उदयपुर पुलिस ने पहले दी थी कन्हैया लाल को सुरक्षा फिर 3 दिन में ले ली वापस, अब बेटे ने बताया कब कैसे क्या हुआ
उदयपुर पुलिस ने पहले दी थी कन्हैया लाल को सुरक्षा फिर 3 दिनों में ले ली वापस, अब बेटे ने बताया कब कैसे क्या-क्या हुआ
उदयपुर, 02 जुलाई: राजस्थान के उदयपुर में 28 जून को कन्हैया लाल (हिन्दू दर्जी) की दो मुस्लिम पुरुषों द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। दोनों मुस्लिम पुरुष मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने सोशल मीडिया पर इसका वीडियो जारी किया है और अपना जुर्म भी कबूल किया है। अब इस मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है कि दर्जी कन्हैया लाल के परिवार ने आरोप लगाया है कि 16 जून को धमकी की शिकायत के बाद पुलिस कन्हैया लाल को सुरक्षा दी थी लेकिन तीन दिनों में ही उसे वापस ले लिया गया था। कन्हैया लाल की उदयपुर के भूत महल में लगभग दो दशकों से एक सिलाई की दुकान थी।
कन्हैया लाल के परिवार ने बताया कब से मिलने लगी थीं धमकी
कन्हैया लाल ने 9 जून को निलंबित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रवक्ता नूपुर शर्मा का समर्थन में एक फेसबुक पर पोस्ट लिखा था। कन्हैया लाल के परिवार के मुताबिक कन्हैया लाल को 11 जून को बताया गया कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में उसके खिलाफ एक पड़ोसी दुकानदार नाजिम द्वारा धनमंडी पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। जिसके बाद कन्हैया लाल को से उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया और अगले दिन जमानत पर रिहा कर दिया गया।
कन्हैया लाल की दुकान पर 3 दिनों के लिए दो पुलिस कांस्टेबल किए गए थे तैनात
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, परिवार ने बताया कि जमानत पर रिहा होने के बाद से ही कन्हैया लाल को अज्ञात लोगों से धमकियां मिलने लगी थीं। जिन्होंने दुकान की रेकी की और उसे बंद करने के लिए कहा। इस बात से डरकर कन्हैया लाल 15 जून को मोहल्ले के अन्य व्यवसायियों के साथ शिकायत लेकर धनमंडी थाने गए। उसने 15 जून को भी दुकान को अस्थाई रूप से बंद कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों और भूत महल कारोबारी समुदाय के सदस्यों ने बताया कि अगले दिन कन्हैया लाल की दुकान के बाहर दो पुलिस कांस्टेबल तैनात किए गए। लेकिन वे 18 जून को चले गए जबकि लाल ने दुकान बंद कर रखी थी।
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'मेरे पिता कन्हैया लाल ने कहा था, सुरक्षा बढ़ा दी जाए...'
कन्हैया लाल के 20 वर्षीय बेटे यश ने कहा, ''जब मेरे पिता कन्हैया लाल ने अनुरोध किया कि सुरक्षा बढ़ा दी जाए, तो स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उनके लिए सुरक्षा कर्मियों को अनिश्चित काल के लिए छोड़ना संभव नहीं है। सुरक्षा देने के बजाय उन्होंने हमसे कहा था कि आप दुकान खोलने से पहले यह पता लगा लीजिए कि सबकुछ ठीक है या नहीं।'' यश ने कहा कि जब उसके पिता ने पुलिस को अपनी जान को खतरा होने के बारे में बताया तो पुलिस ने कहा कि उसे अपने जोखिम और सुरक्षा का आकलन खुद करना होगा।
राजकुमार शर्मा, जो लाल के कर्मचारी थे और 28 जून को उनकी भीषण हत्या के चश्मदीद गवाह भी, उन्होंने कहा, ''बस दो दिन दुकान के बाहर पुलिस कांस्टेबल खड़े थे लेकिन तीसरे दिन दो पुलिसकर्मियों को बुला लिया गया था।''
पुलिस ने पूरे मामले पर क्या कहा?
धनमंडी थाने के पूर्व थाना प्रभारी गोविंद सिंह और इस मामले के पूर्व जांच अधिकारी भंवरलाल पनेरी दोनों को अब निलंबित कर दिया गया है। उन दोनों ने इस विषय पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन एक स्थानीय पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि सुरक्षा देने के बाद भी कन्हैया लाल अपनी दुकान नहीं खोल रहे थे।
इस पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, "चूंकि कन्हैया लाल की दुकान बंद थी और दुकान पर कोई हमला नहीं हुआ था, इसलिए सुरक्षा कार्य के लिए पुलिसकर्मियों को वहां खड़े करने की कोई जरूरत महसूस नहीं हुई।"'
शुक्रवार को हटाए गए उदयपुर के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार चौधरी ने कहा, ''पुलिसकर्मियों को तैनात करने या उन्हें हटाने का फैसला स्थानीय स्तर पर लिया गया था। मैं इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकता।"
28 को दुकान खुलते ही कन्हैया लाल की हुई हत्या
कन्हैया लाल ने आखिरकार 28 जून को अपनी दुकान खोली। दो आदमी मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद, कपड़े सिलने के बहाने उसकी दुकान में आए और धारदार चाकू से उसकी हत्या कर दी। उन्होंने उसका वीडियो भी बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल किया।
'कन्हैया लाल डरा हुआ महसूस कर रहे थे...'
स्थानीय कारोबारी समुदाय के सदस्यों ने कहा कि उन्हें याद है कि जून के दूसरे सप्ताह में कन्हैया लाल खुद को लेकर बहुत असुरक्षित महसूस कर रहे थे। बाजार में एक फर्नीचर की दुकान के मालिक जयेश चंपावत ने कहा, ''कन्हैया लाल न केवल असुरक्षित महसूस करते थे, बल्कि उनका व्यवसाय बंद करने से कुछ अन्य स्थानीय वस्त्र व्यवसाय भी प्रभावित हो रहे थे, जो उन पर निर्भर थे।''
'पुलिस ने सुरक्षा देने के बजाए, समझौता कराना चाहा...'
एक अन्य दुकानदार गौरव आचार्य ने कहा, ''कन्हैया लाल को सुरक्षा का आश्वासन देने के बजाय, पुलिस ने उसे मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ एक समझौते के लिए बैठक बुलाने और उनसे माफी मांगने के लिए कहा था।'' गौरव आचार्य ने ही 12 जून को कन्हैया लाल को रिहा करने के लिए जमानत बांड के रूप में 10,000 रुपये जमा किए थे।
बेटा बोला- काश, जब मेरे पिता ने दुकान खोली तो पुलिस होती
कन्हैया लाल के बेटे यश ने कहा कि उनके पिता, जो आमतौर पर रात 10 बजे के बाद काम से घर लौटते थे लेकिन धमकी मिलने के बाद रोजाना अलग-अलग रास्तों से शाम 6 बजे तक अपनी दुकान बंद कर घर आ जाते थे। यश ने कहा, "काश, जब मेरे पिता ने अपनी दुकान खोली तो पुलिस ने कम से कम सुरक्षा को फिर से तैनात कर दिया होता।"