West Bengal:"बेवकूफ बना रही है भाजपा", बंगाली हिंदुओं का वोट बचाने के लिए एक हिंदू संगठन ने खोला मोर्चा
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में भाजपा जिन वोटरों को अबतक सबसे मुफीद मानकर चल रही है, अब उसमें भी सेंध लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। बीजेपी के लिहाज से चिंता की बात ये है कि ये सब उस संगठन से ओर से किया जा रहा है, जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा रहा है और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए काम भी किया था। इस संगठन की ताकत ये है कि वह स्थानीय होने के साथ-साथ संघ और भाजपा की कार्य-प्रणालियों से रग-रग तक वाकिफ है। इस संगठन ने एक नई पार्टी लॉन्च करके 100 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है। दिक्कत ये है कि जब भाजपा को तृणमूल कांग्रेस से कांटे की टक्कर मिल रही है तो ऐस संगठन उसका टेंशन और बढ़ा सकते हैं।
'गांधी-नेहरू के जमाने वाली कांग्रेस बनी बीजेपी'
बंगाल के हिंदुवादी संगठन हिंदू समहति ने घोषणा की है कि वह आने वाला विधानसभा चुनाव में खुद अपने प्रत्याशी उतारेगी और बंगाली हिंदुओं की रक्षा के लिए वोट मांगेगी। यह वही संगठन है,जिसने पिछले लोकसभा चुनाव बीजेपी का समर्थन किया था और सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों पर इसके हक में मुहिम चलाई थी। लेकिन, अब इस संगठन ने जन समहति नाम से एक नई राजनीतिक पार्टी का गठन कर लिया है। हिंदू समहति के अध्यक्ष देबतनु भट्टाचार्य को अब लगता है कि बीजेपी हिंदुओं को बेवकूफ बना रही है। रविवार को उन्होंने कहा है,'हमारे आंकलन से टीएमसी विभाजन के पहले वाली मुस्लिम लीग में परिवर्तित हो चुकी है और बीजेपी गांधी और नेहरू की अगुवाई वाली कांग्रेस (आजादी के समय वाली) बन चुकी है। बीजेपी को सिर्फ सत्ता हासिल करनी है, हिंदुओं के हितों की रक्षा करनी नहीं।'
'बीजेपी सीएए पर हिंदुओं को बेवकूफ बना रही है'
हिंदू समहति में शामिल होने से पहले भट्टाचार्य आरएसएस से जुड़े हुए थे। इस दक्षिणपंथी संगठन का गठन संघ के प्रचारक तपन घोष ने 14 फरवरी, 2008 को किया था, जिनका पिछले साल जुलाई में कोरोना से निधन हो गया। जन समहति के नेता का कहना है कि उनका संगठन इतना बड़ा नहीं है कि पूरे देश में हिंदुओं के मुद्दे को उठा सके, इसलिए उन्होंने बंगाल के हिंदुओं पर ही फोकस करने का फैसला किया है। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि, 'बीजेपी सीएए पर हिंदुओं को बेवकूफ बना रही है। अमित शाह ने कहा है कि कोविड-19 वैक्सिनेशन खत्म होने के बाद सीएए लागू होगा। इसमें कम से कम तीन साल लगेंगे। इसका मतलब कि बीजेपी इस मुद्दे को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले या फिर 2026 के बंगाल चुनाव से पहले लाएगी।'
इन मांगों के साथ चुनाव में उतरेगी यह पार्टी
पार्टी के गठन और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने के साथ ही जन समहति ने मौजूदा चुनाव के लिए अपना एजेंडा भी साफ कर दिया है। इसने 75 फीसदी नौकरियां बंगाल के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करने की मांग के साथ ही, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मुसलमानों का आरक्षण खत्म करने, मदरसा शिक्षा प्रणाली को समाप्त करने के अलावा अजान के लिए लाउडस्पीकरों पर रोक लगाने की भी वकालत की है। पार्टी ने राज्य की 294 सीटों में से 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है। पार्टी का आरोप है कि बीजेपी सत्ता हासिल करने के लिए हिंदुओं के उत्पीड़न के बावजूद मुस्लिम तक को भी अपने दल में जगह दे रही है।
क्या सीएए के मुद्दे पर फंसेगी भाजपा?
पिछले अक्टूबर में इस हिंदुवादी संगठन के नेता ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि राज्य में 30 विधानसभा सीटों पर इनका अच्छा प्रभाव है और खासकर उत्तर बंगाल की 15 सीटों पर इनकी स्थिति बेहतर है। इन्होंने तब कहा था कि वह संघ के प्रचारकों से भी संपर्क में हैं और एक बार पार्टी बन जाती है तो बीजेपी से भी लोग इसमें शामिल होंगे। वैसे तो बंगाल भाजपा के बड़े नेता औपचारिक तौर पर इस संगठन को ज्यादा गंभीरता से नहीं ले रहे, लेकिन एक नेता ने नाम नहीं जाहिर होने देने का आग्रह कर कहा है, 'अगर हिंदू समहति के लोगों ने बांग्लादेश से आए हिंदू प्रवासियों के इलाके में सीएए के मुद्दे पर हमारे खिलाफ प्रचार शुरू कर दिया तो इससे टीएमसी की ओर से पहले से ही फैलाया गया कंफ्यूजन और बढ़ सकता है।' बता दें कि बांग्लादेश से आए नामशूद्र समुदाय के दलित और मतुआ समाज खास तौर पर इसे लागू करने की मांग करते रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसका फायदा मिलने की भी बात सामने आई है।