टूलकिट केस: दिशा रवि की गिरफ्तारी पर क्या बोले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज दीपक गुप्ता
नई दिल्ली: टूलकिट विवाद में ऐक्टिविस्ट दिशा रवि की गिरफ्तार पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस दीपक गुप्ता ने सवाल उठाए हैं और दावा किया है उसकी गिरफ्तारी गलत है। उनका दावा है कि टूलकिट डॉक्युमेंट में कुछ भी हिंसा फैलाने या भड़काऊ या देश-विरोधी नहीं था। गौरतलब है कि जब से 26 जनवरी की दिल्ली हिंसा के बाद पुलिस ने स्विटजरलैंड की ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग से गलती से लीक हुई किसान आंदोलन से संबंधित गूगल डॉक्युमेंट की तहकीकात तेज की है, उस पर कई तरह के आरोप लग रहे हैं। खासकर दिशा रवि की गिरफ्तारी पर काफी सवाल उठाए जा रहे हैं।
Recommended Video
'टूलकिट
में
देश-विरोधी
कुछ
भी
नहीं'
लाइवलॉ
डॉट
इन
पोर्टल
ने
एनडीटीवी
के
हवाले
से
दावा
किया
है
कि
उसके
एक
कार्यक्रम
में
सुप्रीम
कोर्ट
के
रिटायर्ज
जज
जस्टिस
दीपक
गुप्ता
ने
दिशा
रवि
के
मामले
में
दिल्ली
पुलिस
की
कार्रवाई
को
गलत
बताया
है।
उन्होंने
कहा
है
कि
21
साल
की
ऐक्टिविस्ट
से
जुड़े
जिस
टूलकिट
की
बात
की
जा
रही
है,उसमें
कुछ
भी
देश-विरोधी
नहीं
है।
उनका
कहना
है
कि,'इस
देश
के
हर
नागरिक
को
सरकार
के
विरोध
करने
का
अधिकार
है,
जब
तक
कि
वह
विरोध
शांतिपूर्ण
हो।'
बता
दें
कि
दिशा
को
दिल्ली
पुलिस
ने
बेंगलुरु
में
उसके
घर
से
गिरफ्तार
किया
था
और
दिल्ली
में
मैजिस्ट्रेट
की
एक
अदालत
ने
5
दिन
की
कस्टडी
में
भेज
दिया
था।
'देशद्रोह
कानून
का
गलत
इस्तेमाल'
जस्टिस
गुप्ता
ने
दावा
किया
कि
जो
टूलकिट
डॉक्युमेंट
सार्वजनिक
है
उसमें,
'मैंने
देखा
है
कि
टूलकिट
में
हिंसा
या
लोगों
को
भड़काने
जैसा
कुछ
भी
नहीं
है.....मुझे
इस
डॉक्यूमेंट
में
कुछ
भी
देश-विरोधी
नहीं
लगता।
प्रदर्शनकारियों
से
कोई
सहमत
हो
सकता
है
या
नहीं
हो
सकता
है,
वह
अलग
मसला
है।
लेकिन,
यह
कहना
कि
यह
राष्ट्रद्रोह
है
यह
पूरी
तरह
से
कानून
को
नहीं
समझना
है।'
उन्होंने
1962
के
केदार
नाथ
सिंह
बनाम
बिहार
सरकार
के
केस
का
हवाला
देते
हुए
बताया
कि
आईपीसी
124ए
की
वैद्यता
को
सही
ठहराते
हुए
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
था
कि
देशद्रोह
तभी
होगा
जब
हिंसा
भड़काई
गई
हो,
जो
कि
इस
केस
में
नदारद
है।
उन्होंने
यह
भी
कहा
कि
देशद्रोह
कानून
का
अक्सर
गलत
इस्तेमाल
होता
है।
हालांकि, दिल्ली पुलिस अपने स्टैंड पर कायम है और उसका कहना है कि दिशा और उसके साथियों ने खालिस्तान समर्थक संगठनों के साथ साठगांठ की थी। उसने कई तरह के सबूत होने के भी दावे किए हैं।
इसे भी पढ़ें-Toolkit case: 26 जनवरी को आरोपी शांतनु दिल्ली में कहां था, पुलिस ने बताया