बेमौसम बारिश के चलते सब्जियों के दामों हुई बढ़ोतरी, कई की कीमत 100 रुपए प्रति KG से भी अधिक
इस वर्ष देश के लगभग सभी राज्यों में बेमौसम बारिश हुई है। इसके चलते फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। जिसकी वजह से मुंबई सहित कई महानगरों में सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। जो सब्जियां पहले 60-80 रुपए प्रति किलो बिक रही थीं, उनके दाम 120-140 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। हालांकि, कुछ व्यापारियों का मानना है कि सब्जियों की कीमतों में बेहताशा बढ़ोतरी पेट्रोल-डीजल के दामों में हुई बढ़ोतरी की वजह से हुआ है।
बारिश
की
वजह
से
सड़
गईं
सब्जियां
वर्तमान
कैलेंडर
वर्ष
की
शुरुआत
से
ही
भारत
में
बढ़ती
खाद्य
मुद्रास्फीति
उपभोक्ताओं
और
नीति
निर्माताओं
के
लिए
एक
परेशानी
का
सबब
रही
है।
जिसकी
वजह
से
तेल
और
गैस
की
कीमतें
बढ़
रही
हैं।
जबकि
बेमौसम
बारिश
ने
भारत
के
किसानों
और
उपभोक्ताओं
की
कई
और
मुसीबतें
भी
बढ़ा
दी
है।
खुदरा
विक्रेताओं
की
मानें
तो
सब्जियों
के
दामों
में
बढ़ोतरी
खराब
मौसम
के
चलते
हुआ
है।
क्योंकि
लगातार
बारिश
के
कारण
खेत
में
पड़ी
सब्जियां
सड़
गईं।
ऐसे
में
उत्पादन
घट
गया
और
आम
जनता
तक
पहुंचने
वाली
सब्जियों
की
बाजार
में
किल्लत
होने
लगी।
40
से
50
रुपए
किलो
बिकने
वाला
टमाटर
बिक
रहा
80
रुपए
किलो
सब्जी
विक्रेताओं
के
मुताबिक
भारी
बारिश
के
कारण
उत्पादक
राज्यों
महाराष्ट्र,
गुजरात
और
कर्नाटक
में
टमाटर
सूख
गए
हैं।
इसके
चलते
अच्छे
टमाटर
की
थोक
में
कीमत
40-50
रुपए
हो
गई
है।
जबकि
यह
फुटकर
यानि
कि
खुदरा
रेट
में
70-80
रुपए
किलो
बिक
रहा
है।
माना
जा
रहा
है
कि
नवंबर
के
मध्य
में
नई
फसल
आने
के
बाद
ही
स्थिति
में
सुधार
होगा।
वहीं,
टमाटर
के
अलावा
अन्य
सब्जियों
का
भी
यही
हाल
है।
बारिश
की
वजह
से
सिर्फ
फसल
का
केवल
20-30%
ही
अच्छी
क्वॉलिटी
का
बचा
है।
120
रुपए
किलो
बिक
रहा
है
परवल
TOI
की
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
अंधेरी
के
लोखंडवाला
में
मंगलवार
को
टमाटर
60
रुपए
प्रति
किलो
बिका।
जबकि
पालक
50
रुपए
गड्डी
में
बिका।
वहीं,
भिंडी
120
रुपए
प्रति
किलो
और
गवर
(क्लस्टर
बीन्स)
160
रुपए
में
बिका।
इससे
पहले
ये
सब्जियां
इतनी
महंगी
नहीं
बिकती
थीं।
रिपोर्ट
के
मुताबिक
फूलगोभी
जो
आमतौर
पर
16-18
रुपए
में
बिकती
है,
अब
थोक
बाजार
में
60
रुपए
में
बिक
रही
है।
इसके
अलावा
अब
नीबू
भी
महंगा
हो
गया
है।
व्यापारी
पहले
एक
नींबू
लगभग
50
पैसे-
1
रुपए
में
खरीद
रहे
थे।
अब
उन्हें
इसके
लिए
4-5
रुपए
एक
नीबू
के
लिए
चुकाना
पड़
रहा
है।
आनाज
और
सब्जियों
के
भी
बढ़
सकते
हैं
दाम
रिपोर्ट
की
मानें
तो
आने
वाले
समय
अनाज
के
साथ
सब्जियों,
दूध,
दालों
और
खाद्य
तेलों
की
कीमतों
में
भी
बढ़ोतरी
हो
सकती
है।
कुछ
अर्थशास्त्रियों
का
कहना
है
कि
इसी
महीने
में
सूचकांक
में
खुदरा
मुद्रास्फीति
सितंबर
के
7.41%
के
शिखर
से
कम
होने
की
संभावना
है।
बावजूद
इसके
अनाज,
सब्जी
और
दूध
पर
कीमतों
का
दबाव
बना
रहेगा।
इसके
अलावा
भारतीय
रिजर्व
बैंक
ने
हाल
ही
में
कहा
है
कि
मुद्रास्फीति
सितंबर
के
स्तर
से
कम
हो
जाएगी,
लेकिन
महंगाई
कम
होने
पर
इसका
ज्यादा
असर
नहीं
पड़ेगा।
गरीबों
पर
पड़ेगा
ज्यादा
असर
क्रिसिल
की
एक
शोध
रिपोर्ट
की
मानें
तो
ग्रामीण
गरीबों
के
लिए
सितंबर
की
मुद्रास्फीति
8.1%
थी।
इसे
खपत
के
मामले
में
सबसे
नीचे
की
20%
आबादी
के
रूप
में
परिभाषित
किया
गया
था।
वहीं,
शहरी
क्षेत्रों
में
सबसे
अमीर
20
प्रतिशत
वर्ग
के
लिए
मुद्रास्फीति
केवल
7.2%
थी।
क्वांटईको
रिसर्च
की
अर्थशास्त्री
युविका
सिंघल
के
मुताबिक
उच्च
खाद्य
मुद्रास्फीति
गरीबों
पर
प्रतिगामी
कर
के
रूप
में
कार्य
करती
है।
ऐसे
में
इससे
अमीर
और
गरीब
के
बीच
असमानता
भी
बढ़ेगी।
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