंप का जोरदार झटका महसूस किया। इसका केंद्र नेपाल में बताया जा रहा है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.8 बताई गई है। यह शक्तिशाली भूकंप है, नेपाल में इसकी वजह से कई इमारतों को नुकसान पहुंचने की सूचना है। ऐसे में भूकंप के बारे में यह जानना है आवश्यक है कि यह क्या है, कैसे आता है और इसका एपीसेंटर कैसे तय होता है? यही नहीं, भारत कितने भूकंप जोन में बंटा हुआ है? क्योंकि, पिछले कुछ वर्षों में खासकर दिल्ली-एनसीआर में भूकंप की गतिविधियां बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी हैं।
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भूकंप कब और कैसे आता है?
पृथ्वी के अंदर मौजूद टेक्टोनिक प्लेट हमेशा धीरे-धीरे गतिशील रहती हैं। लेकिन, कई बार घर्षण की वजह से वे अपने किनारों पर अटक जाती हैं या एक-दूसरे से टकरा जाती हैं या एक-दूसरे पर चढ़ जाती हैं, एक-दूसरे में घुस जाती हैं। सामान्य तौर पर जब इन वजहों से अचानक प्लेटों की स्थितियां बदलती हैं या वह अचानक स्थान में परिवर्तन करती हैं तो भूकंप आता है। इसकी वजह से धरती के गर्भ से ऊर्जा निकलती है, जो धरती की पपड़ी (crust या पृथ्वी का बाहरी हिस्सा) से गुजरती हुई ऊपर आती हैं और सतह पर हम कंपन महसूस करते हैं। धरती की पपड़ी 7 टुकड़ों में बंटी हुई है और इसे ही टेक्टोनिक प्लेट कहते हैं।
भूकंप का केंद्र या एपीसेंटर क्या होता है ?
पृथ्वी की सतह के नीचे जिस जगह पर टेक्टोनिक गतिविधियां होती हैं या फिर चट्टानें आपस में टकराती, खिसकती या टूटती हैं, उसी स्थान को भूकंप का केंद्र माना जाता है। यही वजह है कि भूकंप का प्रभाव उसके केंद्र के चारों ओर महसूस किया जा सकता है। जब भूकंप होता है तो इसकी वजह से निकलने वाली ऊर्जा तंरगों के रूप में शांत धरती में उथल-पुथल मचा देती है। यह प्राकृतिक घटना कुछ उसी तरह से होता है जैसे कि किसी शांत झील में पत्थर का कोई टुकड़ा फेंक दिया जाए।
भूकंप की तीव्रता कैसे घटती- बढ़ती है ?
भूकंप धरती के क्रस्ट या ऊपरी मेंटल में आता है। इसकी रेंज धरती की सतह से करीब 800 किलोमीटर नीचे तक हो सकती है। अमेरिकी सरकार की एक वेबसाइट के मुताबिक भूकंप का स्रोत जितना ही गहरा होता है, सतह पर उसका कम झटका महसूस होता है। लेकिन, सतह से जितनी कम गहराई में भूकंप आता है, उसकी तीव्रता ज्यादा महसूस होती है। मसलन, 500 किलोमीटर नीचे आए भूकंप की ताकत, 20 किलोमीटर गहराई में आए भूकंप से कम होगी। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी जाती है। यह 1 से 9 के क्रम में है, जिसमें 1 बहुत ही कम और 9 या उससे अधिक को पूर्ण विनाशकारी माना गया है। 0 से 1.9 तक का झटका तो सिर्फ उपकरणों में ही दर्ज हो पाता है।
भारत में भूकंप जोन कितने हैं ?
भारत में 5 भूकंप जोन हैं। इनमें से पहले और दूसरे जोन को कम जोखिम वाला माना जाता है। जोन तीन हल्का जोखिम वाला इलाका माना जाता है। इसमें पश्चिमी हिमालय का मैदान, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को शामिल किया जाता है। जोन चार जोखिम वाला भूकंप जोन माना जाता है। इसमें राजधानी दिल्ली समेत जम्मू, बिहार, उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड, गंगा बेसिन को शामिल किया जाता है। जोन पांच सबसे ज्यादा भूकंप संवेदनशील जोन है। यह भूकंप के दृष्टकोण से बहुत ही खतरनाक माना जाता है। इसमें पंजाब, कश्मीर और उत्तर-पूर्वी भारत को शामिल किया जाता है।
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चीन और भारत में यहां भी संघर्ष है !
भारतीय या इंडियन टेक्टोनिक प्लेट का दायरा हिमालय से लेकर अंटार्कटिक तक फैला हुआ है। भौगोलिक रूप से यह हिमालय के दक्षिणी हिस्से में है। वहीं यूरेशियन प्लेट इसके उत्तरी क्षेत्र में है। इन्हीं दोनों टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के चलते यह इलाका भूकंप के लिए बहुत ही ज्यादा संवेदनशील है। यहां अक्सर भूकंप के झटके आते रहते हैं। इंडियन टेक्टोनिक प्लेट लगातर चीन की ओर बढ़ रही है। भूकंप विज्ञानियों का मानना है कि अगर इन दोनों प्लेटों में सीधी टकराव की स्थिति पैदा होती है तो इस क्षेत्र को विनाशकारी भूकंप का सामना करना पड़ सकता है। (तस्वीरें-फाइल)