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क़ब्रिस्तान मामला, जो योगी आदित्यनाथ के गले पड़ गया है

वहीं, इस मामले में तीसरी एफ़आईआर तत्कालीन सांसद और मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से तलत अजीज़ और उनके साथियों के ख़िलाफ़ दर्ज कराई गई थी जिसमें तलत अजीज़ और उनके साथियों पर योगी के काफ़िले पर हमला करने का आरोप लगाया गया था.

राज्य की तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार ने मामले की जांच सीबीसीआईडी से कराई थी जिसने अंतिम रिपोर्ट लगाकर बाद में मामले को बंद कर दिया था.

By BBC News हिन्दी
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को महराजगंज की सत्र अदालत ने 19 साल पुराने एक मामले में नोटिस भेजा है और एक हफ़्ते के भीतर नोटिस का जवाब देने को कहा है.

मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी. हालांकि, इस मामले को महराजगंज की ही सीजेएम कोर्ट ने पिछले दिनों ख़ारिज कर दिया था लेकिन हाईकोर्ट ने इसे दोबारा शुरू करने का आदेश दिया है.

साल 1999 में महराजगंज के पचरुखिया में क़ब्रिस्तान और श्मशान की ज़मीन को लेकर हुए विवाद के मामले में गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ समेत कुछ लोगों के ख़िलाफ़ महराजगंज कोतवाली में केस दर्ज किया था.

कौन हैं तलत अज़ीज़?

इस विवाद में समाजवादी पार्टी की नेता तलत अजीज़ के सुरक्षा गार्ड और पुलिस कांस्टेबल सत्यप्रकाश यादव की गोली लगने से मौत हो गई थी.

इस मामले में तलत अजीज़ ने योगी और उनके साथियों के ख़िलाफ़ 302, 307 समेत आईपीसी की कई धाराओं में एफ़आईआर दर्ज कराई थी जबकि बाद में महराजगंज कोतवाली के तत्कालीन एसओ बीके श्रीवास्तव ने भी योगी और 21 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.

वहीं, इस मामले में तीसरी एफ़आईआर तत्कालीन सांसद और मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से तलत अजीज़ और उनके साथियों के ख़िलाफ़ दर्ज कराई गई थी जिसमें तलत अजीज़ और उनके साथियों पर योगी के काफ़िले पर हमला करने का आरोप लगाया गया था.

राज्य की तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार ने मामले की जांच सीबीसीआईडी से कराई थी जिसने अंतिम रिपोर्ट लगाकर बाद में मामले को बंद कर दिया था.

मामले की याचिकाकर्ता और घटना की प्रत्यक्षदर्शी रहीं तलत अजीज़ ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "ये एक बहुत ही छोटा मामला था जो कि प्रधान स्तर पर ही सुलझ सकता था लेकिन कुछ लोगों ने इसे इतना बड़ा बना दिया. दरअसल, 10 फ़रवरी 1999 को हम लोग सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और सड़क जाम कर रहे थे. तभी कुछ लोगों ने मुझसे उस पचरुखिया गांव चलने की अपील की जहां कब्रिस्तान को लेकर चार दिन पहले विवाद हुआ था."



योगी आदित्यनाथ
Getty Images
योगी आदित्यनाथ

कहां से शुरू हुआ मामला

तलत अजीज़ बताती हैं कि वहीं योगी आदित्यनाथ अपने तमाम समर्थकों के साथ पहुंच गए और तभी कुछ लोगों ने फ़ायरिंग शुरू कर दी.

उनके मुताबिक़, फ़ायरिंग काफ़ी देर तक चलती रही और लोग इधर-उधर जान बचाकर भागे.

वह कहती हैं, "इसी दौरान मुझे लक्ष्य करके किसी ने गोली चलाई लेकिन सत्य प्रकाश यादव जो कि मेरी सुरक्षा में तैनात था, वो आगे पड़ गया और गोली लगने से उसकी तत्काल मौत हो गई."

तलत अजीज़ के मुताबिक़, घटना की शुरुआत क़ब्रिस्तान में स्थित एक पीपल के पेड़ से हुई.

वो कहती हैं,"क़ब्रिस्तान में एक पीपल का पेड़ था. उसे कुछ मुसलमानों ने इसलिए काट दिया क्योंकि वो सूख गया था. इसे लेकर कुछ हिन्दू लोग भड़क गए और फिर ग़ुस्से में कई क़ब्रों के पास पीपल के पेड़ लगा दिए गए. इसके चलते वहां बड़ा सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था. कई दिनों तक पीएसी तैनात रही."

ये मामला क़रीब 19 साल तक महराजगंज की सीजेएम कोर्ट में चला और इसी साल 13 मार्च को सीजेएम कोर्ट ने इसे ख़ारिज कर दिया.

तलत अजीज़ ने इस फ़ैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी और फिर उच्च न्यायालय ने सीजेएम कोर्ट के फ़ैसले को निरस्त करते हुए मामले की महराजगंज के ज़िला एवं सत्र न्यायालय में सुनवाई के निर्देश दिए.

योगी आदित्यनाथ और कुछ अन्य लोगों को इसी मामले में नोटिस भेजा गया है.


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English summary
The cemetery case which has fallen on the Yogi Adityanath
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