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ओलंपिक मेडल दिलाने वाली हॉकी टीम का जब स्पॉन्सर छोड़ गए थे साथ, पटनायक बने थे सहारा

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नई दिल्ली, 5 अगस्त। भारतीय हॉकी ने 5 अगस्त का दिन भारतीयों के लिए यादगार बना दिया है। गुरुवार को टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल के सूखे को खत्म करते हुए कांस्य पदक जीत लिया है। भारत ने कड़े मुकाबले जर्मनी की टीम को 5-4 से हराकर मेडल अपने नाम किया। भारतीय हॉकी टीम को बधाइयों का तांता लगा हुआ है। ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने भी हॉकी टीम को बधाई दी है। पटनायक ने कहा "भारतीय पुरुष हॉकी टीम की उपलब्धि पर पूरा देश गर्व कर रहा है। पिछले कुछ दिनों में हॉकी ने पूरी दुनिया में फैले भारतीयों को एक साथ ला दिया है। इस टीम का प्रदर्शन बहुतों को प्रेरणा देगा।"

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पटनायक का हॉकी टीम से गहरा नाता

पटनायक का हॉकी टीम से गहरा नाता

सभी बधाई दे रहे हैं तो नवीन पटनायक ने भी दी, इसमें ऐसा खास क्या है। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो जरा रुकिए, आपके लिए ये जानना जरूरी है कि नवीन पटनायक का रोल भारतीय हॉकी टीम के लिए बहुत खास है। अगर आज भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक में ये शानदार प्रदर्शन करती नजर आई तो इसमें नवीन पटनायक का बड़ा योगदान है। हम बताते हैं पटनायक ने भारतीय हॉकी के लिए क्या किया है।

आज की युवा पीढ़ी ने भले ही हॉकी टीम को ओलंपिक में कभी मेडल लाते नहीं देखा हो लेकिन भारतीयों के लिए हॉकी से दिल का रिश्ता है। भारतीय हॉकी ने लगातार 6 बार मिलाकर कुल 8 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते हैं। आखिरी बार इसके पहले भारतीय हॉकी टीम ने 1980 में हुए मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था लेकिन वो दौर अलग था। तब बहुत सारे देशों ने मॉस्को ओलंपिक का बहिष्कार किया था। वजह थी शीत युद्ध का पुराना झगड़ा जिसमें अमेरिका और यूएसएसआर (वर्तमान रूस) दुनिया के दो ध्रुवों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और अमेरिकी गुट के कई देशों ने मॉस्कों में खेलने से मना कर दिया था। खैर विश्व राजनीति को छोड़ते हैं और हॉकी पर लौटते हैं। 1980 के बाद से आज तक भारत ने ओलंपिक में कभी कोई मेडल नहीं जीता।

2018 में टीम के पास नहीं था स्पॉन्सर

2018 में टीम के पास नहीं था स्पॉन्सर

आज 41 साल बाद जब भारतीय हॉकी टीम कांस्य पदक जीती है तो हर कोई वाह-वाह कर रहा है लेकिन साल 2018 में एक समय ऐसा भी आया था जब सहारा के हॉकी की पुरुष और महिला टीम से हाथ खींचने के बाद टीम बिना स्पॉन्सर के हो गई थी। स्पॉन्सर न होने का मतलब था कि कोई मैच न होना और बिना मैच के तो आप टीम की तैयारी की कल्पना कर ही नहीं सकते। ऐसे समय में ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक का हॉकी के लिए स्कूल के दिनों का प्यार जाग गया और ओडिशा सरकार ने हॉकी टीम को स्पॉन्सर करने का फैसला किया। इसके लिए पटनायक सरकार ने हॉकी इंडिया के साथ 100 करोड़ रुपये का अनुबंध किया। आज हॉकी टीम जब ओलंपिक मेडल जीती है तो इस समय ओडिशा सरकार ही उसकी स्पॉन्सर है। भारतीय हॉकी टीम जिस दौर से गुजर रही थी उस समय अगर नवीन पटनायक सरकार बढ़कर आगे न आई होती तो शायद आज भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक में पहुंची भी न होती। पहले ही भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलंपिक के इतिहास में पहली बार सेमीफाइनल तक पहुंचकर इतिहास रच दिया है और उसके प्रदर्शन ने देश का दिल जीत लिया है।

पुराना है पटनायक का हॉकी से प्यार

पुराना है पटनायक का हॉकी से प्यार

नवीन पटनायक का हॉकी का प्यार कोई नया नहीं है। जब वे दून स्कूल में पढ़ते थे उस समय वे स्कूल की हॉकी टीम में खेला करते थे। यही वजह है कि जब पटनायक ने भारतीय हॉकी को संकट में देखा तो उनकी सरकार ने भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम को अगले 5 साल के लिए स्पॉन्सर करने का फैसला किया। आज तीन साल बीत चुके हैं और भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओलंपिक में 41 साल के सूखे को खत्म करते हुए पदक देश की झोली में डाल दिया है जिसका एक अरब 30 करोड़ की आबादी बेसब्री से इंतजार कर रही थी। वहीं महिला हॉकी टीम भी सेमीफाइनल में भले ही हारकर स्वर्ण या रजत से दूर हो गई है लेकिन अभी भी पदक की उम्मीद खत्म नहीं हुई है।

2014 में पहली बार गया था खेल पर ध्यान

2014 में पहली बार गया था खेल पर ध्यान

2014 में नवीन पटनायक का हॉकी खेल की तरफ ध्यान तब गया जब ओडिशा ने चैंपियन्स ट्रॉफी की मेजबानी की। नवीन पटनायक सरकार कलिंग लांसर्स क्लब की प्रायोजक बनी। इस क्लब ने 2017 की हॉकी इंडिया लीग जीती। अगले साल 2018 में ओडिशा ने हॉकी वर्ल्ड लीग की मेजबानी की।

ओडिशा ने भारतीय हॉकी टीम को कई बड़े खिलाड़ी दिए हैं। भारतीय पुरुष टीम के उप-कप्तान बीरेंद्र लाकरा और महिला टीम की उप-कप्तान दीप ग्रेस एक्का ओडिशा से ही हैं।

हॉकी इंडिया के साथ ओडिशा सरकार का अनुबंध 2013 तक चलेगा। इस दौरान भारत पुरुष हॉकी वर्ल्ड कप की मेजबानी करेगा।

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English summary
tokyo olympics when naveen patnaik helped indian hockey in crisis time
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