यूनेस्को के आंकड़ों ने भारत को दुनिया में किया शर्मिंदा, 35 फीसदी महिलाएं अशिक्षित
नई दिल्ली। देश में महिलाओं की शिक्षा को लेकर जो आंकड़े यूनेस्को ने जारी किए हैं वह हर किसी भारतीय के लिए शर्मिंदा करने वाला है। आंकड़ों के अनुसार दुनिया में कुल अशिक्षत महिलाओं में से अकेले भारत में 35 फीसदी अशिक्षित महिलाएं हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि भारत में शिक्षा का स्तर कितना निचले स्तर का है, जिसका असर ना सिर्फ भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पड़ रहा है। भारत में अशिक्षित महिलाओं की संख्या का असर दुनिया की आबादी के लिहाज से भी पड़ रहा है।
तेलंगाना में 34 फीसदी महिलाएं अशिक्षित
अकेले तेलंगाना में 34 फीसदी महिलाएं अशिक्षित हैं, जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि इस समस्या को पूरी तरह से तभी खत्म किया जा सकता है जब सभी को समान शिक्षा मुहैया कराई जाए, जिसमे प्रौढ़ लोग भी शामिल हों। अधिक वयस्कों की संख्या जो पढ़ लिख नहीं सकते हैं उसकी वजह से प्रदेश की रैकिंग में सुधार नहीं हो रहा है। वयस्क शिक्षा विभाग के डायरेक्टर बी सुधाक का कहना है कि हमारे यहां कुल 8000 वयस्क शिक्षण संस्थान हैं, जोकि ग्राम पंचायत के स्तर पर हैं जहां ज्यादातर सुबह शिक्षा मुहैया कराई जाती है।
सुबह नहीं जा पाते लोग स्कूल
लेकिन इस बात को समझना होगा कि वयस्क लोगों के लिए सुबह स्कूल जाना आसान नहीं है, लिहाजा हमने शाम को भी कक्षाएं शुरू की है जिसमे महिला इंस्ट्रक्टर को लगाया गया है जिससे की गांव की महिलाएं यहां आने में अधिक सहज महसूस करें। हर छह हफ्ते में एक टेस्ट लिया जाता है, जिसे पास करना अनिवार्य होता है, लेकिन अधिकतर लोग इसमे हिस्सा लेने से शर्माते हैं। वयस्क लोग बड़ी संख्या में स्कूल नहीं आते हैं, इसकी बड़ी वजह है सुविधाओं की कमी और लोगों में सामाजिक संकोच होता है जिसकी वजह से वह स्कूल नहीं आते, लेकिन सीखने की कोई उम्र नहीं होती है।
लोगों की सोच में फर्क आ रहा है
शिक्षाविद प्रोफेसर नारायण राव का कहना है कि वयस्क शिक्षा काफी जरूरी है, माता-पिता को पढ़ाकर ही हम उन्हें उनके बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। जिन माता-पिता ने स्कूल जाना शुरू किया है उनकी सोच में फर्क आ गया है, उन्हें अब नहीं लगता है कि शिक्षा की महत्ता नहीं है, उन्होंने कहा कि शाम कि क्लास में लोगों की संख्या में बढोतरी होनी चाहिए। स्कूल में वयस्क लोगों के नहीं जाने की बड़ी वजह है कि क्योंकि वह अपनी रोज की कमाई को नहीं गंवाना चाहते हैं, हमे ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए जो बाहर काम करने जाते हैं।
शिक्षा में बहुत सुधार की जरूरत
आपको बता दें कि भारत में 1.2 करोड़ बच्चे स्कूलों में इनरोल हैं, इस बात की लगातार कोशिश हो रही कि स्कूलों में बच्चे कम से कम 12 वर्ष की आयु तक आते रहे, लेकिन आंकड़ों के अनुसार बच्चे इस उम्र को भी स्कूल में पूरा नहीं करते हैं। बच्चों की उपस्थिति के लिए बायोमीट्रिक के इस्तेमाल किए जाने की तमाम शिक्षकों के एसोसिएशन ने आलोचना की थी।
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