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क्या UPI के चलते तबाह हो रहा है टॉफी-कैंडी का कारोबार ? जानिए

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UPI या यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के चलते खरीदारी का तरीका काफी बदल चुका है। लोग डिजिटली भुगतान करने में आसानी महसूस करते हैं। लॉकडाउन के समय तो संक्रमण की आशंका ने इसके लिए मजबूर भी कर दिया था और धीरे-धीरे दुकानदार और ग्राहक सबको यही तरीका पसंद आने लगा। न छुट्टे का झंझट, ना बेवजह टॉफी-कैंडी थमा दिए जाने का टेंशन। लेकिन, अब एक ओर यह दावा किया जा रहा है कि इसी के चलते टॉपी-कैंडी का कारोबार लगभग ठप ही होता जा रहा है। हालांकि, दूसरा पक्ष इस दलील के खिलाफ जोरदार दलीलें और तथ्य पेश कर रहा है।

यूपीआई ने बदल दिया भुगतान का तरीका

यूपीआई ने बदल दिया भुगतान का तरीका

आज की तारीख में छोटे-मोटे किराना की दुकानों से लेकर चाय कॉर्नर तक सामान लेने और भुगतान करने की प्रक्रिया में काफी बदलाव हो चुका है। छुट्टे हैं कि नहीं! या फिर छुट्टे की जगह टॉफी लेना होगा! इसकी जगह इस बात ने ले ली है कि क्यूआर कोड दिखाना, कहां है! ग्राहक और दुकानदार दोनों निश्चिंत। गूगल पे से पैसे दें या फोनपे से या फिर पेटीएम से। छुट्टे की चिंता किसी को भी नहीं रह गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाई है। सिर्फ खरीदारी की बात नहीं है। टैक्सी वाले को पैसे देने हों या फिर पार्किंग में गाड़ी खड़ी करनी हो, चाहे सब्जी खरीदनी हो या सड़क किनारे चाय पीनी हो, बिल भुगतान से लेकर टॉल प्लाजा तक सब जगह यूपीआई काम करता है। चेंज है या नहीं किसी को नहीं सोचना पड़ता। कोई शक नहीं कि इसने देश में भुगतान प्रणाली को तेज और पारदर्शी बना दिया है और भारत के आर्थिक विकास में भी सहयोग कर रहा है।

'यूपीआई ने कैंडी-टॉफी कारोबार को चौपट कर दिया'

'यूपीआई ने कैंडी-टॉफी कारोबार को चौपट कर दिया'

लेकिन, इस व्यवस्था से सारे लोग सहमत नहीं हैं। कुछ का दावा है कि यूपीआई ने कैंडी-टॉफी कारोबार को चौपट कर दिया है। क्योंकि, इनको लगता है कि छुट्टे पैसे के बदले कैंडी देने की परंपरा टूट गई है। न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा विश्वास करने वालों में ग्रोथएक्स के फाउंडर अभिषेक पाटिल भी हैं, जिन्होंने लिंक्डइन पर यूपीआई की वजह से कैंडी कारोबार पर पड़े असर को समझाने की कोशिश की है। उनके मुताबिक, '2010 के दशक की शुरुआत में Mondelez International, Mars, Nestle, Perfetti Van Melle, Parle Agro प्राइवेट लिमिटेड और ITC लिमिटेड ने बहुत ज्यादा ग्रोथ और भविष्य की संभावनाएं दिखाई थीं। लेकिन, यूपीआई आने के बाद इनमें से अधिकर ब्रांड की टॉफी की बिक्री बहुत ज्यादा कम हो गई है।'

'यूपीआई के चलते छुट्टे के बदले टॉफी देने की परंपरा टूटी'

'यूपीआई के चलते छुट्टे के बदले टॉफी देने की परंपरा टूटी'

