#West Bengal Elections: ममता के लिए भी आसान नहीं है इस बार बंगाल जीतना
कोलकाता| पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का प्रथम चरण का मतदान हो चुका है, यहां की 18 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है इसलिए अब दूसरे चरण यानी कि 11 तारीख के लिए चुनाव प्रचार तेज हो गये हैं। यहां सीधा मुकाबला ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन के बीच है। चुनाव परिणाम 16 मई को आयेंगे।
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आईये जानते हैं कि किन मुद्दों पर पश्चिम बंगाल में लड़े जा रहे हैं विधानसभा चुनाव, क्या है पार्टियों के सामने चुनौतियां. और जिनके कारण सीएम ममता बैनर्जी के लिए भी राहें आसान नहीं है, क्लिक कीजिये नीचे की स्लाइडों में..
भ्रष्टाचार
शारदा घोटाले ना केवल बंगाल को बल्कि दिल्ली तक में सुगबुगाहट पैदा कर दी है इस घोटाले में कुछ ऐसे चेहरे हैं जो कि पिछले चुनावों में जमकर लोगों से वोट मांगते नजर आये थे और लोगों से भ्रष्टाचार मुक्त राज्य बनाने का वादा किया था। इसलिए इस बार वापस पार्टियों को लोगों का भरोसा जीतने के लिए काफी मेहनत करनी होगी।
कांग्रेस वाम मोर्चा गठबंधन
पिछले चुनावों में लेफ्ट का किला फतेह करने वाली ममता बैनर्जी के लिए इस बार की राह आसान नहीं है क्योंकि इस बार उनके सामने अकेला लेफ्ट नहीं बल्कि कभी उनके साथी रहे कांग्रेस भी है। ममता को हराने के लिए कांग्रेस और लेफ्ट एक हो गये हैं।
मीडिया
इस चुनाव में मीडिया का भी अहम रोल है क्योंकि हर चैनल ने चुनावों को लेकर काफी अलग-अलग रिपोर्ट लोगों के सामने रखे हैं जिसकी वजह से तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस-वाम मोर्चा के नेताओं की मीडिया में बनी छवि का असर लोगों के दिल और दिमाग पर पड़ेगा।
ममता बैनर्जी
साल 2011 में सीएम की कुर्सी संभाल कर बंगाल में नया इतिहास लिखने वाली ममता के लिए साल 2016 का चुनाव आसान नहीं है क्योंकि ममता मंत्रालय के कुछ मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं जिसकी वजह से इस बार ममता की डगर आसान नहीं।
बीजेपी का दांव
वैसे तो बंगाल में बीजेपी का कमल खिलने की संभावना नहीं के बराबर है बावजूद इसके बीजेपी ने काफी सशक्त रूप से वहां अपनी उम्मीदवारी पेशी की है उसने रूपा गांगुली और लाकेट चैटर्जी जैसे नामचीन हस्तियों को चुनाव प्रचार में उतारा है जिसका सीधा मतलब ममता के वोट काटने का है।
फ्लाईओवर दुर्घटना
हाल ही में फ्लाईओवर दुर्घटना में लोगों की मौत ने ममता के लिए राहें मुश्किल कर दी हैं, विरोधी गण इसका फायदा उठाने की फिराक में हैं।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस
नेताजी का दिली रिश्ता बंगाल से है, इसलिए ममता बैनर्जी की सरकार और बीजेपी दोनों ने बोस की फाइलें और दस्तावेज को रिलीज करके एक इमोशनल दांव चला है देखते हैं ये दांव किसके लिए सत्ता की राह आसान करता है।