कुल टार्गेट के मात्र 20 प्रतिशत लैपटॉप बांटकर अपनी पीठ थपथपा रही अखिलेश सरकार
एचपी की ओर से आपूर्ति किये गए लैपटॉप की कीमत 998 करोड़ रुपये थी। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होने से पहले लैपटॉप वितरण पर रोक लगा दी गई थी। गौरतलब है कि कंपनी अखिलेश सरकार को एक अल्टीमेटम दे चुकी थी, जिसमें कहा गया था कि उन तक सिर्फ सवा तीन सौ करोड़ की ही रकम पहुंची है व आपूर्ति अब उसी हाल में होगी, जब भुगतान कर दिया जाएगा।
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मौजूदा हालात जो भी हों। भुगतान हुआ हो अथवा नहीं, पर इतना तय है कि खरीदे गए 5 लाख 19 हजार 600 लैपटॉप अभी तक जिस उद्देश्य से व जिन पात्रों के लिए खरीदे गए थे, उन तक पहुंचाए बिना ही योजना को बंद कर दिया गया है। माना जा रहा है कि यह नुकसान सपा शासन को ही उठाना होगा।
यदि करार को लेकर आपसी सहमति बनती भी है तो सवाल उठता है कि इतनी मात्रा में लैपटॉप लेना, फिर योजना बंद कर देना और टैबलेट योजना में तो टैबलेट की शक्ल ही ना दिखाना साबित करता है कि सरकार ने किसकदर योजनाओं के सपने दिखाकर जनता से वोट लिए। हालांकि सपा के भीतरी सूत्रों की ओर कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में सपा को अपेक्षित सफलता ना मिलने से योजना पर विराम लगाया जा रहा है।
हालांकि सरकार भले ही इस योजना के बंद करने की सफाई में यह की रही हो कि उसने पर्याप्त जागरुकता फैला दी है व अब नई योजनाअों से हाई-टेक जनता की उम्मीदें पूरी की जांएगी। नए बजट में अखिलेश यादव ने ईबुक और ई-लाइब्रेरी शुरु करने का भरोसा दिया है।