भाजपा से साथ टूटने के बाद खुलकर बोले उद्धव ठाकरे, कहा- हमने चांद-तारे नहीं मांगे थे
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में कभी एक दूसरे का सहयोगी रहे भाजपा शिवसेना अब अलग हो चुके है और दोनों ही दल एक दूसरे पर तीखे हमले बोलने से नहीं चूक रहे हैं। शिवसेना के मुखिया और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रदेश में चुनाव नतीजे आने के बाद किया हुआ वादा पूरा नहीं किया। भाजपा ने वादा किया था कि नतीजे आने के बाद सत्ता में बराबरी की भागीदारी होगी और प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा। उन्होंने कहा कि तीन दलों के गठबंधन की सरकार को अनैतिक नहीं कहा जा सकता है। ठाकरे ने कहा कि हमने चांद-तारे नहीं मांगा था, बल्कि सत्ता में बराबर की साझेदारी मांगी थी।
हिंदुत्व को लेकर दी सफाई
शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे साक्षात्कार में ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के समीकरण के लिए भाजपा जिम्मेदार है। उद्धव ठाकरे का तीन हिस्सों के साक्षात्कार का पहला हिस्सा छपा है। जिसमे उन्होंने कहा तीन दलों के गठबंधन को हिंदुत्व की विचारधारा से अलग होना नहीं कहा जा सकता है। ठाकरे ने भाजपा को याद दिलाया कि उसने कई दलों के साथ विचारधारा अलग होने की वजह से भी हाथ मिलाया था। पार्टी ने केंद्र और राज्य में अलग विचारधारा होने के बावजूद लोगों के साथ गठबंधन किया।
मैंने पिता से वादा किया था
पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने जो वादा किया था उसे इन लोगों ने पूरा नहीं किया। शिवसेना ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया, लेकिन भाजपा का नेतृत्व हमारे पास आया और हमने उनकी अपील को स्वीकार किया। यहां तक कि मैं नरेंद्रभाई औरअमितभाई के नामांकन के दौरान उनके साथ गया। मैंने यह हिंदुत्व के लिए किया, यहां तक कि गठबंधन के लिए प्रचार भी किया। बदले में हमने क्या अपेक्षा की। हमने सिर्फ यही कहा कि हमसे जो वादा किया उसे पूरा करिए। मैंने अपने पिता का वादा दिया था कि मैं एक शिव सैनिक को प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचाउंगा और मैंने इसके लिए किसी भी सीमा तक जाने का फैसला लिया। अगर इन लोगों ने वादा पूरा किया होता तो मैं उस कुर्सी पर नहीं होता, कोई और शिवसैनिक उस कुर्सी पर होता।
अलगाववादियों से मिलाया हाथ
जब ठाकरे से पूछा गया कि भाजपा आप पर हिंदुत्व एजेंडा से हटने का आरोप लगा रही है तो उन्होंने कहा कि अगर आप नीतीश कुमार, महबूबा मुफ्ती और मायावती के साथ गठबंधन समझौता था। क्या मैं किसी और धर्म में परिवर्तित हो गया। लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि उन्होंने हिंदुत्व के बारे में जो कहा वही अंतिम शब्द है। क्या हिंदुत्व के बारे में यह संविधान में लिखा है कि जो भाजपा कहती है। ये लोग विचारधारा की बात करते हैं, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि आखिर कितनी विचारधाराएं एनडीए के साथ आई हैं केंद्र में सरकार के गठन में। क्या आपकी विचारधारा नीतीश कुमार, राम विलास पासवान से मेल खाती है। क्या यह महबूबा मुफ्ती, चंद्रबाबू नायडू, ममता बनर्जी से मेल खाती है।
हमे ना पढ़ाए नैतिकता का पाठ
महबूबा मुफ्ती के साथ गठबंधन को लेकर उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि इ लोगों ने अलगाववादियों के साथ सरकार बनाने के लिए हाथ मिलाया। आतंकवादियों के साथ बात करने के बाद सरकार का गठन किया गया। ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र भाजपा के पास कतई इस बात का अधिकार नहीं है कि वह कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने को लेकर हमारी आलोचना करें। भाजपा ने इन दलों के अहम नेताओं को अपनी पार्टी में टिकट दिया और उन्हें विधायक व सांसद बनाया। क्या यह विचारधारा के आधार पर किया गया। जिन नेताओं ने मोदी की आलोचना की उन्हें भाजपा में शामिल किया गया और मोदी ने उनके लिए प्रचार किया। आखिर किस तरह की नैतिकता है ये, हमे उनसे नैतिकता सीखने की जरूरत नहीं है।
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