ग्रीन कोरिडोर से 16 मिनट में पहुंचा दिल और किडनी, बची दो लोगों की जान
हार्ट डोनेट करने के बाद उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए बना ग्रीन कॉरिडोर, 16 मिनट में पहुंचाया गया अस्पताल, बची दो लोगों की जान
मुंबई। कोल्हापुर में जब एक महिला को डॉक्टर ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था तो फोर्टिस हॉस्पिटल में उनके हार्ट को दूसरी मरीज को ट्रांसप्लांट किया जाना था। महज 22 साल की महिला को पुणे के रूबी हॉल क्लिनिक में ब्रेन डेड घोषित किया गया था। लेकिन उनके हार्ट को 24 साल की कॉलेज छात्रा को डोनेट किया गया है। ट्रांसप्लांट के लिए बकायदा एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था।
युवती को हार्ट घाटकोपर की 24 वर्षीय एक कॉलेज छात्रा दिया जाना था, तकरीबन चार महीनों तक वह एक अदद ब्रेन का इंतजार कर रही थी। शहर में युवती का हार्ट सुबह तकरीबन 3.36 बजे पहुंचा था, ऐसे में इसे महज 1 घंटे 50 मिनट के भीतर अस्पताल में भेजना था। जैसे ही फोर्टिस की ट्रांसप्लांट टीम इसकी तैयारी शुरू की तो प्रशासन ने भी इसमे बकायाद मदद की। फोर्टिस की टीम इस हार्ट के अलावा 45 वर्षीय युवती का अंग एमजीएम अस्पताल जोकि वंशी में है वहां से भी ऑर्गन को लाना था।
युवती
घर
में
काम
करती
थी
और
उनके
पति
और
बच्चों
की
अनुमति
के
बाद
उनके
हार्ट,
किडनी
और
लीवर
को
डोनेट
किया
गया
था।
महिला
को
डॉक्टर
ने
ब्रेन
डेड
घोषित
कर
दिया
था।
महिला
को
ट्रेन
हादसे
में
शरीर
पर
गंभीर
चोट
आई
थीं।
ऐसे
में
दो
लोगों
को
इस
ट्रांसप्लांट
की
वजह
से
नया
जीवन
मिला
है।
गुरुवार
को
चार
घंटे
तक
चले
ऑपरेशन
के
बाद
दो
लोगों
को
नया
जीवन
मिला।
युवती
का
हार्ट
58
वर्ष
के
एक
व्यक्ति
को
दिया
गया
जोकि
थाने
में
रहते
हैं,
उनका
नाम
सुपर
अर्जेंट
लिस्ट
में
था।
हार्ट
को
मुलुंद
से
सड़क
के
रास्ते
16
मिनट
में
ग्रीन
कोरिडोर
के
जरिए
पहुंचाया
गया
था।
जबक
दूसरे
डोनर
की
किडनी
जसलोक
अस्पताल
में
भेजा
गया
था।