उन्होंने यहां तक दावा किया है कि 'दुनिया की सबसे बड़ी चॉकलेट और टॉफी निर्माता कंपनियों में से एक Hershey ने कहा है, कोविड के बाद की दौर में भारत उसके विस्तार योजना को झटका देने वाले सबसे बुरी तरह प्रभावित बाजारों में से एक है।' उनके मुताबिक, 'यूपीआई से पहले दुकानदार छुट्टे पैसे के बदले टॉफी बेचते थे, यह दूसरी तरफ से नहीं हो पाता था। शोध से पता चलता है कि यह छोटे-छोटे पैसे कुछ दिनों में बड़ी रकम बन जाती थी, क्योंकि ज्यादातर खरीदार इसे स्वीकार कर लेते थे। यूपीआई के साथ यह सब रुक गया है। लोग उतने ही पैसे देते हैं, छुट्टे की कोई गुंजाइश नहीं रही और इस तरह से डेली की टॉफी बिक्री खत्म होती चली गई।' ऊपर से कोविड महामारी ने यूपीआई इस्तेमाल को और बढ़ा दिया है।

यूपीआई टॉफी के बिजनेस को नहीं खा रहा है-एक्सपर्ट

यूपीआई टॉफी के बिजनेस को नहीं खा रहा है-एक्सपर्ट

वैसे यह दावा सुनने में सही लग रहा है, लेकिन जानकारों के मुताबिक यह पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित नहीं है। कैपिटलमिंड के सीईओ दीपक शेनॉय के मुताबिक लिंक्डइन पोस्ट के जरिए किया गया दावा काफी भ्रामक है। उन्होंने अपनी बात रखने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल किया है और भारत में कैंडी बनाने वाली एक कंपनी लोटे की सालाना रिपोर्ट लगाई है। इस रिपोर्ट को देखने से लगता है कि कंपनी ने वित्त वर्ष 2022 में काफी बिक्री की है। 2021 में उसे थोड़ी दिक्कतों का सामना जरूर करना पड़ा था। उन्होंने लिखा है, 'मैं सच में नहीं मानता कि यूपीआई टॉफी कारोबार को खा रहा है। यह कल्पना की तरह तरह लगता है। यहां लोटे इंडिया के नतीजे हैं, जो एक कैंडी निर्माता है। उनकी वार्षिक रिपोर्ट कहती है कि उन्हें वित्त वर्ष 2021 में स्कूलों के बंद होने से धक्का लगा था। वित्त वर्ष 2022 में हुई बंपर बिक्री हुई।' एचडीएफ सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च के हेड दीपक जसानी ने भी इन तथ्यों का समर्थन किया है और कहा है कि 'यूपीआई टॉफी के बिजनेस को नहीं खा रहा है।'

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'अब छुट्टे की कोई जगह नहीं रह गई है'

'अब छुट्टे की कोई जगह नहीं रह गई है'

लेकिन, मुंबई की फाइनेंशियल एडवाइजरी कंपनी केडिया एडवाइजरी के अजय केडिया भी इस बात से सहमत हैं कि यूपीआई के चलते टॉफी का कारोबार प्रभावित हुआ है। उनका कहना है कि 'भारत में यूपीआई और डिजिटल पेमेंट की वजह से टॉफी के दिन लद चुके हैं.....यूपीआई वित्तीय क्रांति है, यह ध्यान देना होगा कि यूपीआई के जरिए होने वाला पेमेंट सितंबर में 11 लाख करोड़ रुपए का माइलस्टोन पार कर चुका है। उस महीने,इस प्लेटफॉर्म पर वॉल्यूम के लिहाज से 678 करोड़ ट्रांजेक्शन किए गए....' यानि पहले 1-2 रुपए छुट्टे के चक्कर में अच्छी रकम जमा हो जाती है, लेकिन अब छुट्टे की कोई जगह नहीं रह गई है और इस तरह से रोजाना की टॉफी बिक्री खत्म होती जा रही है। वैसे तथ्य यह भी है, कोविड के बाद जैसे-जैसे बाजार खुले हैं, कैश से लेन-देन फिर बढ़ने लगी है और छुट्टे का कारोबार कम ही संख्या में सही, लेकिन फिर से शुरू होने लगा है।

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English summary
UPI and digital payment:The toffee business has been claimed to have stalled due to UPI and digital payments.But, many experts do not agree with this
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