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'योगी मॉडल' क्या है जिसकी चर्चा कर रहे हैं बीजेपी के मुख्यमंत्री

बीजेपी नेता की हत्या के बाद कर्नाटक सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा है कि ज़रूरत पड़ी तो 'योगी मॉडल' की तर्ज़ पर कार्रवाई की जाएगी. आख़िर क्या है ये मॉडल?

By BBC News हिन्दी
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योगी आदित्यनाथ
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योगी आदित्यनाथ

दक्षिण कर्नाटक में बीजेपी नेता प्रवीण नेट्टारु की हत्या के मामले में दो अभियुक्त ज़ाकिर और शफ़ीक़ गिरफ़्तार हो चुके हैं. लेकिन इस हत्या से पनपे सांप्रदायिक तनाव के बीच अपने समर्थकों की आलोचना झेल रहे मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने ये कह कर सबको चौंका दिया कि ज़रूरत पड़ी तो इस मामले में 'योगी मॉडल' की तर्ज़ पर कार्रवाई की जाएगी.

माना जा रहा है कि हिंदू वोट बैंक की नाराज़गी को कम करने और अपने पैर मज़बूत करने के लिए बोम्मई ने 'योगी मॉडल' वाला बयान दिया है.

2014 के बाद से बीजेपी ने देश में हर चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द ही लड़ा है. 2017 का यूपी चुनाव भी मोदी के चेहरे पर ही लड़ा गया और जीत मिलने के बाद योगी आदित्यनाथ को सीएम पद की ज़िम्मेदारी दी गई.

बीते पाँच साल की परफ़ॉर्मेंस के आधार पर ही उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने रणनीति में बदलाव करते हुए 2022 का विधानसभा चुनाव योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर लड़ा और बड़ी जीत भी दर्ज की.

ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले सीएम

इस साल उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में 37 साल बाद ऐसा हुआ जब यूपी में पाँच साल सरकार चलाने के बाद कोई दल फिर से सत्ता में आया.

उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने अपने दम पर 255 सीटें हासिल कीं.

जीत को लेकर जानकारों ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दीं. 'डबल इंजन' सरकार को केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और यूपी में योगी आदित्यनाथ की दुरुस्त कानून-व्यवस्था के मेल के तौर पेश किया गया.

अभियुक्तों के घरों पर 'बुलडोज़र' वाली कार्रवाई सहित कई फ़ौरन की जाने वाली कार्रवाई के कारण यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आलोचनाओं के घेरे में रहते हैं लेकिन कुछ समर्थक सरकार चलाने के उनके सख्त अंदाज़ के हिमायती भी हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार बसवराज बोम्मई ने कहा, "उत्तर प्रदेश की स्थिति के हिसाब से योगी सबसे सही मुख्यमंत्री हैं. कर्नाटक में स्थिति से निपटने के लिए अलग तरीके हैं और इन सबका इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर ज़रूरत पड़ी तो योगी मॉडल वाली सरकार कर्नाटक में भी आएगी."

लेकिन यहाँ सवाल ये है कि 'योगी मॉडल' है क्या?

'बुलडोज़र' एक्शन बीजेपी शासित राज्यों को आ रहा पसंद?

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक मामलों की जानकार नीरजा चौधरी कहती हैं कि अगर कोई सीएम योगी मॉडल की बात करता है तो उनका इशारा 'बुलडोज़र की राजनीति' की ओर होता है.

अपने पहले कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ ने दंगाइयों और अपराधियों के घरों पर बुलडोज़र चलवाए, जिसकी ख़ूब आलोचना हुई.

अख़िलेश यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान एक सभा में योगी पर तंज़ करते हुए उन्हें 'बुलडोज़र बाबा' कहा था. हालाँकि, इसके बाद 'बुलडोज़र' बीजेपी के प्रचार अभियान का एक अहम हिस्सा बन गया. यहाँ तक कि 'यूपी की मजबूरी है, बुलडोज़र ज़रूरी है' और 'बाबा का बुलडोज़र' जैसे नारे भी गूंजे.

सीएम योगी के पिछले कार्यकाल में कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के अभियुक्त विकास दुबे के घर पर भी बुलडोज़र चलाया गया था.

हाल ही में बीजेपी की पूर्व नेता नूपुर शर्मा की पैग़ंबर मोहम्मद पर दी गई विवादित टिप्पणी के बाद यूपी के प्रयागराज में छिड़ी हिंसा के कथित मास्टरमाइंड जावेद पंप के घर को बुलडोज़र से ढहा दिया गया. प्रशासन की ओर से पंप के घर को अवैध निर्माण बताया गया था.

जानकारों की नज़र में बुलडोज़र एक्शन दरअसल अपराधियों और अभियुक्तों को दंड देने की प्रक्रिया भर नहीं है. इसके पीछे पूरे प्रदेश और अब देशभर में मज़बूत संदेश भेजने की कोशिश की जा रही है. योगी की ब्रांडिंग ऐसे प्रशासक के तौर पर हो रही है, जो अपराध के ख़िलाफ़ फ़ौरन कार्रवाई करते हैं.

योगी सरकार की इस त्वरित कार्रवाई वाले फॉर्मूले पर चलते हुए हाल में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार और असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार भी अभियुक्तों पर 'बुलडोज़र' वाला एक्शन ले चुकी है.

