पतंजलि के कॉस्मेटिक उत्पाद में काले रंग को बताया गया बीमारी, लोगों ने कहा: कृपया यह शब्द हटा लें
नई दिल्ली। हम साल 2018 में आ चुके हैं लेकिन अब तक हमारी प्राथमिकताएं नहीं बदली हैं। मसलन, छरहरी काया और गोरे चेहरे को ही लें तो आज भी इसे सुंदरता का मानक माना जाता है। जैसा कि दुनिया भर के लोग काली चमड़ी वाले लोगों के खिलाफ पूर्वाग्रहों से लड़ने की कोशिश करते हैं दूसरी ओर भारत अभी भी गोरे चेहरे को सुंदरता का मानक मानने में उलझा हुआ है। कुछ ऐसा ही बाबा राम देव के पतंजलि प्रॉडक्ट्स के साथ किया गया है। 7 जनवरी को जारी किए गए एक विज्ञापन में ब्यूटी क्रिम को सुंदरता का राज बताा गया है। विज्ञापन के जरिए यह बताने की कोशिश की गई है कि काला रंग एक बीमारी है और लोग इससे खुश नहीं रहते।
विज्ञापन में कहा गया है कि...
विज्ञापन में कहा गया है कि- 'गेहूं के बीज का तेल, हल्दी, मुसब्बर-वेरा, और तुलसी आदि के लाभ होते हैं जो सूखी त्वचा, काले रंग और झुर्रियां जैसे त्वचा की बीमारियों के लिए बेहद फायदेमंद हैं। पतंजलि सौंदर्य क्रीम सिर्फ एक और क्रीम नहीं है बल्कि एक त्वचा पोषण टॉनिक और उपचार है। यह आपको 100% प्राकृतिक सौंदर्य का आत्मविश्वास देता है। आप खुद पर उपयोग करें, अपने परिवार और दोस्तों को इस क्रीम का सुझाव दें।'
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कार्तिक ने लिखा
इस विज्ञापन में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर भी निशाना साधा गया है और तर्क दिया गया है कि पतंजली के प्राकृतिक तत्वों का उपयोग उन ब्रांडों की तुलना में सुरक्षित और सस्ता है। हालांकि, ट्विटर पर लोग तुलना से खुश नहीं थे। एक ट्विटर यूजर, कार्तिक ने कंपनी की मार्केटिंग रणनीति को गलत बताया और लिखा, 'ना बाबा रामदेव ... 'काला रंग' त्वचा की बीमारी नहीं है।'
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कविता कृष्णन ने लिखा
कविता कृष्णन ने लिखा कि- रामदेव के अनुसार, काला रंग एक 'त्वचा की बीमारी' है! मुकुल नाम के यूजर ने लिखा है- बाबाजी, कृपया काला रंग शब्द हटा दें। यह त्वचा रोग नहीं है