योगी सरकार के कामकाज के तरीकों पर सवाल करते हुए नीरजा चौधरी कहती हैं, "आप बिना नोटिस दिए किसी के जीवनभर की कमाई से बने घर को ढहा देते हैं, वो भी सरकार की ओर से ऐसा किया जाए तो ये हमारे देश के लिए बहुत नई चीज़ है. लोगों को आजकल इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि कार्रवाई पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करके हो रही है या नहीं. कम शब्दों में कहें तो कानून की ज़रूरी प्रक्रिया का पालन किए बिना अभियुक्तों पर कड़ी कार्रवाई करना योगी मॉडल है."

बीजेपी राज्यों के लिए मिसाल क्यों बनते जा रहे हैं योगी

कानूनी प्रक्रिया को नज़रअंदाज़ करते हुए अभियुक्तों पर झटपट कार्रवाई को लेकर योगी सरकार की आलोचनाओं के बावजूद ऐसा क्या है जो उनको बाकी बीजेपी राज्यों के लिए मिसाल बना रहा है. ख़ासतौर पर कर्नाटक जैसे राज्य में जो शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा जैसे कई बुनियादी स्तरों पर उत्तर प्रदेश से आगे है.

दशकों से यूपी की राजनीति को करीब से देखने वालीं वरिष्ठ पत्रकार सुनीता एरॉन कहती हैं, "योगी मॉडल की जब बात होती है तो उसका मतलब हिंसा के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस से है. चाहे सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन हो, जुमे की नमाज़ के बाद हुई हिंसा हो, इन सब मामलों में ज़ीरो टॉलरेंस रखा गया. केवल एफ़आईआर या गिरफ़्तारी ही नहीं बल्कि अभियुक्तों की तस्वीरें लगाकर उन्हें सार्वजनिक किया, ख़ासतौर पर जिन्होंने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया. इसका समाजिक चेतना पर बहुत असर पड़ता है. कोई भी विध्वंसक प्रवृत्ति के लोगों के साथ नहीं दिखना चाहता."

लाउडस्पीकर
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लाउडस्पीकर

बेहतर कानून व्यवस्था को ही योगी मॉडल बताते हुए बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं, "यूपी की पिछली सरकारों में आपराधिक गिरोह सत्ता के समानांतर एक नेटवर्क चलाया करते थे. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कानून व्यवस्था का मुद्दा गले की हड्डी बन जाया करता था. मुलायम सिंह के शासन काल में अमिताभ बच्चन से कहलवाना पड़ा कि 'यूपी में दम है क्योंकि जुर्म यहाँ कम है.' लेकिन जनता ने इसको खारिज कर दिया. बीते पाँच सालों में हमने जितने माफ़ियाओं और दंगाइयों पर ठोस कार्रवाई की है, वो बीते 15 सालों में नहीं हुई."

राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि हमारी सरकार की मंशा स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में किसी को भी कानून हाथ में लेने की छूट नहीं दी जा सकती है, फिर वो किसी भी मज़हब या धर्म का हो.

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने ख़ुद आदेश दिया था कि किसी भी धार्मिक स्थल के लाउडस्पीकर की आवाज़ परिसर से बाहर नहीं जानी चाहिए. इस अभियान के तहत एक सप्ताह में यूपी सरकार ने सफलतापूर्वक 54000 लाउडस्पीकर हटवाने का दावा किया था.

सुनीता एरॉन धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए जाने के बावजूद विरोध न होने के लिए योगी सरकार के प्रबंधन की तारीफ़ करती हैं.

उन्होंने कहा, "योगी सरकार ने सबसे पहले मथुरा के मंदिर से लाउडस्पीकर हटाया. इसके बाद मुसलमानों पर भी लाउडस्पीकर हटाने का नैतिक दबाव बना. इसी तरह से सड़क की बजाय केवल मस्जिद के अंदर जुमे की नमाज़ का मामला भी शांति से संभाला. हिंदू हो या मुसलमान सबको ये बताया गया है कि कानून का पालन करना होगा."

योगी शासन में कम हुए यूपी में अपराध?

यूपी पुलिस
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यूपी पुलिस

इस साल चुनावों से पहले अपनी सरकार की उपलब्धि गिनाते हुए ख़ुद योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 2017 के बाद अपराधी राज्य छोड़कर जा रहे हैं, जनता नहीं.

हालाँकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में 28 फ़ीसदी अपराध बढ़ गए. इसके अलावा सबसे ज़्यादा हत्या और अपहरण के मामले भी उत्तर प्रदेश में ही दर्ज किए गए. लेकिन 2020 के आंकड़ों के ज़रिए सरकार ने ये भी दावा किया कि राज्य में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध घटे हैं.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट कहती है कि भू-माफियाओं के ख़िलाफ़ योगी सरकार के अभियान के तहत चार सालों में कुल 484 अभियुक्तों को जेल भेजा गया. इसके अलावा जबरन संपत्ति हड़पने वाले 399 लोगों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है.

वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी कहती हैं, "विकास दुबे एनकाउंटर हो या बुलडोज़र कार्रवाई, सरकार ये संदेश देने में सफल रही है कि उन्होंने कानून व्यवस्था को 'टाइट' किया है. सरकार किस तरह से रिज़ल्ट ला रही है, लोगों को इस समय इससे कोई मतलब नहीं है. जो कि एक ख़तरनाक स्थिति हो सकती है."

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